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सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स- फिल्म समीक्षा

सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स- फिल्म समीक्षा - Sachin: A Billion Dreams, Film Review, Sachin Tendulkar, Samay Tamrakar
सचिन तेंदुलकर को कितना पसंद किया जाता है इसकी मिसाल मुझे फिल्म देखते समय मिली। एक सचिन फैन, जो कि मेरे पास बैठा हुआ था, ने अपने आठ-नौ वर्षीय बेटे को झिड़क दिया जो कि विराट कोहली का फैन था। विराट के स्क्रीन पर आते ही वह झूम उठता है और विराट की तारीफ करने लगता है, तब उसका पिता उसे जोर से कहता है ये सब तो सचिन के आगे पानी भरते हैं। 
 
सचिन तेंदुलकर को भारतीय क्रिकेट का भगवान माना जाता है। इस 'गॉड ऑफ क्रिकेट' ने अपने करोड़ों भक्तों को आनंद के ऐसे कई क्षण दिए हैं जिनकी जुगाली कर क्रिकेट प्रेमी जब-तब आनंद लेते रहते हैं। सचिन तेंदुलकर ने अपने करिश्माई खेल से क्रिकेट को भारत में बेहद लोकप्रिय बनाया और जिस तरह से इस खेल में पैसा बरस रहा है उसमें सचिन के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 
 
सचिन तेंदुलकर का अंतरराष्ट्रीय करियर 24 वर्षों का रहा। भारत की ओर से 664 इंटरनेशनल क्रिकेट मैचेस में प्रतिनिधित्व करते हुए 34357 रन बनाए। इतना लंबा करियर, बचपन से आज तक की बातें, मैदान के अंदर और बाहर की गतिविधियों को दो-ढाई घंटे की एक फिल्म में दर्शाना किसी भी फिल्मकार के लिए टेढ़ी खीर है। निर्देशक जेम्स अर्कस्किन ने इस चुनौती को स्वीकारा और वे सफल भी रहे। 
 
'सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स' में सचिन के बचपन से आज तक की प्रमुख घटनाओं को पिरोया गया है। इसमें 'एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी' की तरह ड्रामा नहीं है जिसमें किसी और कलाकार ने धोनी का रोल अदा किया था। यह एक डॉक्यू-फीचर है जिसमें सचिन के बचपन को एक किरदार के जरिये दिखाया गया है, लेकिन बाकी की बातें सचिन सुनाते चलते हैं। 
 
सचिन- ए‍ बिलियन ड्रीम्स की शुरुआत सचिन के बचपन से होती है कि वे किस तरह से यह नटखट बच्चा क्रिकेट के प्रति गंभीर हो गया। किस तरह से सचिन के गुरु रमाकांत आचरेकर ने कितनी कड़ी मेहनत सचिन से कराई।  
 
इसके बाद, सचिन का पहला टेस्ट, उनकी नाक पर गेंद का लगना, अब्दुल कादिर को छक्के जमाना, 1996 का विश्व कप, सचिन के पिता का निधन और उसके बाद फिर से उनका विश्व कप क्रिकेट के लिए इंग्लैंड लौटना, सचिन का कप्तान बनना, 2003 का विश्व कप क्रिकेट का फाइनल, क्रिकेट पर फिक्सिंग का साया, 2001 में ऑस्ट्रेलिया से हुआ कोलकाता टेस्ट मैच, सचिन बनाम वॉर्न सीरिज़, चैपल का प्रशिक्षक बनना और फिर 2011 का विश्व कप जीतना जैसे कई यादगार लम्हें आंखों के सामने से गुजरते हैं जिन्हें देख सिनेमाहॉल में बैठे क्रिकेट प्रेमी के अंदर भावनाओं का ज्वार घुमड़ता है। कुछ सचिन की यादगार पारियों की भी झलक इनमें मिलती है। 
 
सचिन का इन घटनाओं के प्रति क्या दृष्टिकोण रहा, यह भी जानने को मिलता है। मसलन फिक्सिंग पर उस समय चुप रहने का कारण बताते हुए सचिन ने कहा कि उनके पास बोलने को कुछ नहीं था और न ही सबूत थे। 
 
