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Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024 (12:20 IST)

कैसे हिल स्टेशनों की पहचान बन गए अंग्रेजों द्वारा बनवाए मॉल रोड, आज भी हैं पहाड़ों का प्रमुख आकर्षण

जानिए मॉल रोड का इतिहास और उनका ऐतिहासिक महत्व

Mall Road
Mall Road

Mall Road at Hill stations: भारत के प्रमुख हिल स्टेशनों जैसे शिमला, मसूरी, नैनीताल और दार्जिलिंग की एक खास पहचान है—मॉल रोड। यह सड़कें न केवल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं, बल्कि इनका ऐतिहासिक महत्व भी है। मॉल रोड का निर्माण अंग्रेजों के समय में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य उच्च अधिकारियों और ब्रिटिश शासकों के आराम और मनोरंजन का केंद्र बनाना था। इस लेख में हम जानेंगे कैसे मॉल रोड हिल स्टेशनों की पहचान बन गए और उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है।

मॉल रोड का ऐतिहासिक महत्व
भारत के हिल स्टेशनों में मॉल रोड का नाम सुनते ही एक ख़ास छवि उभरती है—चहल-पहल, दुकानों की कतारें, और सैलानियों का हुजूम। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मॉल रोड्स का निर्माण कब और क्यों हुआ? इसका श्रेय अंग्रेजों को जाता है, जिन्होंने भारत के हिल स्टेशनों को न सिर्फ़ विकसित किया, बल्कि मॉल रोड जैसे स्थानों को उनकी पहचान का हिस्सा बना दिया।

 
क्यों करवाया था अंग्रेजों ने मॉल रोड का निर्माण
अंग्रेजों ने 19वीं सदी के दौरान कई हिल स्टेशनों का निर्माण करवाया, मुख्यतः अपनी गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने के लिए। शिमला, नैनीताल, मसूरी और दार्जिलिंग जैसे स्थान अंग्रेजों के पसंदीदा ग्रीष्मकालीन रिहाइशी स्थल बन गए थे। गर्मियों में भारत के मैदानी इलाकों की तपिश से बचने के लिए, अंग्रेज इन हिल स्टेशनों का रुख़ करते थे। मॉल रोड का निर्माण इन्हीं हिल स्टेशनों के बीच एक मुख्य सार्वजनिक क्षेत्र के रूप में किया गया था।

ये सड़कें आमतौर पर शहर के केंद्र में स्थित होती थीं और इनके आसपास होटल, रेस्तरां, दुकानें और अन्य सुविधाएं होती थीं। ब्रिटिश अधिकारी और उनके परिवार यहां शाम को टहलने और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए आते थे। 
 
मॉल रोड का ऐतिहासिक महत्व
19वीं सदी में जब भारत में ब्रिटिश राज का विस्तार हो रहा था, अंग्रेज अधिकारियों ने भारत के विभिन्न हिस्सों में ठंडी और आरामदायक जगहों की खोज की। यही खोज उन्हें भारत के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में ले गई, जहां ठंडी जलवायु और प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थानों पर उन्होंने हिल स्टेशन विकसित किए। मॉल रोड का निर्माण अंग्रेजों ने इसलिए करवाया ताकि वे इन हिल स्टेशनों पर अपनी छुट्टियां बिता सकें और शाही जीवन का आनंद ले सकें।
अंग्रेजों ने मॉल रोड को मुख्य बाजार और उच्च समाज के लोगों के मिलने-जुलने के स्थान के रूप में तैयार किया। यहां पर घुड़सवारी, टहलना और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था।

मॉल रोड को अंग्रेज अधिकारी और उनके परिवार के लोग टहलने, खरीदारी और सामाजिक मेल-जोल के लिए इस्तेमाल करते थे। यह मुख्य सड़क न केवल प्रशासनिक केंद्र थी, बल्कि यह स्थान उच्च वर्ग के लोगों के लिए सामाजिक गतिविधियों का केंद्र भी बन गया था। उस समय के अंग्रेजों के लिए मॉल रोड एक स्टेटस सिंबल था।

 
कैसे मिला नाम मॉल रोड
मॉल रोड का नाम 'मॉल' ब्रिटेन की सड़कों से लिया गया है, जो समाज के ऊंचे तबके के लोगों के घूमने के लिए बनाई जाती थीं। ब्रिटेन की इन सड़कों को  भी उच्च वर्ग के लोगों के मिलने-जुलने के स्थान के रूप में जाना जाता था। यहां भी कुलीन समाज के लोग खरीदी के साथ विभिन्न संस्कृतिक और मनोरंजन की गतिविधियां आयोजित के जाती थीं।

