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Last Updated : शनिवार, 11 सितम्बर 2021 (18:41 IST)

गणेश उत्सव : गणपति जी की 4 भुजाओं के 4 रहस्य

गणेश उत्सव : गणपति जी की 4 भुजाओं के 4 रहस्य - Char Bhuja Dhari Ganesh
वैसे जो गणेशजी की दो भुजाएं हैं परंतु विशेषावतार के समय उन्हें चार भुजाधारी बताया गया है। उनकी चारों भुजाओं के चारों हाथों में चार वस्तुएं होती हैं। उनकी चार भुजाओं में से एक हाथ में अंकुश, दूसरे हाथ में पाश, तीसरे हाथ में मोदक व चौथे में आशीर्वाद है। आओ जानते हैं कि उनकी चार भुजाओं का क्या है रहस्य।
 
 
1. पहली भुजा : उनके पहले हाथ में अंकुश इस बात का सूचक है कि कामनाओं पर संयम जरूरी है।
 
2.दूसरी भुजा : उनकी दूसरी भुजा में पाश इस बात का सूचक है कि हर व्यक्ति को स्वयं के आचरण और व्यवहार में इतना संयम और नियंत्रण रखना जरूरी है, जिससे जीवन का संतुलन बना रहे। पाश नियंत्रण, सयंम और दण्ड का प्रतीक है।
 
3.तीसरी भुजा : उनकी तीसरी भुजा में मोदक होता है। मोदक का अर्थ जो मोद (आनन्द) देता है, जिससे आनन्द प्राप्त हो, संतोष हो। तन और मन में संतोष होना जरूरी है, तभी आप जीवन का वास्तविक आनंद पा सकते हैं। कैसे आता है संतोष?
 
दरअसल, जैसे मोदक को थोड़ा-थोड़ा और धीरे-धीरे खाने पर उसका स्वाद और मिठास अधिक आनंद देती है और अंत में मोदक खत्म होने पर आप तृप्त हो जाते हैं, उसी तरह वैसे ही ऊपरी और बाहरी ज्ञान व्यक्ति को आनंद नहीं देता परंतु ज्ञान की गहराई में सुख और सफलता की मिठास छुपी होती है।
 
4.चौथी भुजा : इस भुजा से वह भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। जो अपने कर्म के फलरूपी मोदक भगवान के हाथ में रख देता है, उसे प्रभु आशीर्वाद देते हैं। यही चौथे हाथ का संदेश है।