रविवार, 28 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. इतिहास-संस्कृति
  3. भारतीय
  4. Indian king Vikramaditya
Written By
Last Updated : सोमवार, 5 अगस्त 2019 (18:48 IST)

उज्जैन के विश्‍व प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य

उज्जैन के विश्‍व प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य | Indian king Vikramaditya
- आर. हरिशंकर
 
भारत में चक्रवर्ती सम्राट उसे कहा जाता है जिसका कि संपूर्ण भारत में राज रहा है। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य भी चक्रवर्ती सम्राट थे। विक्रमादित्य का नाम विक्रम सेन था। विक्रम-वेताल और सिंहासन बत्तीसी की कहानियां महान सम्राट विक्रमादित्य से ही जुड़ी हुई हैं।
 
 
परिचय : विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान शासक थे। उनका व्यक्तित्व महान था और वे अपने दरबार में विद्वानों को सम्मान देते थे। प्राचीन कथाओं के अनुसार वे एक महान शूरवीर राजा के रूप में लोगों के बीच प्रसंसनीय थे, जो अपनी जनता के बीच साहस और दया के लिए जाने जाते थे। वे उज्जैन के शासक थे। उन्होंने कई हजार वर्ष पहले शासन किया था और अभी भी संपूर्ण भारत के लोगों द्वारा उन्हें सम्मान दिया जाता है। उनके नाम पर एक मंदिर में उज्जैन में है।
 
 
महत्व : राजा विक्रमादित्य अपनी कुशलता के लिए प्रसिद्ध हैं और वे देवी काली के परम भक्त माने जाते हैं। उनकी इस देवी भक्ति के कारण उज्जैन में गढ़कालिका का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।
 
माना जाता है कि विक्रमादित्य ने 1 शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान शासन किया था। उस काल में उनके होने का वैदिक पुस्तकें उनके अस्तित्व को प्रमाणित करती हैं। उसके दरबार में 9 महत्वपूर्ण व्यक्ति थे और उन्हें 9 महत्वपूर्ण रत्नों के रूप में माना जाता था। प्रसिद्ध कवि कालिदास, ज्योतिषी वराहमिहिर उनके दरबार में 9 रत्नों में से थे।
 
 
भव्य पुराण में कहा गया है कि उन्होंने अच्छी तरह से शासन किया और अपने लोगों की अच्छे तरीके से देखभाल की और उनकी समस्याओं को प्रभावी तरीके से हल किया। उनकी शासन अवधि के दौरान उनके राज्य में लोग पीड़ित नहीं थे। किसी की अचानक मृत्यु नहीं हुई, किसी की बीमारी से मृत्यु नहीं हुई और कोई गरीब नहीं था। लोगों की समस्याओं को उनके द्वारा सावधानीपूर्वक हल किया गया और उन्होंने अपने लोगों पर पर्याप्त ध्यान दिया। उन्होंने अपने राज्य पर बहुत ही शानदार तरीके से शासन किया।
 
 
विक्रमादित्य के दरबार में निम्नलिखित 9 रत्न थे-
1. धन्वंतरि
2. क्षपणक
3. अमरसिंह
4. शंकु
5. वेताल भट्ट
6. घटपार्क
7. कालिदास
8. वराहमिहिर
9. वररुचि
 
महान कवि कालिदास के अनुसार उन दिनों में राजा विक्रम के साथ किसी की भी तुलना नहीं की जा सकती थी। उन्होंने प्रतिदिन लोगों को उपहार देकर उन्हें खुश किया है।
 
 
निष्कर्ष : आइए हम उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य को प्रणाम करते हैं उनकी वीरता, कलाओं में उनकी प्रतिभा, लोगों की रक्षा में उनकी रुचि के लिए और काली में उनकी भक्ति के लिए। आइए हम उन्हें बहुत अच्छे तरीके से अपने शहर पर शासन करने और अपने लोगों और अपने शहर को दुश्मनों से बचाने के लिए सम्मानित करें। वे अभी भी उन लोगों के दिलों में रह रहे हैं, जो अभी भी उन्हें और उसके इतिहास को मानते हैं। आइए, हम महान राजा विक्रमादित्य से प्रार्थना करें कि वे हमें एक धन्य जीवन दें और उनके नाम का हम निरंतर जाप करें और वे हमें हमेशा के लिए खुशी से जीने दें।
 
ये भी पढ़ें
6 अगस्त 2019 के शुभ मुहूर्त