• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. गणेश चतुर्थी 2022
  3. गणेश चतुर्थी पूजा
  4. Why do we offer Durva to Shri Ganesh
Written By
Last Updated : मंगलवार, 30 अगस्त 2022 (11:22 IST)

श्री गणेश को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा, जानिए क्या है कारण, नियम और मंत्र

श्री गणेश को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा, जानिए क्या है कारण, नियम और मंत्र - Why do we offer Durva to Shri Ganesh
Ganesh Chaturthi 2022 : 31 अगस्त 2022 बुधवार से शुभ योग में गणेश उत्सव प्रारंभ हो रहे हैं। शुक्ल पक्ष वाली चतुर्थी को दूर्वा गणपति चौथ कहा जाता है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेशजी की प्रतिमा का मंगल प्रवेश, स्थापना और पूजा होती है। गणेशजी की पूजा में मोदक, जनेऊ के साथ ही दूर्वा विशेष रूप से अर्पित की जाती है। आओ जानते हैं कि गणपतिजी को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा। दूर्वा अर्पित करने के नियम और मंत्र।
 
क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा : अन्य पौराणिक कथा के अनुसार अनलासुर नाम के राक्षस ने बहुत उत्पात मचा रखा था। अनलासुर ऋषियों और आम लोगों को जिंदा निगल जाता था। दैत्य से परेशान होकर देवी-देवता और ऋषि-मुनि महादेव से प्रार्थना करने पहुंचे। शिवजी ने कहा कि अनलासुर को सिर्फ गणेशजी ही मार सकते हैं। सभी देवताओं ने गणेशजी की आराधना की। देवताओं की आराधना से प्रसन्न होकर गणेशजी उस राक्षस से युद्ध करते हुए उसे निगल गए थे और तब दैत्य के मुंह से तीव्र अग्नि निकली जिससे गणेश के पेट में बहुत जलन होने लगी। इस जल को शांत करने के लिए कश्यप ऋषि ने उन्हें दूर्वा की 21 गांठें बनाकर खाने के लिए दी। दूर्वा को खाते ही गणेश जी के पेट की जलन शांत हो गई और गणेशजी प्रसन्न हुए। कहा जाता है तभी से भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई। हालांकि इस संबंध में और भी कथाएं प्रचलित हैं।
 
दूर्वा चढ़ाने का नियम : प्रात:काल उठकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर व्रत और पूजा का संकल्प लें। फिर ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र बोलते हुए जितनी पूजा सामग्री उपलब्ध हो उनसे भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर लगाएं। फिर उन्हें 21 गुड़ की ढेली के साथ 21 दूर्वा चढ़ाएं। मतलब 21 बार 21 दूर्वा की गाठें अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा गणेशजी को मोदक और मोदीचूर के 21 लड्डू भी अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और फिर प्रसाद बांट दें।
दूर्वा अर्पित करने का मंत्र : 'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि।' इस मंत्र के साथ श्रीगणेशजी को दूर्वा चढ़ाने से जीवन की सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं और श्रीगणेशजी प्रसन्न होकर सुख एवं समृद्धि प्रदान करते हैं।
 
क्या होगा दूर्वा अर्पित करने से : इस दिन गणेशजी को दूर्वा चढ़ाकर विशेष पूजा की जाती है। ऐसा करने से परिवार में समृद्धि बढ़ती है और मनोकामना भी पूरी होती है। इस व्रत का जिक्र स्कंद, शिव और गणेश पुराण में किया गया है।
 
दूर्वा की उत्पत्ति : दूर्वा एक प्रकार की घास है जिसे प्रचलित भाषा में दूब भी कहा जाता है, संस्कृत में इसे दूर्वा, अमृता, अनंता, गौरी, महौषधि, शतपर्वा, भार्गवी आदि नामों से जाना जाता है। दूर्वा कई महत्वपूर्ण औषधीय गुणों से युक्त है। इसका वैज्ञानिक नाम साइनोडान डेक्टीलान है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत-कलश निकला तो देवताओं से इसे पाने के लिए दैत्यों ने खूब छीना-झपटी की जिससे अमृत की कुछ बूंदे पृथ्वी पर भी गिर गईं थी जिससे ही इस विशेष घास दूर्वा की उत्पत्ति हुई।
ये भी पढ़ें
आत्मशुद्धि का महायज्ञ है पर्युषण पर्व