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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 6 मई 2024 (11:04 IST)

06 मई : मोतीलाल नेहरू की जयंती, जानें 15 रोचक तथ्य

Motilal Nehru
जन्म : 6 मई 1861
मृत्यु : 6 फ़रवरी 1931
 
HIGHLIGHTS
 
• मोतीलाल नेहरू की जयंती कब मनाई जाती है।
• मोतीलाल नेहरू के बारे में जानें।
• स्वतंत्रता आंदोलन में मोतीलाल नेहरू का योगदान। 
 
1. motilal neharu jayanti 2024 : मोतीलाल नेहरू का जन्म एक कश्मीरी पंडित परिवार में 06 मई 1861 को आगरा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। माना जाता है कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में मोतीलाल नेहरू ही एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने ठाट-बाट भरी जिंदगी छोड़कर देश के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। 
 
2. मोतीलाल नेहरू के पिता का नाम गंगाधर और माता इंद्राणी थीं। मोतीलाल नेहरू की पत्नी का नाम 'स्वरूप रानी' था तथा वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे।
 
3. वे पढ़ने-लिखने में अधिक ध्यान नहीं देते थे, लेकिन उन्होंने जब इलाहाबाद हाईकोर्ट की वकालत की परीक्षा दी तो सब आश्चर्यचकित रह गए। इस परीक्षा में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त करने के साथ-साथ स्वर्ण पदक भी हासिल किया था। 
 
4. मोतीलाल नेहरू प्रयागराज के एक प्रसिद्ध वकील/ अधिवक्ता एवं ब्रिटिशकालीन राजनेता थे। वे अपने समय के देश के शीर्ष वकीलों में से एक थे। उनकी कानून पर बहुत मजबूत पकड़ थी। उस समय वे हजारों रुपए की फीस लेते थे, लेकिन इसके साथ ही वे गरीबों की मदद करने में कभी पीछे नहीं हटते थे। 
 
5. वे उन गिने-चुने भारतीयों में से एक थे, जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाने वाली प्रथम पीढ़ी में शामिल थे। मोतीलाल जी अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के ज्ञाता थे। उन्होंने अरबी और फारसी भाषा की शिक्षा प्राप्त की थी।
 
6. उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत आरंभ की। वे 1910 में संयुक्त प्रांत (वर्तमान में उत्तरप्रदेश) विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।
 
7. मोतीलाल नेहरू पश्चिमी रहन-सहन और विचारों से बहुत प्रभावित थे, लेकिन गांधी जी के संपर्क में आने के बाद उनके जीवन में एक बड़ा परिर्वतन आया। 
 
8. गांधी जी के आह्वान पर मोतीलाल नेहरू सन् 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग गोलीकांड के बाद वकालत छोड़ दी थी।
 
9. मोतीलाल नेहरू सन् 1919 और 1920 में दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। 
 
10. सन् 1923 में देशबंधु चितरंजन दास के साथ मिलकर उन्होंने स्वराज पार्टी का गठन किया। 
 
11. तत्पश्चात सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली पहुंचकर विपक्ष के नेता बने। 
 
12. मोतीलाल नेहरू ने आजादी के आंदोलन में भारतीय लोगों के पक्ष में इंडिपेंडेट अखबार भी चलाया। 
 
13. भारत की आजादी की लड़ाई के लिए कई बार जेल भी गए।
 
14. कानून पर उनकी मजबूत पकड़ होने के कारण ही सन् 1927 में उनकी अध्यक्षता में साइमन कमीशन के विरोध में सर्वदलीय सम्मेलन ने एक समिति बनाई, जिसे भारत का संविधान बनाने का दायित्व सौंपा गया। इस समिति की रिपोर्ट को 'नेहरू रिपोर्ट' के नाम से भी जाना जाता है। 
 
15. मोतीलाल नेहरू का निधन 06 फरवरी 1931 को लखनऊ (उत्तरप्रदेश) में हुआ था।
 
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