दशहरा : बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव
वैदिक काल से ही भारतीय संस्कृति, ज्ञान, धर्म और वीरता के लिए सिद्ध रही है। भारतीय संस्कृति की यश पताका संसार में हमेशा से फहरा रही है। भारत अपनी संस्कृति की प्रधानता के कारण विश्वगुरु के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इस ज्ञान गौरव से प्रभावित होकर अनेक विदेशियों ने यहां आकर ज्ञानार्जन किया।
जहां भारत की संस्कृति के उत्थान, विकास तथा स्थायित्व में भारतीय त्योहार, धार्मिक उत्सवों में भी महत्वपूर्ण योगदान किया है। दशहरा उत्सव भारतीय समाज में कौशल एवं पराक्रम से नवीन उत्साह का संचार करता है।
दशहरा उत्सव अपने कलेवर में अनेक ऐतिहासिक घटनाएं समेटे हुए हैं। वास्तव में दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है।
भारत में अनेक विदेशी आक्रांता आए और भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए अनेक प्रयास किए, लेकिन अपने प्रयास में सफल नहीं हुए।
विजयादशमी के अवसर पर हम सभी को यह सोचना चाहिए कि हमें देश की प्रगति के लिए अपनी तमाम बुराइयों को खत्म करके समाजसेवा में भागीदार बनकर समाज एवं देश की उन्नति करें, यही हमारी असली जीत होगी।
खास कर नई युवा पीढ़ी को देशसेवा के लिए आगे आना चाहिए, क्योंकि युवा ही देश को आगे बढ़ाने में सहायक बनेंगे।
युवा देश का भविष्य होते हैं। विजयादशमी पर्व के प्रति आदर और प्रेमभाव रखकर अपने जीवन को अच्छा बनाने की जरूरत है। युवा आज चाहे वह किसी भी समाज का हो, पर अपनी समस्त बुराइयों को खत्म कर दशहरा पर्व मनाना चाहिए।