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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 30 जून 2021 (16:16 IST)

Doctors' day special: कोरोना के भय व भ्रम को दूर करने के लिए जागरूकता कैंपेन चलाने वाले डॉक्टर की कहानी

Doctors' day special: कोरोना के भय व भ्रम को दूर करने के लिए जागरूकता कैंपेन चलाने वाले डॉक्टर की कहानी - Doctors' day special Story
भोपाल। कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बिना डॉक्टरों ने हमारी सेवा की है। इंसानियत पर आए सबसे बड़े खतरे कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में डॉक्टरों को कई मोर्चे पर चुनौतियों से जूझना पड़ा है। डॉक्टर्स डे पर ‘वेबदुनिया’ कोरोनाकाल में अपनी सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता के सिद्धांत पर चलते उन डॉक्टरों से आपको मिलवा रहा जिन्होंने कोरोना के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ-साथ समाज में महामारी को लेकर फैले भ्रम और भय को भी दूर करने में बड़ी भूमिका निभाई है। 
 
राजधानी भोपाल के मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कोरोना योद्धाओं में आने वाला एक ऐसा नाम है जिन्होंने महामारी को लेकर फैले भय और भ्रम को दूर करने के लिए जागरूकता कैंपेन चलाकर लोगों को कोरोना से मुकाबला करने के लिए मानसिक रुप से तैयार किया। 
 
कोरोनाकाल में ‘वेबदुनिया’ के जरिए लगातार  लोगों को महामारी को लेकर जागरुक करने वाले डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि “महामारी के दौर में मैंने व्यकितगत तौर पर अनुभव किया कि करियर में ऐसे मौके बहुत कम आएंगे जब हम लोगों की मदद कर सकेंगे। महामारी के दौर में लोग अपने परिजनों की चिंता में डिप्रेशन में आकर परेशान होकर जब भी फोन किया तो मैंने पूरी कोशिश की कि मैं उनके सवालों का जवाब देकर उनको कुछ राहत दे सकूं। इसके साथ सोशल मीडिया के जरिए  लगातार लोगों को कोरोना महामारी को लेकर जागरुक किया”।
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी  कोरोनाकाल में अब तक हुए अपने अनुभवों के आधार पर कहते हैं कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो डॉक्टरों की बहुत बड़ी भूमिका होगी इसलिए हमको डॉक्टरों को बहुत संभाल कर रखना होगा। अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को महामारी से बचाने वाले डॉक्टर के प्रति  लोगों का जो संकुचित व्यवहार है उसे बदलना होगा। 
 
वह मध्यप्रदेश के साथ देश के कई स्थानों पर डॉक्टरों पर हुए हमले और डॉक्टरों पर हुई छींटाकशी का जिक्र करते हुए कहते हैं कि यह समझना होगा कि एक डॉक्टर को असली खुशी तभी मिलती है जब उसका मरीज स्वस्थ होता है। वह कहते हैं कि डॉक्टर भी पहले इंसान है फिर डॉक्टर है इसलिए उसे भले ही डॉक्टर को भगवान का दर्जा न दीजिए लेकिन इंसान का दर्जा तो हर किसी को देना चाहिए। 
 
कोरोनाकाल में परिवार की सुरक्षा को लेकर आने वाली चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हुए  डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि महामारी के खिलाफ लड़ाई एक सौ मीटर की रेस नहीं मैराथन थी और जिसमें हमको अपने परिवार वालों की सुरक्षा भी सुरक्षित करने थी। ऐसे में बहुत सी चुनौतियों से जूझते हुए परिवार का ध्यान रखते हुए पूरी कोशिश की कि लोगों की सेवा भी कर सकूं।    
 
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