बरसाने की होली, लट्ठमार हुड़दंग की 7 प्रमुख बातें
देशभर में उत्तर प्रदेश के ब्रज मंडल के बरसाने की होली ज्यादा प्रसिद्ध है। बरसाना राधा रानी का जन्म स्थान है। वहां की होली को होरी या फागु उत्सव कहते हैं। इस होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां कई तरह से होली खेलते हैं। जैसे रंग लगाकर, डांडिया खेलकर, लट्ठमार होली आदि। फाल्गुन मास की नवमी से ही पूरा ब्रज रंगीला हो जाता है।
1. ब्रज में रंगों के त्योहार होली की शुरुआत वसंत पंचमी से प्रारंभ हो जाती है। इसी दिन होली का डांडा गढ़ जाता है।
2. महाशिवरात्रि के दिन श्रीजी मंदिर में राधारानी को 56 भोग का प्रसाद लगता है।
3. अष्टमी के दिन नंदगांव व बरसाने का एक-एक व्यक्ति गांव जाकर होली खेलने का निमंत्रण देता है।
4. नवमी के दिन जोरदार तरीके से होली की हुड़दंग मचती है। नंदगांव के पुरुष नाचते-गाते छह किलोमीटर दूर बरसाने पहुंचते हैं। इनका पहला पड़ाव पीली पोखर पर होता है।
5. इसके बाद सभी राधारानी मंदिर के दर्शन करने के बाद लट्ठमार होली खेलने के लिए रंगीली गली चौक में जमा होते हैं। इस दिन कृष्ण के गांव नंदगांव के पुरुष बरसाने में स्थित राधा के मंदिर पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं लेकिन बरसाने की महिलाएं एकजुट होकर उन्हें लट्ठ से खदेड़ने का प्रयास करती हैं। इस दौरान पुरुषों को किसी भी प्रकार के प्रतिरोध की आज्ञा नहीं होती। वे महिलाओं पर केवल गुलाल छिड़ककर उन्हें चकमा देकर झंडा फहराने का प्रयास करते हैं। अगर वे पकड़े जाते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है और उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनाकर श्रृंगार इत्यादि करके सामूहिक रूप से नचाया जाता है।
6. दशमी के दिन इसी प्रकार की होली नंदगांव में होती है। वहीं लट्ठमार होली।
7. राधा-कृष्ण के वार्तालाप पर आधारित बरसाने में इसी दिन होली खेलने के साथ-साथ वहां का लोकगीत 'होरी' गाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। मिठाइयां बांटते हैं। भांग का सेवन करते हैं। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है।