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Written By BBC Hindi
Last Modified: शुक्रवार, 31 मार्च 2023 (17:47 IST)

नेपाल में रामनवमी पर पहली बार सांप्रदायिक तनाव, मस्जिद के सामने हंगामा

नेपाल में रामनवमी पर पहली बार सांप्रदायिक तनाव, मस्जिद के सामने हंगामा - Communal tension for the first time on Ram Navami in Nepal
- रजनीश कुमार
रामनवमी के दिन शोभायात्रा को लेकर अब तक भारत में ही सांप्रदायिक तनाव पैदा होता था, लेकिन अब पड़ोसी देश नेपाल में भी इसकी आँच पहुँच गई है। गुरुवार को नेपाल के जनकपुर में रामनवमी की शोभायात्रा में शामिल लोगों ने मस्जिद के पास जाकर हंगामा किया।

जनकपुर में जानकी मंदिर के पीछे एक मस्जिद है। इसी मस्जिद के पास शोभायात्रा में शामिल दर्जनों भगवाधारियों ने जमकर हंगामा किया। जनकपुर के लोगों का कहना है कि यहाँ इस तरह की घटना पहली बार हुई है।

घटना के चश्मदीद एक स्थानीय पत्रकार ने बताया, आसपास के कई गाँव से शोभायात्रा जनकपुर पहुँच रही थी। यात्रा जैसे ही जनकपुर के लादो बेला रोड पहुँची, तो लोगों ने आक्रामक होकर नारा लगाना शुरू कर दिया। लादो बेला रोड के आसपास मुस्लिम बस्तियाँ हैं।

लादो बेला रोड एक तरह से जनकपुर का प्रवेश द्वार है। यहीं पर बस स्टैंड भी है। आक्रामक नारा सुन मुसलमान भी एकजुट होने लगे। देखते ही देखते मुस्लिम अपनी छतों पर चढ़ गए। ऐसा लग रहा था कि कुछ बड़ा न हो जाए। भीड़ बहुत ज़्यादा हो गई थी। शोभायात्रा में शामिल हिंदुओं के नारे की प्रतिक्रिया में मुसलमान भी आक्रामक हो गए।

आक्रामक नारा
लादो बेला से ही दर्जनों की संख्या में भगवाधारी जानकी मंदिर के पीछे मस्जिद पहुँच गए। मस्जिद के गेट पर भगवा झंडा लहराते हुए लोग जयश्री राम के नारे लगा रहे थे। लोग काफ़ी आक्रामक थे। इलाक़े के मुसलमान हैरान थे। मुसलमानों ने पहले पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौक़े पर पहुँची, तो भगवाधारी वहाँ से भाग गए।

कुछ देर बाद बजरंग दल वालों की एक और टोली पहुँच गई। इस बार इलाक़े के मुसलमान भी ग़ुस्से में थे। पुलिस ने वहाँ से लोगों को भगाया, लेकिन आगे की गली में भगवाधारी और इलाक़े के कुछ मुसलमान आपस में भिड़ गए। कुछ लोगों को चोट भी आई है।

लादो बेला इलाक़े के एक मुस्लिम व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वह ख़ुद को केपी शर्मा ओली की पार्टी का कार्यकर्ता बता रहा था। इस वीडियो क्लिप में वह लादो सराय में जो कुछ हुआ था, उसे अपने हिसाब से बता रहा है लेकिन एक समुदाय के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहा है।

पुलिस का क्या कहना है?
जनकपुर के प्रमुख ज़िला अधिकारी काशी दाहाल ने बीबीसी से कहा कि शोभायात्रा के बाद दर्जनों की संख्या में भगवाधारी उपद्रवी मस्जिद पहुँच गए थे। काशी दाहाल ने कहा, हम वीडियो देखकर लोगों को गिरफ़्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। इलाक़े के मुसलमानों को हमने ज़िला कार्यालय बुलाया है।

हम उन्हें आश्वस्त करते हैं कि अपनी सुरक्षा को लेकर बेफ़िक्र रहें। जनकपुर में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। लेकिन पिछले कुछ सालों में इस तरह की चीज़ें यहाँ बढ़ी हैं। हमने इसे लेकर गृह मंत्रालय से भी बात की है। हम किसी को क़ानून हाथ में लेने की इजाज़त नहीं देंगे।

काशी दाहाल कहते हैं कि शोभायात्रा विश्व हिंदू परिषद ने निकाली थी लेकिन मस्जिद के सामने हंगामा करने वाले कौन लोग थे, इसकी पहचान की जा रही है। इस मामले में नेपाल के मुस्लिम आयोग ने प्रशासन से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए दोषियों की पहचान कर सख़्त कार्रवाई करने की माँग की है।

