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Written By प्रज्ञा मिश्रा
Last Modified: शनिवार, 20 मई 2023 (13:28 IST)

Cannes Film Festival: डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'यूथ' की लंबाई ही इसकी कमजोर कड़ी

Cannes Film Festival: डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'यूथ' की लंबाई ही इसकी कमजोर कड़ी | cannes film fastival the length of the documentary film youth is its weak link
Documentary Film Youth: आम तौर पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म का कॉम्पीटीशन में शामिल होना ही बड़ी बात है। उस पर भी अगर यह फिल्म चार घंटे की हो तो उत्सुकता बढ़ ही जाती है कि आखिर फिल्म में ऐसा क्या है। बस इसी ख्याल के साथ चीन के डायरेक्टर वॉग बिंग की फिल्म 'यूथ' देखने पहुंचे। यह फिल्म चीन के झिली इलाके की डॉक्यूमेंट्री है जहां रेडीमेड कपड़ों का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन होता है।

 
फिल्म में बताया गया कि ज्यादातर कपडे घरेलू यानी चीन में ही बिकने वाले हैं लेकिन कुछ का एक्सपोर्ट भी होता है। फिल्म शुरू होती है एक छोटे से कमरे में कुछ युवा सिलाई मशीनों पर काम कर रहे हैं और उनकी आपस में होड़ लगी है कि कौन पहले खत्म करता है। शुरूआती दौर में इतनी सिलाई मशीनों की आवाज़ परेशान करती है लेकिन देखते देखते आदत हो जाती और यह आवाज़ फिल्म का किरदार ही बन जाती है।
 
इन काम करने वालों की उम्र है सत्रह से लेकर पच्चीस साल तक, पूरी फिल्म में इन्हें लगातार काम करते हुए देखते हैं, काम भी वहां जहां न ठीक से लाइट है न ही कोई सुविधा। यह लोग पांच-पांच सेंट के लिए मालिकों से बहस करते हैं और अंधेरे में ही दिखाई देते हैं। जहां रहते हैं वो भी हॉस्टल की तरह ही है और उनकी जिंदगी में काम और थकान के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता है। वो आपस में झगड़ भी लेते हैं और सुलह भी हो ही जाती है।
 
डायरेक्टर ने यह फिल्म पांच साल में पूरी की है और उनकी मेहनत इस फिल्म में साफ नजर आती है। इन मुश्किल हालातों को देखना, वहां की तकलीफों को फिल्म के माध्यम से महसूस किया जा सकता है। फिल्म चार घंटे की है लेकिन इसकी लंबाई ही इसकी कमज़ोर कड़ी है। 
 
आधी फिल्म होने तक बात साफ हो जाती है और उसके बाद यह कहां जाकर खत्म होगी इसी इंतज़ार में वक़्त कटता है। लेकिन खबरों के मुताबिक इसका फाइनल वर्शन लगभग नौ घंटे का होगा। यह देखना बेहतरीन होगा कि नौ घंटे मैं ऐसा क्या शामिल होगा जो इन चार घंटों में पहले से ही नहीं देखा गया है।
 
यहां यह बताना जरूरी है कि वॉग बिंग कि दूसरी फिल्म 'मैन इन ब्लैक' भी इस साल फेस्टिवल है। यह फिल्म स्पेशल स्क्रीनिंग सेक्शन में रखी गई है और यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है कि एक ही डायरेक्टर की दो फिल्में एक ही साथ फिल्म फेस्टिवल में शामिल हुई हैं। 
 
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