रविवार, 28 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. आईपीएल 2022
  3. आईपीएल 2022 न्यूज़
  4. Sanju Samson mind game triggers a debate on review of wide and no balls
Written By
Last Updated : मंगलवार, 3 मई 2022 (17:23 IST)

संजू सैमसन के माइंड गेम से छिड़ गई बहस, वाइड नो बॉल के लिए भी हो रिव्यू

संजू सैमसन के माइंड गेम से छिड़ गई बहस, वाइड नो बॉल के लिए भी हो रिव्यू - Sanju Samson mind game triggers a debate on review of wide and no balls
सोमवार को कोलकाता बनाम राजस्थान के मैच में निम्नस्तरीय अंपायरिंग देखने को मिली।  खासकर अंपायर ने तब ऐसे कई गेंदो को वाइड करार दिया जब बल्लेबाज गेंद के करीब आ रहा था। राजस्थान को इन निर्णय के कारण बहुत नुकसान हुआ।

प्रसिद्ध कृष्णा के अंतिम ओवर में एक गेंद पर बल्लेबाज करीब आया और अंपायर ने वाइड का इशारा किया। ऐसे में संजू सैमसन ने एक माइंड गेम खेला उन्होंने निर्णय को रिव्यू किया। अंपायर ने ना में मुंडी हिलाई कि वाइड गेंद को रिव्यू नहीं किया जा सकता है। फिर उन्होंने अंपायर को बताया कि वह कैच का रिव्यू कर रहे हैं, जबकि उन्हें मालूम था कि गेंद बल्ले पर नहीं लगी है।

दरअसल इसके पीछे सैमसन की सोच यह थी कि अगर मामला तीसरे अंपायर को जाता है तो शायद वाइड का निर्णय वापस हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि तीसरा अंपायर मैदानी अंपायर को सिर्फ आउट या नाट आउट का निर्णय बदलने के लिए बाध्य कर सकता है।

संजू सैमसन ने संभवतः अपना विरोध दर्ज कराने के लिए वाइड करार दी गई गेंद पर कैच आउट की अपील करते हुए डीआरएस के लिए चले गए। संजू सैमसन के निर्णय पर कहा, "मुझे नहीं लगता कि उस गेंद पर कैच आउट होने की कोई संभावना उन्हें लगी होगी, लेकिन खेल के निर्णायक पलों में खिलाड़ियों को वाइड करार की हुई गेंदों पर रिव्यू लेने की छूट मिलनी चाहिए।"

उन्होंने आगे कहा, "आज परिस्थिति अलग थी क्योंकि शुरुआत से ही लग रहा था कि कोलकाता इस मुक़ाबले को जीतने वाली है, लेकिन हम कई बार इस मसले पर चर्चा कर चुके हैं जब अंपायर ने एकदम क़रीबी निर्णयों को गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ दिया हो। इसलिए खिलाड़ियों के पास उन ग़लतियों को सुधारने का मौक़ा मिलना चाहिए। डीआरएस भी इन्हीं ग़लतियों को सुधारने के लिए अमल में लाया गया था। मैं ऐसा होते देखना चाहूंगा।"

वेटोरी और ताहिर ने की डीआरएस के ज़रिए नो बॉल और वाइड चेक करने की मांग

क्रिकइंफ़ो के विशेषज्ञ डैनियल वेटोरी और इमरान ताहिर ने मांग की है कि ऊंची हाइट नो बॉल (कमर से ऊपर की फुलटॉस) और वाइड का निर्णय भी डीआरएस के ज़रिए किया जाना चाहिए। एक्सपर्ट्स की नज़र में भले ही इन गेंदों पर कोई विकेट न गिरे, इसके बावजूद हाइट नो बॉल और वाइड का फ़ैसला थर्ड अंपायर को करना चाहिए। वेटोरी ने यह बात पिछले हफ़्ते म्यूट मी नामक शो में भी कही थी, जिसे उन्होंने क्रिकइंफ़ो टाइम आउट पर सोमवार रात को एक बार फिर दोहराया। दरअसल अंपायर नितिन पंडित ने कोलकाता नाइट राइडर्स की पारी के 19वें ओवर में प्रसिद्ध कृष्णा की तीन गेंदों को तब वाइड करार दे दिया जब प्रसिद्ध कृष्णा द्वारा गेंद रिलीज किए जाने से पहले ही बल्लेबाज़ ने क्रीज़ में घूमना शुरु कर दिया था।

