लॉकडाउन के दौरान बहुत सारी चीजें समझने का मौका मिला : पर्ल वी पुरी
मुझे मेरे सारे जन्मदिन बहुत अच्छे लगे हैं। हमेशा याद रहे हैं लेकिन इस बार का जन्मदिन में लेख कुछ खास था कि कि कई सालों बाद शायद मैं अपने दोस्तों से मिल रहा था। मैं इस समय अपने जन्मदिन को आगरा में बना रहा हूं और दो वजह हैं एक तो इस दिन में एक एनजीओ में जाकर कुछ बच्चों के साथ समय बिता रहा हूं।
वह यादगार है और दूसरा ये कि आगरा मेरे होम टाउन में आया हुआ हूं तो अपने मां पिता पुराने दोस्त उनकी कई छोटी-बड़ी याद है। मेरे मां-बाप ने सुबह से जो मुझे बताया है कि मैं बचपन में क्या-क्या किया करता था। वह सब मेरे सामने मेरे जन्मदिन के लिए आ रहा है तो यह पल में कभी नहीं भूल सकता। यह कहना है पर्ल वी पुरी का, जिसे बतमीज दिल और नागिन में भी देख चुके हैं।
पर्ल पुरी यूं तो मुंबई में रहते हैं लेकिन इन दिनों लॉकडाउन के चलते वह अपने होम टाउन आगरा में गए हुए थे और वहीं पर अपना जन्मदिन मना रहे हैं। वेबदुनिया से बात करते हुए पर्ल बोले कि मैं आगरा का हूं और आगरा के पेठे दुनिया भर में मशहूर है जैसा कि आपने मुझसे पूछा कि मुझे आगरा का पेठा कौन सा वाला पसंद आता है तो मैं यह कहूंगा। यहां इतनी वराईटी है। इसमें से चुनना बड़ा मुश्किल हो जाता है मेरे लिए। लेकिन फिर भी मुझे गुलकंद वाला जो आगरे का पेठा बनता है जो खासतौर पर से यही बनता है और कहीं नहीं मिलेगा आपको, मुझे वह खाने में बड़ा स्वादिष्ट लगता है। हालांकि एक्टर हूं। इसलिए बहुत सारी चीज नहीं खा सकता। मीठा तो बहुत कंट्रोल करके खाना पड़ता। लेकिन जैसे ही नाम लेता हूं, मुझे एक मिठास अपनी जुबान में खुलने लगती है।
अपने लॉकडाउन के दौरान अपने आप में कोई अंतर पाया।
लॉकडाउन के दौरान बहुत सारी चीजें देखने, समझने और जानने का मौका मुझे मिला। कई लोगों से फोन पर बात हुई जिनसे मैंने बहुत अरसे से बातचीत भी नहीं की थी। मैंने आसपास लोगों के दिलों को जाना वह किस मुसीबत में रह रहे हैं या रह रहे थे। वो किन परेशानियों का सामना कर रहे हैं इन सब को गहराई से जाना। तो ऐसा लगा कि जो सब मेरे आस-पास चल रहा है उससे मुझे और ज्यादा जानना समझना चाहिए। इसलिए स्पिरिचुअल हो गया हूं।
शायद मैं पहले से ज्यादा स्पेशल हुआ हूं और दूसरा मुझे जो पॉइंट समझने को मिला है वह यह कि हम या आप अभी तक अपनी जिंदगी जी रहे हैं। जी चुके हैं वह शायद हमारी 25 प्रतिशत या 50 प्रतिशत ज़िंदगी जी चुके हैं लेकिन जो हमारे माता-पिता हैं, वह शायद 70 प्रतिशत अपनी जिंदगी जी चुके हैं या 75 प्रतिशत जी चुके हैं। ऐसे में उन का छोटा सा समय बचा हुआ उसे हमें खूबसूरत बनाने के लिए जो कोशिश करनी है वह कर लेनी चाहिए। उनका हर दिन बहुत अच्छा बीते। यही तमन्ना मेरी है और मैं इस बात पर कायम भी रहूंगा।
पर्ल आगे बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान मैंने इस दौरान अपनी फील्ड के लोगों की परेशानी को महसूस किया है। मेरे एक स्पॉट दादा है जिनको मैं बहुत करीब से जानता हूं। उनका फोन मुझे आया और उन्होंने कहा कि खाने पीने की परेशानी हो रही है तो मुझे बहुत बुरा लगा। ऐसा लगा कि मैं थोड़ी भी मदद कर सकता हूं उनकी तो क्यों ना करूं तब मैंने अपने प्रॉडक्शन हाउस में फोन लगाया। उससे बोला कि जितने भी लोग हैं, इसमें मदद की जरूरत है। खासतौर पर से स्पॉट या फिर लाइटमैन दादा उन सभी के नंबर से मुझे दिए जाएं।
