गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. दिवस विशेष
  3. जयंती
  4. Tatya Tope
Written By WD Feature Desk

16 फरवरी : महानायक तात्या टोपे की जयंती, जानें 15 रोचक तथ्य

16 फरवरी : महानायक तात्या टोपे की जयंती, जानें 15 रोचक तथ्य - Tatya Tope
HIGHLIGHTS
 
• कब हुआ था तात्या टोपे का जन्म। 
• 1857 के नायक तात्या टोपे के बारे में जानकारी। 
• तात्या टोपे ने 'पढ़ो और फिर लड़ो' का नारा दिया था। 
 
Tatya Tope Life Story: आज भारत के महानायक तात्या टोपे की जयंती है। वे भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक थे। आइए जानते हैं उनके बारे में 15 अनसुने तथ्य- 
 
1. तात्या टोपे का जन्म 16 फ़रवरी 1814 को येवला में हुआ था। वे एक देशस्थ कुलकर्णी परिवार में जन्मे थे।
 
2. उनके पिता का नाम पांडुरंग त्र्यंबक भट और माता का नाम रुक्मिणी बाई था। 
 
3. उनका वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग राव था, परंतु लोग उन्हें प्यार से तात्या के नाम से बुलाते थे। 
 
4. बाजीराव पेशवा के धर्मदाय विभाग के उनके पिता प्रमुख थे। 
 
5. तात्या के पिता पांडुरंग त्र्यंबक भट की विद्वत्ता एवं कर्तव्य परायणता देखकर बाजीराव ने उन्हें राज्सभा में बहुमूल्य नवरत्न जड़ित टोपी देकर उनका सम्मान किया था, तब से उनका उपनाम 'टोपे' पड़ गया। 
 
6. रामचंद्र/ तात्या टोपे द्वारा गुना जिले के चंदेरी, ईसागढ़ के साथ ही शिवपुरी जिले के पोहरी, कोलारस के वनों में गुरिल्ला युद्ध करने की अनेक दंतकथाएं हैं।
 
7. विदेशी इतिहास कोश में 'मालसन' ने लिखा था- 'संसार की किसी भी सेना ने कभी कहीं पर इतनी तेजी से कूच नहीं किया, जितनी तेजी से तात्या की सेना कूच करती थी। उनकी सेना की बहादुरी और हिम्मत के बल पर ही तात्या ने अपनी योजनाओं को पूरा करने का प्रयत्न किया। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है।'
 
8. हेनरी ड्यूबले तात्या टोपे की वीरता पर लिखती हैं- 'उन्होंने जो अत्याचार (अंग्रेजों पर) किए उनके लिए हम उनसे घृणा करें, किंतु उनके सेना नायकत्व के गुणों, योग्यता और देशभक्ति के कारण हम उनका आदर किए बिना नहीं रह सकते।'
 
9. महानायक तात्या टोपे को सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणीय वीरों में उच्च स्थान प्राप्त है। उनका जीवन अद्वितीय शौर्य गाथा से भरा हुआ है। 
 
10. शिवपुरी-गुना के जंगलों में तात्या टोपे 7 अप्रैल 1859 को सोते हुए धोखे से पकड़े गए। बाद में अंग्रेजों ने शीघ्रता से मुकदमा चलाकर 18 अप्रैल 1859 को राष्ट्रद्रोह में तात्या को फांसी की सजा सुना दी। 
 
11. अपनी फांसी के फैसले पर तात्या टोपे ने अपने बयान में कहा था- 'मेरे पेशवा राजा हैं। उनका कारिंदा होने से मैंने उनके आदेशों का पालन किया। मैंने अपने राजा का हुक्म मानने से मैं राष्ट्रद्रोही नहीं हो सकता।' 
 
12. आज भी नगर की उप जेल में कोठरी नं. 4 और कलेक्टर कार्यालय के निकट एक वीरान कोठरी तात्या की याद दिलाती है। बता दें कि आज भी फांसी स्थल पर तात्या टोपे की विशाल प्रतिमा हाथ में तलवार लिए खड़ी है। 
 
13. शिवपुरी में प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को अमर शहीद और स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी रहे तात्या टोपे को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी जाती है। 
 
14. राष्ट्रीय कवि स्व. श्रीकृष्ण 'सरल' की कलम से... 'दांतों में उंगली दिए मौत भी खड़ी रही, फौलादी सैनिक भारत के इस तरह लड़े, अंग्रेज बहादुर एक दुआ मांगा करते, फिर किसी तात्या से पाला नहीं पड़े।'
 
15. इस तरह भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख सेनानायक के रूप में आज भी तात्या टोपे को जाना जाता है। और 16 फरवरी का दिन उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
ये भी पढ़ें
श्रीकृष्ण के ये सुंदर नाम हैं आपके बाल गोपाल के नामकरण के लिए बहुत ही कल्याणकारी