चक्काजाम के बाद अब 18 फरवरी को रेल रोकेंगे किसान, मशाल जुलूस का भी किया ऐलान, जानें क्या है तैयारी
नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करते हुए प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों ने 18 फरवरी को 4 घंटे के राष्ट्रव्यापी रेल रोको अभियान की बुधवार को घोषणा की।
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में यह भी घोषणा की कि राजस्थान में 12 फरवरी से टोल संग्रह नहीं करने दिया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि पूरे देश में 18 फरवरी को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक रेल रोको अभियान चलाया जाएगा। तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर इस महीने के शुरू में उन्होंने 3 घंटे के लिए सड़कों को अवरुद्ध किया था।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. दर्शन पाल ने बताया कि किसानों द्वारा 12 फरवरी से राजस्थान के सभी रोड के टोल प्लाजा को टोल फ्री कर दिया जाएगा। 14 फरवरी को देशभर में कैंडल मार्च, मशाल जुलूस और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें पुलवामा हमले में शहीद सैनिकों के बलिदान को याद किया जाएगा। 16 फरवरी को किसान सर छोटूराम की जयंती पर देशभर में एकजुटता दिखाएंगे।
केंद्र में नहीं चाहते सत्ता परिवर्तन : भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि आंदोलनकारी किसान केंद्र में कोई सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसान नेता आंदोलन के प्रसार के लिए देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे।
टिकैत ने सिंघू बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि केंद्र कृषकों के मुद्दों का समाधान नहीं कर देता। उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन (केंद्र में) का हमारा कोई उद्देश्य नहीं है। सरकार को अपना काम करना चाहिए।
हम कृषि कानूनों को निरस्त कराना और एमएसपी पर कानून चाहते हैं। टिकैत ने यह भी कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे की एकता अक्षुण्ण है और सरकार को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि देशभर में बड़ी बैठकों का आयोजन कर और 40 लाख ट्रैक्टरों को शामिल कर आंदोलन को विस्तारित किया जाएगा। टिकैत ने कहा कि किसान नेता आंदोलन के प्रसार के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा करेंगे।
कानून का विकल्प नहीं दे पाई सरकार : संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को कहा कि किसान इसलिए अब भी आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि केन्द्र सरकार के मंत्री तीन नए कृषि कानूनों का कोई विकल्प पेश करने में विफल रहे हैं।
एसककेएम दिल्ली की सीमाओं पर केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहा हैं। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन पर एसकेएम नेता दर्शन पाल ने कहा कि किसान संगठन के नेता किसानों के असली मुद्दे उठा रहे हैं।
पाल ने एक वीडियो संदेश में कहा कि आंदोलन इसलिए जारी है क्योंकि 11 दौर की बातचीत के बाद भी मोदी सरकार के मंत्री नये कानूनों या न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई ठोस विकल्प सामने नहीं ला पाए।