शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. होली
  4. Poem On Holi
Written By WD

कविता: रंगों की जात नहीं होती

कविता: रंगों की जात नहीं होती - Poem On Holi
संजय वर्मा "दृष्टि "
बात नहीं होती
रंगों की कोई जात नहीं होती 
भाई-चारे के देश में दुश्मनी की बात नहीं होती 
ये खेल है प्रेम की होली का 
मिलकर रहते इसलिए टकराव की बात नहीं होती


 
रंगे चेहरों से दर्पण की बात नहीं होती
वृक्ष भी रंगे टेसू से मगर पहाड़ों से बात नहीं होती 
ये खेल है प्रेम की होली का 
बिना रंगे तो प्रकृति भी खास नहीं होती
 
पानी न गिरे तो नदियां खास नहीं होती 
सूरज बिना इंद्रधनुष की औकात नहीं होती
ये खेल है प्रेम की होली का 
फूल न खिले तो खुशबुओं में बात नहीं होती
नींद बिना सपनों की बात नहीं होती 
दिल मिले बिना प्रेम में उजास नहीं होती 
 
ये खेल है प्रेम की होली का 
साथी हो तो सजने की बात नहीं होती