नसीरुद्दीन शाह बनेंगे आइंस्टीन
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह हिन्दी सिनेमा के सबसे अधिक प्रसिद्ध चरित्र अभिनेताओं में से एक हैं। रंगमंच के मंझे हुए अभिनेता नसीर पिछले लगभग चार दशकों से अपनी उम्दा अदाकारी से दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। हिन्दी फिल्मों में सहायक कलाकार से लेकर चरित्र अभिनेता तक और विलेन से लेकर मल्टीस्टारर फिल्मों के हीरो तक नसीरुद्दीन कई तरह की भूमिकाएं बखूबी निभा चुके हैं। नसीर मुंबई के पृथ्वी थिएटर से इसके शुरुआती दौर से ही जुड़े हुए हैं। इस थिएटर के पहले फेस्टिवल (1978) से ही नसीर इससे जुड़े हुए हैं। इतना ही नहीं, वे इसके निर्माण से पहले ही इस थिएटर का सपना देखने वालों में शुमार हैं।
इस साल भी इस फेस्टिवल में नसीर हिस्सा लेने जा रहे हैं। गौरतलब है कि इस बार रंगमंच पर वे अपना एक खास प्ले करने जा रहे हैं जिसमें वे महान वैज्ञानिक एल्बर्ट आइंस्टीन की भूमिका निभाने जा रहे हैं। इस नाटक (प्ले) का मंचन 5 नवंबर को पृथ्वी थिएटर में किया जाना है, जिसमें अभिनय और कला की दुनिया के कई दिग्गज लोग शिरकत करने जा रहे हैं।
नसीर साहब से यह पूछने पर कि उन्होंने आइंस्टीन को ही क्यों चुना? वे कहते हैं, आइंस्टाइन क्यों नहीं? इसलिए क्योंकि मैं काफी हद तक उनके जैसा नजर आता हूं। किसी ने मुझे मेल किया था जिसमें उसने ड्राइंग के जरिए मुझे आइंस्टीन जैसा दर्शाया था। इस वाकए के बाद मुझे इस बात का एहसास हुआ कि हां, मैं आइंस्टीन से काफी हद तक मिलता-जुलता नजर आता हूं। मुझसे जैविश लोगों जैसी कई बातें हैं। एक बार मैंने दाढ़ी बढ़ाई थी, तब लोग मुझे जैविश समझने लगे थे।
बहरहाल अब मैं आइंस्टीन पर आधारित अपना प्ले करने जा रहा हूं। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि मुझे यह भी याद नहीं है कि इस प्ले की स्क्रिप्ट मुझे किसने दी है। दरअसल, आज से तकरीबन दस साल पहले दिल्ली में किसी ने मुझे इसकी स्क्रिप्ट दी थी, तब से आज तक यह मेरे ड्रावर में ही रखी हुई थी। अब पृथ्वी थिएटर के फेस्टिवल के दौरान मैंने इस पर काम करने का फैसला किया।
आगे नसीर साहब ने बताया कि यह प्ले तकनीकों के बारे में नहीं है। बल्कि यह आइंस्टीन की जिंदगी के निजी पहलुओं के बारे में है। द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान के खिलाफ परमाणु बॉम्ब का प्रयोग किया था और भयंकर तबाही मची थी। इस दुखद घटना के लिए आइंस्टीन खुद को भी दोषी मानते थे, क्योंकि इस घातक हथियार को बनाने में उन्होंने सहायता की थी। यह प्ले एक इंसान के तौर पर आइंस्टीन के पश्चाताप और मानसिक दशा दर्शाता है।