वेटोरी आईपीएल में बतौर कोच अपनी सेवा दे चुके हैं और इस वक़्त बीग बैश में भी कोच की भूमिका अदा कर रहे हैं। हालांकि इमरान ताहिर जो ख़ुद इस वक़्त एक सक्रिय खिलाड़ी हैं वह भी वेटोरी की इस दलील से सहमत दिखे। ताहिर ने कहा, "इस खेल में पहले से ही गेंदबाज़ों के पक्ष में बहुत कम चीज़ें होती हैं, जब बल्लेबाज़ आपकी गेंदों पर चौतरफ़ा प्रहार कर रहा हो तब आपके पास वाइड यॉर्कर और वाइड लेग ब्रेक डालने का ही विकल्प होता है। और अगर यह वाइड हो जाए तब आप मुश्किल में पड़ जाते हैं। लेकिन देखिए, वह एक करीबी मामला था, सैमसन थोड़े हताश भी दिखे। यह 50-50 था, इसलिए मुझे नहीं लगता कि यह कोई बड़ा मसला था। कोलकाता की टीम अच्छा खेल रही थी, वह इस मुक़ाबले को जीतने वाली थी। लेकिन हां, ऐसी गेंदों पर खिलाड़ियों के पास रिव्यू लेने की छूट होनी चाहिए।"

 
राजस्थान रॉयल्स के कोच कुमार संगकारा का भी यही कहना

राजस्थान रॉयल्स के कोच कुमार संगकारा ने वाइड कॉल में निरंतरता बरते जाने की मांग की। उन्होंने पोस्ट मैच प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान कहा, "मुझे लगता है कि वाइड करार दिए जाने के संबंध में निरंतरता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। मुझे लगता है अब कुछ नए नियम हैं, आप वाइड बना नहीं सकते, लेकिन क्रीज़ के चारों ओर घूमकर आप उसे बर्बाद ज़रूर कर सकते हैं। गेंद डाली जाने से पहले आपका मूवमेंट वाइड लाइन के आगे बढ़ने के लिए शुरुआती बिंदु माना जाता है। हालांकि हमने अच्छी क्रिकेट भी नहीं खेली। हालांकि दबाव वाली परिस्थितियों में यब सभी चीज़ें अपनी भूमिका निभाती हैं।हमें एक टीम के तौर पर सुधार करने की ज़रूरत है।"

क्या होगा अगर वाइड और नो पर रिव्यू मिले

यह चर्चा अब भी जारी है कि क्या हर टीम को दो अतिरिक्त रिव्यू लेने की छूट मिलनी चाहिए, लेकिन क्या इससे गेम धीमा नहीं हो जाएगा? या खिलाड़ियों को दो रिव्यू की सीमा में ही किसी भी निर्णय की समीक्षा की छूट मिलनी चाहिए? लेकिन लाइन एक सिर्फ़ एक गाइड की तरह होती है जो गेंद डाली जाने से पहले बल्लेबाज़ के मूवमेंट के आधार पर वह भी खिसकती है। वेटोरी की राय में ऑन फ़ील्ड अंपायर को तमाम सूचनाओं से लैस किया जा सकता है कि बल्लेबाज़ गेंद की रिलीज़ के समय तक कितना मूवमेंट कर चुका था? विकेटों से गुज़रते समय गेंद कितनी दूर थी? और इसके बाद ही अंपायर को रिव्यू में निर्णय लेने की अनुमति मिलनी चाहिए।
ये भी पढ़ें
श्रेयस ने कहा था लय में आ गए तो कोलकाता को रोकना मुश्किल, क्या 2021 की तरह होगी वापसी?