हिल स्टेशन पर मॉल रोड है पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण
आज मॉल रोड हिल स्टेशनों का एक प्रमुख आकर्षण है। यह सड़कें अब केवल अंग्रेजों के लिए नहीं, बल्कि हर वर्ग के पर्यटकों के लिए हैं। मॉल रोड पर कई कैफे, रेस्टोरेंट, दुकानें और हस्तशिल्प बाजार हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। हिल स्टेशन पर घूमने आने वाले लोग मॉल रोड पर चहल-पहल, खरीदारी और खाने-पीने का आनंद उठाते हैं। इसके अलावा, मॉल रोड से अक्सर पहाड़ों के खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं।

मॉल रोड हिल स्टेशनों की पहचान बन चुके हैं और यह न केवल आधुनिक पर्यटन का हिस्सा हैं, बल्कि हमारे इतिहास और संस्कृति का भी अहम भाग हैं। अंग्रेजों द्वारा विकसित किए गए ये सड़कें अब भारत की प्रमुख पर्यटन स्थलों का केंद्र बन चुकी हैं। चाहे आप शांति की तलाश में हों या खरीदारी और खाने-पीने का आनंद लेना चाहें, मॉल रोड हर किसी के लिए खास है।

मॉल रोड का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
मॉल रोड सिर्फ़ एक सड़क नहीं है, बल्कि यह भारत के हिल स्टेशनों की सांस्कृतिक धरोहर भी है। यहां की दुकानों पर मिलने वाली वस्तुएं स्थानीय संस्कृति की झलक दिखाती हैं। साथ ही, यह जगह विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए एक साझा जगह बन गई है—चाहे वो युवा हों, बुजुर्ग हों, या परिवार हों।

मॉल रोड पर चलना एक अनुभव है, जहां आप आधुनिकता और पुरानी विरासत दोनों को एक साथ महसूस कर सकते हैं। यहां पर आज भी पुराने समय के कई भवन और संरचनाएं अंग्रेजों के दौर की याद दिलाती हैं।

मॉल रोड का पर्यटन में महत्व
मॉल रोड आज हिल स्टेशनों का दिल कहा जा सकता है। यहाँ पर ना केवल स्थानीय लोग, बल्कि देश-विदेश से आने वाले सैलानी भी आकर्षित होते हैं। यह स्थान पर्यटन को बढ़ावा देने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सर्दियों में बर्फ से ढकी सड़कें हों या गर्मियों की ठंडी हवाएं, मॉल रोड पर हर मौसम में पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है।

सैलानी यहाँ घूमने, खरीदारी करने और मौसम का लुत्फ़ उठाने आते हैं। मॉल रोड की ऊंचाई और यहां से दिखने वाले पहाड़ों के नज़ारे इसे और भी आकर्षक बनाते हैं। मॉल रोड का निर्माण अंग्रेजों ने किया था, लेकिन यह अब भारतीय हिल स्टेशनों का अभिन्न अंग बन चुका है। यह सिर्फ़ एक सड़क नहीं, बल्कि यहां की संस्कृति, इतिहास और आधुनिकता का संगम है। अगर आप कभी भी किसी हिल स्टेशन जाएं, तो मॉल रोड पर घूमने का अनुभव ज़रूर लें—यह आपको उस स्थान के दिल से जोड़ देता है।
 


भारत के मशहूर मॉल रोड
  • मसूरी मॉल रोड: उत्तराखंड में स्थित मसूरी मॉल रोड भारत के सबसे मशहूर मॉल रोड में से एक है। यह सड़क दून घाटी के खूबसूरत दृश्यों के साथ एक शानदार हैंगआउट स्पॉट है।
  • शिमला मॉल रोड: हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित मॉल रोड भी एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट है। यहां आपको ब्रिटिश काल की कई ऐतिहासिक इमारतें देखने को मिल जाएंगी।
  • नैनीताल मॉल रोड: उत्तराखंड का नैनीताल मॉल रोड नैनी झील के किनारे मौजूद है। यह सड़क भी खरीदारी, खाने-पीने और घूमने-फिरने के लिए एक बढ़िया जगह है।
  • दार्जिलिंग मॉल रोड: पश्चिम बंगाल में स्थित दार्जिलिंग मॉल रोड की बात करें, तो यहां आपको बेहद खूबसूरत चाय के बागान देखने को मिलेंगे यानी शांत वातावरण के साथ आप शॉपिंग और टूरिज्म का मजा ले सकेंगे।