नई दिल्ली। सरकार ने आज 2500 रुपए में एक घंटे की हवाई यात्रा की क्षेत्रीय संपर्क योजना लांच कर दी। इसके तहत पहली फ्लाइट अगले साल जनवरी से शुरू होने की उम्मीद है। योजना को 'उड़ान' (उड़े देश का आम नागरिक) उपनाम दिया गया है।
नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने यहाँ एक कार्यक्रम में इस योजना को लांच करते हुए कहा जनवरी में हम योजना के तहत फ्लाइट शुरू कर सकेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि योजना का प्रारूप जारी करने के बाद इसे अंतिम रूप देने में करीब चार महीने का समय लगा जो कुछ ज्यादा है। हालाँकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्तमान स्वरूप में योजना सफल होगी।
राजू ने कहा हमें लगता है कि यह योजना उड़ान भरने में सफल रहेगी। यदि जरूरत पड़ी तो भविष्य में इसमें बदलाव भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार योजना को लेकर सावधानीपूर्वक आशांवित है। उन्होंने कहा कि योजना की सफलता/असफलता पूरी तरह से विमान सेवा कंपनियों पर निर्भर करती है और कार्यक्रम में मौजूद एयरलाइंसों के वरिष्ठ अधिकारियों से सहयोग माँगा।
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि सरकार का लक्ष्य मझौले तथा छोटे शहरों में सस्ते हवाई सेवा नेटवर्क तैयार कर गरीबों को भी हवाई यात्रा मयस्सर कराना है। उन्होंने कहा हवाई चप्पल वालों को भी हवाई यात्रा कराना है।
'उड़ान' के तहत एयरलाइंस 151 किलोमीटर या इससे ज्यादा दूरी के मार्गों (रूट) पर हवाई सेवा शुरू कर सकते हैं। इसमें रूट का कम से कम एक छोर अब तक सप्ताह में सात से कम (अंडरसर्व्ड) या शून्य उड़ान वाला (अनसर्व्ड) हवाई अड्डा होना चाहिए। कई खंडों में अलग-अलग दूरियों के लिए अधिकतम किराया अलग-अलग तय किया गया है। 151 किलोमीटर से 175 किलोमीटर के लिए अधिकतम किराया 1,420 रुपए तय किया गया है।
एक घंटे की यात्रा को दूरी में बदलकर 500 किलोमीटर किया गया है। 476 किलोमीटर से 525 किलोमीटर तक का अधिकतम किराया 2,500 रुपए रखा गया है। 776 किलोमीटर या इससे अधिक की दूरी के लिए अधिकतम किराया 3,500 रुपए रखा गया है।
सस्ती सेवाओं के मद्देनजर विमान कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न प्रकार की सब्सिडी तथा वाएबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के जरिए होगी। वीजीएफ का 80 प्रतिशत केंद्र सरकार तथा 20 प्रतिशत राज्य सरकार देगी। उत्तर पूर्व के राज्यों के लिए यह अनुपात 90 बनाम 10 का होगा।
केंद्र सरकार 'उड़ान' योजना के तहत हवाई अड्डों पर विमान ईंधन पर उत्पाद शुल्क घटाकर दो प्रतिशत करेगी तथा कर योग्य सेवाओं के 10 प्रतिशत मूल्य पर ही सेवा शुल्क वसूलेगी। वहीं, राज्य सरकार विमान ईंधन पर वैट एक फीसदी या उससे कम रखेगी, सुरक्षा तथा अग्निशमन सेवाएँ नि:शुल्क उपलब्ध कराएगी और पानी तथा बिजली सस्ती दरों पर देगी।
सिन्हा ने कहा कि यह योजना सभी पक्षों के लिए फायदेमंद है। यात्रियों के लिए भी, विमान सेवा कंपनियों के लिए भी और वृहद पैमाने पर पूरे घरेलू विमानन क्षेत्र के लिए भी। यह विमान सेवा क्षेत्र में उतरने के लिए स्टार्टअप के लिए अनूठा मौका है।
कार्यक्रम में मौजूद विमान सेवा कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि योजना के कुछ हिस्सों को लेकर उनकी चिंताएँ हैं, जिनके बारे में वे सरकार को बता चुके हैं। स्पाइस जेट के संस्थापक अजय सिंह ने कहा देश हित में जो भी होगा हम करेंगे। दो-तीन मुद्दों को लेकर हमने अपनी चिंता सरकार को बताई है। इसमें बड़े शहरों के हवाई अड्डों पर स्लॉट की उपलब्धता तथा वहाँ लैंडिंग/पार्किंग शुल्क का मुद्दा भी शामिल है।
यह पूछे जाने पर कि क्या स्पाइस जेट इस योजना का हिस्सा होंगी? उन्होंने कहा कि इस पर निर्णय करने लिए अभी काफी समय है। 'उड़ान' के तहत विमान की 50 प्रतिशत सीटों के लिए सरकार सब्सिडी देगी। शेष 50 प्रतिशत सीटों के लिए किराया तय करने का अधिकार एयरलाइंस को होगा। कम से कम नौ तथा अधिक से अधिक 40 सीटों के लिए वीजीएफ दिया जाएगा। हेलिकॉप्टर की स्थिति में कम से कम पाँच तथा अधिक से अधिक 13 सीटों के लिए वीजीएफ मिलेगा।
योजना की लांचिंग के साथ ही आज से प्रस्ताव जमा कराने का समय शुरू हो गया है। छह सप्ताह तक विमान सेवा कंपनियाँ प्रस्ताव जमा करा सकेंगी। तीन दिन का समय प्रस्ताव दस्तावेजों की जाँच के लिए रखा गया है। अगले दो सप्ताह तक जवाबी प्रस्ताव (काउंटर प्रोपोजल) आमंत्रित किए जाएंगे तथा अगले दो सप्ताह में प्रस्तावों का आँकलन कर एयरलाइंसों को रूट आवंटित करने का काम किया जाएगा।
प्रति सीट सबसे कम वीजीएफ की माँग करने वाली एयरलाइंस को रूट आवंटित किया जाएगा। प्रारूप में बदलाव करते हुए योजना के अंतिम स्वरूप में रूट के दोनों हवाई अड्डों के अंडरसर्व्ड या अनसर्व्ड होने की स्थिति में अधिकतम वीजीएफ की सीमा बढ़ाई गई है। वीजीएफ में 35 फीसदी से 72 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है।
एक बार रूट आवंटित किए जाने के बाद तीन साल तक एयरलाइंस का उस रूट पर विशेषाधिकार होगा। यदि कंपनी चाहे तो तीन साल से पहले भी योजना से बाहर निकल सकती है। एक साल बाद बाहर निकलने पर गारंटी शुल्क तथा अतिरिक्त गारंटी वापस मिल जाएगी जबकि एक साल से पहले योजना से बाहर निकलने पर यह राशि जब्त हो जाएगी। (वार्ता)