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रईस : ट्रेलर रिव्यू

Raees: Trailer Review | रईस : ट्रेलर रिव्यू
शाहरुख खान बुरे दौर से गुजर रहे हैं और 'रईस' का ट्रेलर देख उम्मीद जागती है कि वे अपना खोया 'फॉर्म' फिर हासिल कर लेंगे। फिल्म में वे देसी 'डॉन' बने हैं और फिल्म भी अस्सी के दशक में बनी 'देसी' फिल्मों की तरह है। 
 
रईस की कहानी रियल लाइफ किरदार से प्रेरित है जिसमें 80 का दशक दिखाया गया है। वे ऐसे स्मगलर बने हैं जो गुजरात में शराब का अवैध व्यवसाय करता है। 


 
ट्रेलर की शुरुआत एक जोरदार डायलॉग से होता है- 'अम्मीजान कहती थी कि कोई धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता।' यह डायलॉग ही फिल्म की कहानी की को बयां कर देता है। फिल्म में जोरदार डायलॉगबाजी सुनने को मिलेगी। एक और संवाद उम्दा है- 'गुजरात की हवा में व्यापार में है साहेब, मेरी सांस तो रोक लोगे, लेकिन इस हवा को कैसे रोकोगे?' निश्चित रूप से इस तरह के संवादों में सिनेमाहॉल में सीटियां बजेंगी।
 
शाहरुख खान एक एक्शन रोल में देखना उनके फैंस के लिए दिलचस्प होगा। लंबे समय बाद वे इस तरह का रोल निभा रहे हैं। उनके सामने नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसा दमदार कलाकार पुलिस ऑफिसर के रूप में हैं। एक तरफ बड़ा स्टार और दूसरी तरफ बड़ा कलाकार, मुकाबला दिलचस्प होगा। 
 
फिल्म का संगीत अस्सी के दशक के स्टाइल का है। 'कुरबानी' का गीत 'लैला ओ लैला' नए अंदाज में रखा गया है जो सनी लियोन और शाहरुख पर फिल्माया गया है। यह गीत भी फिल्म का बड़ा आकर्षण होगा। 
 
फिल्म की कहानी, किरदार और माहौल ऐसा है जो सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर के दर्शकों को बहुत पसंद है। यह दर्शक वर्ग पिछले कुछ समय से शाहरुख की फिल्मों से दूर है और 'रईस' के जरिये फिर शाहरुख के पास लौट सकता है। 
 
'काबिल' 25 जनवरी की शाम से प्रदर्शित हो रही है तो 'रईस' 25 जनवरी की सुबह से। शाहरुख ने भी एक दिन पहले आने का निश्चय किया है, जिससे संभावना है कि 'काबिल' भी 25 जनवरी की सुबह से प्रदर्शित होगी। 
 
काबिल और रईस के ट्रेलर की तुलना की जाए तो 'रईस' का ट्रेलर ज्यादा दमदार नजर आ रहा है। 
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