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Written By वार्ता

सेना में काम करना चाहते थे रंजीत

सेना में काम करना चाहते थे रंजीत -

हिन्दी फिल्मों के जाने-माने खलनायक और चरित्र अभिनेता रंजीत ने चार दशक तक खलनायक और चरित्र अभिनेता के रूप में अपने अभिनय की छाप छोड़ी है, लेकिन वे अभिनेता नहीं, सेना में पायलट बनना चाहते थे।


12 सितंबर को अमृतसर के एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे रंजीत (मूल नाम गोपाल बेदी) बचपन से सेना में पायलट बनने की तमन्ना रखते थे। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने वायुसेना में प्रशिक्षण लेना भी शुरू कर दिया था लेकिन किसी कारणवश वे प्रशिक्षण पूरा नहीं कर पाए।

गाइड देखी 20 बार
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इस दौरान रंजीत ने देवानंद की फिल्म हम दोनों और गाइड लगभग 20 बार देखी और वे देवानंद के जबरदस्त प्रशसंक बन गए तथा उनके अभिनय की नकल करने लगे। इसी बीच उनकी अमेरिका के एक फिल्म प्रशसंक रणबीर सिंह से हुई जिन्होंने उनकी लंबी-चौड़ी कदकाठी देखकर अपनी फिल्म जिन्दगी की राहें में काम करने का प्रस्ताव दिया लेकिन यह फिल्म बन नहीं सकी और वे रणबीर के कहने पर मुंबई आ गए।

सुनील दत्त ने दिया रंजीत नाम
रंजीत ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म सावन भादो से की। इसी दौरान उनकी मुलाकात सुनील दत्त से हुई, जो उन दिनों फिल्म रेशमा और शेरा का निर्माण कर रहे थे। सुनील दत्त ने रंजीत की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें इस फिल्म में काम करने का मौका दिया और गोपाल बेदी की जगह उन्हें 'रंजीत' का स्क्रीन नाम दिया।

वर्ष 1971 में फिल्म शर्मीली प्रदर्शित हुई जिसमें रंजीत ने खलनायक की भूमिका निभाई। शर्मीली की सफलता के बाद रंजीत को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए। वर्ष 1974 में प्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी रंजीत की एक और सुपरहिट फिल्म हाथ की सफाई प्रदर्शित हुई। इस फिल्म की कामयाबी के बाद प्रकाश मेहरा ने अपनी लगभग हर फिल्म में रंजीत को बतौर खलनायक के रूप में काम करने का अवसर दिया।

फिल्मों में भी रंजीत
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रंजीत की फिल्मों के बारे में एक रोचक बात यह है कि अधिकतर फिल्मों में उनमें किरदार का नाम रंजीत ही रहा है। उन्होंने अपने इस नाम का इस्तेमाल सबसे पहले 1973 में प्रदर्शित फिल्म बंधे हाथ में किया। इसके बाद अमीर-गरीब, हिमालय से ऊंचा, धोती-लोटा और चौपाटी, धरमवीर, अमर-अकबर-एंथोनी, टक्कर, नमक हलाल, शपथ, गिरफ्तार, मेरी जबान, जिम्मेदार, जालिम, आतंक और बुलंदी फिल्मों में उनके किरदार का नाम रंजीत ही रखा गया।

फिल्म निर्माण में मिली असफलता
90 के दशक में रंजीत ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और विनोद खन्ना को लेकर फिल्म कारनामा और राहुल राय को लेकर गजब तमाशा का निर्माण किया लेकिन दुर्भाग्य से दोनों ही फिल्में टिकट खिड़की पर असफल साबित हुईं।

90 के दशक में दर्शकों की पसंद को देखते हुए रंजीत ने छोटे पर्दे का भी रुख किया और कई धारावाहिकों में हास्य अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन किया। रंजीत ने अब तक लगभग 250 फिल्मों में अभिनय किया है।

उल्लेखनीय फिल्में
रंजीत की कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं- हलचल, भाई हो तो ऐसा, रामपुर का लक्ष्मण, विक्टोरिया नंबर 203, झील के उस पार, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, शराबी, खून-पसीना, याराना, सुहाग, इंकलाब, आपकी कसम, प्राण जाए पर वचन ना जाए, अमीर-गरीब, इम्तिहान, धर्मात्मा, लैला-मजनूं, धरमवीर, हीरालाल- पन्नालाल, विश्वनाथ, नागिन, लहू के दो रंग, आपके दीवाने, द बर्निंग ट्रेन, लूटमार, रॉकी, गजब, राजपूत, सनम तेरी कसम, हीरो, घूंघरू, राजतिलक, प्रेम प्रतिज्ञा, दाता, दुलारा, करण-अर्जुन, बॉर्डर, कोयला, बुलंदी, बंटी और बबली, वेलकम, नो प्रॉब्लम, हाउसफुल 2 आदि।(वार्ता)