शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
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Written By समय ताम्रकर

ढिशूम: फिल्म समीक्षा

ढिशूम: फिल्म समीक्षा - Dishoom, Varun Dhawan, John Abraham, Jacqueline Fenrnandez, Rohit Dhawan, Samay Tamrakar, Dhishoom
सत्तर के दशक में जब गुंडे के चेहरे पर हीरो मुक्का जड़ता था तब बैकग्राउंड से आवाज आती थी 'ढिशूम'। ऐसा लगता था कि कोई शख्स यह शब्द बोल रहा है। तब से ढिशूम शब्द दर्शकों को रोमांचित करता आया है और एक्शन का प्रतीक है। शायद इसीलिए निर्देशक रोहित धवन ने अपनी फिल्म का शीर्षक 'ढिशूम' चुना। उन्होंने अपनी फिल्म में रोमांच और एक्शन डालकर मुख्य किरदारों को खूब भगाया है और दर्शकों को रोमांचित करने में वे थोड़ा-बहुत सफल भी हुए हैं। यदि स्क्रिप्ट पर थोड़ी मेहनत और की जाती तो 'ढिशूम' में निखार आ जाता। 
 
फिल्म शुरू होती है एक वीडियो टेप से जिसे विदेश मंत्रालय को भेजा जाता है। इसमें एक आतंकी कहता है कि उसने भारत के मुख्य बल्लेबाज विराज शर्मा का अपहरण कर लिया है। मिडिल ईस्ट में भारत का फाइनल मैच में मुकाबला पाकिस्तान से है और विराज उसमें नहीं खेल पाए ताकि भारत मैच हार जाए। मैच शुरू होने में लगभग 36 घंटे का समय है। भारत से ऑफिसर कबीर (जॉन अब्राहम) को जिम्मेदारी सौंपी जाती है कि वह विराज को ढूंढ कर लाए। मिडिल ईस्ट में कबीर की इस मिशन में मदद करता है जुनैद (वरुण धवन)। 
 
कबीर और जुनैद मिलकर उस आतंकी को ढूंढ लेते हैं, लेकिन वह महज एक अभिनेता रहता है। पुलिस को गुमराह करने के लिए उसका चेहरा दिखाया गया था। कबीर और जुनैद के 12 घंटे इसमें खराब हो जाते है। एक बार फिर नए सिरे से उन्हें शुरुआत करना पड़ती है। कबीर और जुनैद के हाथ ईशिका (जैकलीन फर्नांडिस) लगती है जिसके पास विराज का मोबाइल फोन है। ईशिका एक पॉकेटमार है। उसी के सहारे कबीर और जुनैद आगे बढ़ते हैं और विराज तक जा पहुंचते हैं। 
रोहित धवन और तुषार हीरानंदानी ने मिलकर कहानी और स्क्रीनप्ले लिखा है। कहानी रोचक है और इस पर एक थ्रिलर बनने के सारे गुण मौजूद हैं। फिल्म की शुरुआत बहुत अच्छी है। कबीर का 'सड़ू' और वरुण के 'मजाकिया' होने वाली बात को अच्छी तरह से दिखाया गया है।
 
जॉन-वरुण की केमिस्ट्री जबरदस्त है। कुछ अच्छे दृश्य आते हैं जो मनोरंजन करते हैं। लेखकों ने अपहरण के गंभीर मुद्दे को हल्का-फुल्का रखा है, लेकिन धीरे-धीरे फिल्म अपना असर खोने लगती है। मनोरंजन का ग्राफ आधे घंटे के बाद तेजी से नीचे की ओर आने लगता है। एक खास मोड़ पर आकर कहानी गंभीरता की मांग करती है, जिसे पूरा नहीं किया गया। 
 
कबीर और जुनैद अपने स्तर पर मामले की पड़ताल करते हैं, लेकिन इसमें वो रोमांच नहीं है कि दर्शक भी इस मामले से पूरी तरह जुड़ जाए। 36 घंटे का समय तेजी से बीत रहा है, लेकिन इसका तनाव दर्शक महसूस नहीं करते। दरअसल, 'फन एलिमेंट' के चक्कर में निर्देशक-लेखक 'थ्रिल' वाली बात भूल गए। 
 
विदेशी जमीन पर कबीर जिस तरह से कारनामे करता है उस पर हैरानी होती है। हेलिकॉप्टर, कार उसे यूं ही मिल जाती है। कबीर और जुनैद कहीं भी घुस जाते हैं। यहां फिल्म को थोड़ा तार्किक होना था। फिल्म के खलनायक असर नहीं छोड़ पाते। 
 
 
फिल्म का बड़ा प्लस पाइंट है जॉन-वरुण की जोड़ी। दोनों के बीच कुछ बेहतरीन दृश्य हैं। दोनों किरदारों को बखूबी गढ़ा गया है। एक एंग्रीयंग मैन है तो दूसरा बड़बोला। अमिताभ और शशि कपूर की जोड़ी की जॉन-वरुण याद दिलाते हैं। जुनैद को सतीश कौशिक के जो फोन आते हैं वो खूब हंसाते हैं। 
 
निर्देशक के रूप में रोहित धवन प्रभावित करते हैं। अपने पिता डेविड धवन की तरह उन्होंने सारा फोकस दर्शकों के मनोरंजन पर रखा है। एक्शन और कॉमेडी का मिश्रण उन्होंने अच्छी तरह से करते हुए उन्होंने फिल्म को स्टाइलिश और यंग लुक दिया है। फिल्म की गति उन्होंने तेज रखी है और लंबाई कम।  
 
वरुण धवन फिल्म की जान है। अपनी ऊर्जा से वे फिल्म में ऊर्जा भर देते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग जोरदार है और कुछ सीन उनके ही कारण देखने लायक हैं। जॉन अब्राहम जितना कम बोलते हैं उतना ही फिल्म के लिए फायदा होता है। यहां उन्हें संवाद कम और एक्शन ज्यादा करने के लिए दिया है और उनके एक्शन सीन शानदार हैं। 
 
जैकलीन फर्नांडीस को सिर्फ इसलिए रखा गया है क्योंकि फिल्म में एक हीरोइन होनी चाहिए। कबीर और जुनैद के मिशन में उन्हें जबरदस्ती ठूंसा गया है। अक्षय खन्ना लंबे समय बाद सिल्वर स्क्रीन पर नजर आए हैं। आश्चर्य है कि उन्होंने वापसी के लिए इस तरह का रोल चुना क्योंकि उनके रोल में कोई नई बात नहीं है। 
 
छोटे से रोल में अक्षय कुमार आकर फिल्म को ऊंचा उठा देते हैं। नरगिस फाखरी और परिणीति चोपड़ा ने फिल्म के ग्लैमर को बढ़ाया है। 
 
अयानंका बोस की सिनेमाटोग्राफी ऊंचे दर्जे की है। बैकग्राउंड म्युजिक बढ़िया है। 'सौ तरह के' गाना धूम मचा रहा है। 
 
'ढिशूम' के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि कमियों के बावजूद यह बोर नहीं करती और समय अच्छे से कट जाता है। 
 
बैनर : नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट, इरोज़ इंटरनेशनल
निर्माता : साजिद नाडियाडवाला, सुनील ए. लुल्ला
निर्देशक : रोहित धवन
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती
कलाकार : वरुण धवन, जैकलीन फर्नां‍डीस, जॉन अब्राहम, अक्षय खन्ना, विजय राज, नरगिस फाखरी और अक्षय कुमार (स्पेशल अपियरेंस), परिणीति चोपड़ा (आइटम नंबर)
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 4 मिनट
रेटिंग : 2.5/5