उस समय मुझे भी मालूम पड़ा कि इन लोगों का भी एक ग्रुप होता है जिसमें एक हेड होता है और बाकी तीन चार लोग उसके मातहत काम करते हैं। फिर मैंने उन सभी का नंबर लिया और जो उनके मातहत काम करने वाले लोग हैं, उनका भी नंबर लिया ताकि इस बात को मैं खुद देख सकूं कि मदद सही जगह पहुंच गई और और ज्यादा मदद की जरूरत बची है या नहीं बची है।
आप जिस तरीके से सबकी मदद करना चाह रहे हैं, हो सकता है लोग आप से प्रेरणा मिले।
इसमें छुपाने वाली कोई बात नहीं है। मुझे तो लगता है कि मैं अपनी मदद करने वाली बात सब को बताऊं ताकि लोगों के जेहन में पहुंचे कि वह भी मदद कर सकते हैं, उनमें भी इतनी हिम्मत है कि वह लोगों को आगे बढ़ कर उनकी परेशानियों को सुलझाने में एक छोटी सी भूमिका निभा सके। जब मैं छोटे बच्चों से एक एनजीओ के जरिए मिल कर आया तो मुझे मालूम पड़ा कि इन बच्चों के नाम नहीं होते। उन्हें एक नंबर दिया जाता है और आपको नंबर चुन कर बताना होता है कि इस बच्चे का आप कितने समय के लिए पढ़ाई का खर्चा उठाएंगे या खाने-पीने का खर्चा उठाएंगे।
यह बात मैं नहीं जानता था। अब लगता है जब मीडिया के जरिए सब को बताऊं फिर क्या पता किसी को यह तरीका समझ में आ जाए, उसके दिल को छू जाए और वह भी आगे आकर किसी बच्चे की मदद कर ले। अच्छी बातों को फैलाना चाहिए। अच्छी बातों को लोगों के कानों तक पहुंचाना चाहिए।
आप दिन भर क्या करने वाले हैं?
सुबह मैं बच्चों के साथ समय बिता कर आया हूं। अभी आपके साथ बात कर रहा हूं और अब घर जाउंगा तो मेरी मां के हाथ का बना जो भी पकवान होगा, सब खा जाऊंगा। सच कहूं तो मेरी मां के हाथ का बना दाल चावल भी मुझे बहुत पसंद आता है। ऐसे में अगर मेरा जन्मदिन है तो मेरी मां का प्यार थोड़ा ज्यादा ही हो जाता है।
घर में इतनी सारी चीजें बनाकर रखी है कि अगर मैं उसे सिर्फ एक एक कौर भी खा लूंगा तो शायद शाम तक खाता ही रह जाऊंगा। आज मेरा काम सिर्फ खाने का है लोग जो मेरे लिए या दोस्त जो मिली गिफ्ट लाए हैं, उनको खोलने का है और उस दिन को इंजॉय करने का है।
कोई खास गिफ्ट मिली आपको?
मेरे फैन बहुत खुश हैं। वह सभी मुझसे मेरे सोशल नेटवर्किंग साइट पर पूछ रहे थे कि हम आप को बर्थडे प्रेजेंट भेजना चाहते हैं, कैसे भेजे? तब मैंने उन्हें कहा कि देखो ना पैसे की जरूरत है न किसी गिफ्ट की जरूरत है, बल्कि इस समय में घरों के गेट के आसपास कोई भी जानवर दिखें। चाहे वह कुत्ता है, बिल्ली हो, पंछी क्यों न हो, उन्हें खाना खिलाइए जितने ज्यादा पंछियों को आप खाना खिलाएंगे। उसके हिसाब से मैं निर्धारित कर लूंगा कि किन दो लोगों के साथ मैं लाइव पर बात करूंगा।
लेकिन सोचने में लगेगा कि मैं इस समय को भी भुनाने की कोशिश में हूं। जबकि मेरी सोच यह है कि आज अगर मेरे पास यह प्लेटफॉर्म है। जहां लोग मुझसे जुड़ना चाहते हैं तो क्यों ना मैं उन्हें इंस्पायर करके उन्हें एक अच्छी आदत डाल कर उनसे जुड़े। मेरे लिए बर्थडे की सबसे बड़ी गिफ्ट तो यही है।