सांता की चिट्ठी आपके नाम...
मेरे प्रिय साथियों,
मैरी क्रिसमस,
हर साल मुझे आपके सुख-दुख के लाखों पत्र मिलते हैं। इन पत्रों में खुशबू होती है आपके मीठे प्यार की। कभी आंसू की बरखा होती है, कभी तकलीफों का पिटारा, कभी चहकती खुशियां तो कभी गमगीन दुनिया। हर पत्र के साथ मैं रोता हूं, मुस्कुराता हूं और कभी-कभी घंटों बैठकर सोचता हूं। सोचता हूं, आखिर एक मानव इस दुनिया में चाहता क्या है? छोटी-छोटी मासूम खुशियां, सच्चा प्यार, अपनों की प्रगति, बड़ों का आशीर्वाद और भरपूर शांति। फिर क्यों आपकी इसी दुनिया में चारों तरफ नफरतों की जंग छिड़ी हुई है। क्यों हर साल बिना किसी गुनाह के सैकड़ों लोग मारे जाते हैं? आप सबके पत्र मुझसे मांगते हैं अपने लिए जिंदगी भर की दुआएं और आज मैं आपसे मांगता हूँ पल भर का सुकून। आप सब चाहते हैं आपकी जिंदगी में रौनक रहे, रोशनी रहे और मैं इस क्रिसमस पर आपसे चाहता हूं इस धरती पर शांति का श्वेत उजाला बना रहे।
मैं आपको इस क्रिसमस पर देना चाहता हूं शांति के सफेद कबूतर लेकिन देखता हूं आपके हाथों में उन्हीं का लाल खून। तब तड़प उठती है मेरी आत्मा। इस बार जब आप क्रिसमस ट्री को सजाओं, तो मत भूलना अपने देश के उन नन्हे नौनिहालों को जिनके तन पर जरूरत के कपड़े भी नहीं सजे हैं। जब बनाओं क्रिसमस ड्रायफ्रूट्स केक, तो मत भूलना भूख से बेहाल उन बच्चों को जिन्हें सूखी रोटी भी नसीब नहीं। और जब क्रिसमस पार्टी में सांता यानी मेरा रूप धारण कर झूमों, तो मत भूलना कि खुशियों का पैगाम लाने वाला आपका अपना सांता खुश नहीं है गंदगी में जीवन बिताने वाले हजारों बाल मजदूरों का रूप देखकर। मैं आपका अपना सांता आज पत्र लिख रहा हूं उन सारे जिम्मेदार और जहीन लोगों के नाम जो मुझसे अब तक सिर्फ और सिर्फ अपने लिए ही उपहार मांगते रहे हैं आज मैं उनसे उपहार चाहता हूं। चाहता हूं कि देखें अपने आसपास के गरीब, बेबस, शारीरिक रूप से अक्षम, अनाथ, मजदूर और मजबूर इंसानों को। और मनाएं क्रिसमस का पावन पर्व उनको एक पल की खुशी का उपहार देकर।