चाबहार डील पर जयशंकर की अमेरिका को दोटूक, छोटी सोच नहीं रखना चाहिए
S Jai shankar On Chabahar Port Deal: चाबहार डील पर भारत से गुस्साए अमेरिका को जयशंकर ने अब करारा जवाब दिया है। बता दें कि भारत ने ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह को लेकर 10 साल की एक डील (Chabahar Port Deal) की है, जिसके अमेरिका बिल्कुल भी खुश नहीं है।
अमेरिका ने भारत को धमकी देते हुए प्रतिबंधों के संभावित जोखिम की चेतावनी दी थी। चेतावनी के एक दिन बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को दो टूक जवाब दिया है। एस जयशंकर ने ये भी साफ कर दिया कि इस परियोजना से पूरे क्षेत्र को फायदा होगा, इसके लिए छोटी सोच को लोगों को स्वीकार नहीं करना चाहिए।
विदेश मंत्री जयशंकर से जब अमेरिका की रुख के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा-- मैंने कुछ टिप्पणियां देखीं, जो की गई थीं, लेकिन मुझे लगता है कि यह लोगों को संवाद करने, समझाने और समझाने का सवाल है कि यह वास्तव में यह सभी के फायदे के लिए है। मुझे नहीं लगता कि लोगों को इसके बारे में छोटी सोच रखना चाहिए'
सबको होगा चाबहार पोर्ट से फायदा: एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका ने पहले ऐसा नहीं किया है, इसलिए, अगर आप चाबहार में बंदरगाह को लेकर अमेरिका के रवैये को देखें, तो पहले वह पोर्ट की व्यापक प्रासंगिकता की सराहना करता रहा है। उन्होंने कहा कि हम इस पर काम करेंगे।
क्या धमकी दी थी अमेरिका ने: बता दें कि अमेरिका ने मंगलवार को चेतावनी दी थी कि तेहरान के साथ व्यापारिक डील पर विचार करने वाले किसी को भी प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में पता होना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि मैं बस यही कहूंगा... ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे और इनको जारी रखा जाएगा। जब उनसे यह पूछा गया कि इन प्रतिबंधों के दायरे में क्या भारतीय कंपनियां भी आ सकती हैं, इस पर वेदांत पटेल मे कहा कि जो कोई भी ईरान के साथ व्यापारिक सौदे पर विचार कर रहा है, उस पर संभावित जोखिम का खतरा बना रहेगा।
क्या है भारत-ईरान चाबहार पोर्ट डील: बता दें कि भारत और ईरान ने चाबहार के शाहिद बेहश्ती बंदरगाह के टर्मिनल के संचालन के लिए एक समझौता किया है। 10 साल के लिए एक डील पर हस्ताक्षर किए गए हैं, यह जानकारी ईरान में भारतीय दूतावास की तरफ से एक्स पर एक पोस्ट के जरिए दी गई। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गनाइजेशन ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
Edited by navin rangiyal