प्रेरणात्मक कहानी : चुनने की आजादी
कथा बहुत पुरानी है। एक राजा थे। दिग्विजय पर निकले। रास्ते में एक कुरूप बुढ़िया मिली। बोली- आगे मत जाओ। मुझसे शादी कर लो। आगे राक्षस है। सवाल पूछेगा। जवाब नहीं दोगे तो मार डालेगा।
राजा उसके कहे को दरकिनार कर आगे बढ़े।
राक्षस मिला। पूछा- 'बताओ, औरत क्या चाहती है?
राजा लौटे। लोगों से पूछा। समाधान-कारक जवाब नहीं मिला।
बूढ़ी औरत आई। उसने कहा- जाओ, जाकर बोल दो - 'औरत को चाहिए चुनने की आजादी।' राजा ने जाकर वही जबाव दिया। लौटा। बुढ़िया उसे देखते ही सुंदर स्त्री में तब्दील हो गई। बताया कि राक्षस ने उस पर जादू चला रखा था। कोई उसके सवाल का सही जवाब देता तो ही जादू मिटता।
उसने राजा से पूछा- 'तुमने मेरे कहे जवाब को बताया, तुमसे शादी करनी ही पड़ेगी।' राजा देर तक सोचते रहे। फिर बोले - 'जैसा तुम चाहो।' चुनाव की आजादी मिलते ही औरत दिव्य सुंदरी में तब्दील हो गई। बचा-खुचा जादू भी खत्म हो गया।
औरत की सबसे बड़ी ख्वाहिश है चुनने की आजादी। और यही है उसके लिए सबसे बड़ा उपहार।
सीख : हमें कभी भी औरत का अपमान नहीं करना चाहिए। हमेशा उसकी पसंद का मान बढ़ाकर उसे आजादी से जीवन जीने की प्रेरणा देनी चाहिए।