कुछ नई बातें भी पता चलती हैं। सचिन और अंजली की पहली मुलाकात कैसे हुई थी? जब सचिन तनाव में रहते हैं तो बप्पी लाहिरी द्वारा संगीतबद्ध कौन सा गाना सुनना पसंद करते हैं? कौन सा मैच सचिन अपने करियर का सबसे मुश्किल मैच मानते हैं? शेन वॉर्न ने जब सचिन को पहली बार आउट किया था तो उन्होंने क्या किया था? सचिन को अपने करियर के पहले मैच में नाक पर बॉल लगी थी तो जावेद मियांदाद ने क्या कहा था? विश्वकप क्रिकेट 2011 के फाइनल में सचिन जब आउट हुए थे तब वे क्या महसूस कर रहे थे? सचिन कप्तान क्यों नहीं बनना चाहते थे? विराट कोहली को कब महसूस हुआ कि जब वे बैटिंग के लिए मैदान में जा रहे थे तो ऐसा लगा मानो श्मशान में जा रहे हो? किस मैच के बाद कई खिलाड़ी बाथरूम में जाकर रोए थे? 
 
इन बातों को विराट कोहली, सहवाग, पोटिंग, वॉर्न, सहवाग, युवराज, लारा, गावस्कर जैसे खिलाड़ियों ने भी बताया है। ड्रेसिंग रूम के फुटेज सहित कई ऐसे फुटेज भी हैं जो संभवत: पहली बार सामने आए हैं। जैसे विश्व कप क्रिकेट 2011 का सेमीफाइनल जीतने के बाद कोच गैरी कर्स्टन ने ड्रेसिंग रूम में क्या कहा था? सचिन के निजी संग्रह के भी फुटेज हैं जिनमें उनके पारिवारिक जीवन की झलक मिलती है और ये फिल्म की विश्वसनीयता को बढ़ाते हैं। 
 
सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स में जिस बात की कमी लगती है वो उनके साथ खेले खिलाड़ियों की राय की। कुछ खिलाड़ी फिल्म में दिखाए गए हैं, लेकिन उनकी बात अत्यंत ही संक्षिप्त है। सौरव गांगुली, अनिल कुंबले, ब्रायन लारा, राहुल द्रविड़, सुनील गावस्कर, वसीम अकरम, जैसे खिलाड़ियों के मुंह से सचिन के बारे में बातें सुनना सचिन प्रेमियों को अच्छा लगता, भले ही फिल्म लंबी हो जाती। उनकी कुछ यादगार पारियों का उल्लेख और उनकी बेटिंग तकनीक पर भी बातें की जा सकती थी। 
 
अज़हर से सचिन के मनमुटाव वाला हिस्से सहित कुछ कड़वी यादों को हल्के से छुआ गया है। फिल्म में एक फुटेज कमाल का है जिसमें युवा सचिन से प्रशंसक आटोग्राफ ले रहे हैं और पास में बैठे सुपरस्टार अजहरुद्दीन को कोई पूछ नहीं रहा है। अज़हर की बैचेनी उनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती है। सचिन के खास दोस्त रहे विनोद कांबली गायब हैं। 
 
जेम्स अर्कस्किन ने अपना प्रस्तुतिकरण सीधा और सरल रखा है। उन्होंने सचिन को एक हीरो की तरह पेश किया है और यही बात उनके प्रशंसक देखना चाहते हैं। सचिन, हर्ष भोगले और एक-दो अन्य लोगों की वाइस ओवर के जरिये उन्होंने बात को आगे बढ़ाया है। सचिन कुछ बार कैमरे के सामने असहज लगते हैं, लेकिन इस बात को छोड़ा जा सकता है क्योंकि वे 'अभिनेता' नहीं हैं। सचिन के अंतिम टेस्ट मैच में दिए बिदाई भाषण से फिल्म को खत्म करना मास्टर स्ट्रोक है। 
 
सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स उन लोगों को पसंद आएगी जिनके लिए क्रिकेट 'धर्म' है। सचिन के फैंस को तो यह देखना ही चाहिए। 
 
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 12 मिनट 33 सेकंड 
रेटिंग : 4/5