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Written By रवींद्र व्यास

हवा में पिरोता रोशनी के फूल

कवयित्री अनीता वर्मा की कविता और प्रेरित कलाकृति

हवा में पिरोता रोशनी के फूल -
Ravindra VyasWD
अनीता वर्मा समकालीन हिंदी कविता परिदृश्य में अपनी विचलित कर देने वाली कोमल भावनाओं की कवयित्री हैं। ये कोमल भावनाएँ गहरी पीड़ा और अपनी भीतरी दुनिया के विचलित कर देने वाले अन्वेषण का प्रतिफल हैं। यही कारण है कि वे गहरा मानवीय मर्म हासिल करती हैं। उनकी एक कविता है हृदय। यह कविता उन्होंने शायद अपने ऑपरेशन के बाद लिखी है जिसमें एक निजी अनुभव किस तरह से अपनी ही आंतरिक और फिर बाहरी दुनिया से एक रागात्मक संबंध बनाता है जो उनके कलात्मक संयम का ही एक साक्ष्य है।

यह कविता इन पंक्तियों से शुरू होती है।

इसकी भाषा सपनों की है
चला जाता है दूर
दूसरे हृदयों की खोज में
अदृश्य खिड़कियाँ खोलता हुआ
दुख की छाया में बैठकर सुस्तात
हवा में पिरोता रोशनी के फू

जाहिर है इसमें कोमल भावनाएँ तो हैं लेकिन इसमें दुःख की छाया और रोशनी के फूल मिलकर इसे एक व्यापकतर अर्थ देते हैं और यह कविता निजी अनुभव की जमीन पर रहते हुए भी उससे मुक्त होने की उड़ान में है और किसी सार्वभौमिक सत्य की खोज में विकल भी।

अभी यह मेरे भीतर था
ब्रह्मांड से एकाकार बजता हुआ
टिक-टिक टक-टक मेरा सम

इन पंक्तियों में अपने अनुभव को देखने की एक जरूरी दूरी है, तटस्थता है। बिना ज्यादा भावुक हुए। भरसक अपने को संयत रखते हुए। ब्रह्मांड से एकाकार बजता हुआ पंक्ति इसे ज्यादा मानीखेज, ज्यादा मार्मिक बनाती है।

अब यह टेबल पर रखा है
मुझसे बाहर और अलग
कुछ अनजान हाथों में
दिल के माहिर रफ़ूगरों के बी

जीवन की आभा दमकती है
इसके रक्तहीन मुख पर
इस तरह वह जीता है मेरे बग़ैर
खुली हवा में साँस लेता हुआ
देखता हुआ रंग, स्पर्श और चेहर

इन पंक्तियों तक आते आते यह कविता अपनी संवेदनशीलता में किसी पारदर्शी जल की तरह झिलमिलाती आपको छूने लगती है। आप एक सधे लेकिन गहरे बहाव में साथ बहते हैं। सतर्क, चौकन्ने, देखते और महसूस करते हुए। उसके रंग को, उसके स्पर्श को उसके चेहरे को।

किसी टेबल पर रखा है मेरा अकेलापन
मैं एक कोने में वह दूसरे कोने में
बेसुध होते हुए भी मैं इन्तज़ार करती हूँ
उसके लौटने क
अँधेरे में टटोलती हूँ अपना आसपास
वह भेजता है अपनी धड़कन
दूर कहीं ब्रह्मांड से....

और यह कविता का जादू है। वह किसी टेबल से उठकर एक छलांग लेती हुए दूर कहीं ब्रह्मांड से जुड़ जाती है। अपने से जुड़ जाते है। हमको भी जोड़ देती है। हमसे ही, ब्रह्मांड से भी। इसकी मार्मिकता यह है कि यह हृदय जिसकी भाषा सपनों की है और जो एक कोने में रखा है हमें अपनी धड़कन के प्रति सचेत करता है। यह हमारी ही धड़कनों का लौटना है। महसूसना है। यह वही हृदय है जो दूसरे हृदयों की खोज में अदृश्य खिड़कियाँ खोलता है। और यह भी कि दुःख की छाया में सुस्ताता, हवा में रोशनी के फूल पिरोता है।

यह कविता अपने मर्म और धैर्य से, संयम और कोमलता से हमारे जीवन में रोशनी के फूल पिरोती है।