रैली निकालने वाले कौन?
जानी ख़ान मधेसी केपी शर्मा ओली की पार्टी नेकपा एमाले के युवा मोर्चा के नेता हैं। इनका घर जनकपुर में मस्जिद के पास ही है। गुरुवार को जब भगवाधारियों का दल मस्जिद के पास पहुँचा तो जानी ख़ान वहीं थे।
जानी ख़ान पूरे वाक़ए पर कहते हैं, जनकपुर में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि मस्जिद से होकर कोई शोभायात्रा गई हो।

हमें उससे भी कोई दिक़्क़त नहीं है। लेकिन रामनवमी के दिन जो हुआ वह डराने वाला था। हाथ में तलवार और डंडा लिए लोग नारा लगा रहे थे- आ गया है भगवाधारी, अब है तुम्हारी बारी। सारे मुसलमान पाकिस्तान जाओ। इस तरह के नारे लोग लगा रहे थे। सच कहिए तो हम डरे हुए हैं। जनकपुर में मुसलमानों की तादाद बहुत कम है।

जानी ख़ान कहते हैं, शहर के हिंदुओं को मैं जानता हूँ। शहर के लोग ये काम नहीं कर सकते हैं। ज़्यादातर अनजान चेहरे थे। कुछ गाड़ियों के नंबर यूपी-बिहार के थे। यह काम नेपाल के युवा हिंदू सम्राट और विश्व हिंदू परिषद ने किया है। मुसलमानों का रोज़ा चल रहा है।

मस्जिद में लोग नमाज़ पढ़ रहे थे तभी लोगों ने आकर बदतमीजी की। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि मुसलमानों को उचित सुरक्षा मुहैया कराए। प्रशासन ने हमें मिलने के लिए बुलाया है। नेपाल को भारत वाली बीमारी लग रही है। हम यही दुआ करते हैं कि नेपाल हर हाल में नेपाल बना रहे।

सत्यम मुरारी विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हैं और युवा हिंदू परिषद के केंद्रीय संचालक हैं। सत्यम मुरारी कहते हैं कि मुसलमानों ने मस्जिद वाले इलाक़े में शोभायात्रा पर पत्थरबाज़ी की थी, इसलिए युवा भड़क गए। सत्यम मुरारी का दावा है कि लादो बेला में भी शोभायात्रा पर मुस्लिम बस्तियों से पत्थर चले थे।

रामनवमी की शोभायात्रा से केवल जनकपुर ही नहीं, बल्कि बीरगंज भी प्रभावित हुआ है। बीरगंज के रहने वाले लेखक और पत्रकार चंद्रकिशोर कहते हैं कि इस बार रामनवमी पर शहर में कुछ भी हुआ, वह बिलकुल नया था।

नेपाल में नया चलन
चंद्रकिशोर कहते हैं, जनकपुर और बीरगंज दोनों मधेस प्रदेश में है। राज्य सरकार ने रामनवमी की छुट्टी दी थी। पहले भी रामनवमी मनाई जाती थी लेकिन इस बार बिलकुल अलग था। सैकड़ों की संख्या में भीड़ भगवा झंडा लिए सड़क पर निकली थी।

यह इलाक़ा मिथिला का है, जहाँ राम दामाद बनकर आए थे। राम यहाँ क्रोधित होकर नहीं आए थे बल्कि सौम्यता और मर्यादा के साथ आए थे। लेकिन रामनवमी की शोभायात्रा में युवा क्रोधित राम और हनुमान की तस्वीर के साथ थे। युवा बहुत आक्रामक थे। ऐसा लग रहा था कि ये किसी से नाराज़ हैं।

यहीं के स्थानीय पत्रकार विवेक कर्ण बताते हैं कि बीरगंज में शोभायात्रा मुस्लिम इलाक़ों से भी गुज़री और यह शहर के लिए बिलकुल नया था। जनकपुर के वरिष्ठ पत्रकार रोशन जनकपुरी कहते हैं, नेपाल में इससे पहले हिंदू बनाम मुसलमान कभी नहीं हुआ। जनकपुर की ही बात करें, तो यहाँ विवाह पंचमी ज़्यादा लोकप्रिय थी। रामनवमी में इतनी आक्रामकता कभी नहीं देखी गई।

एक वक़्त था जब विवाह पंचमी में सीता की बारात में मुसलमान भी शामिल होते थे और अब राम के नाम पर लोग मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं। भारत की राजनीति में जो होता है, उसका असर नेपाल पर सीधा पड़ता है। मुझे डर है कि आने वाले वक़्त में मधेस इलाक़े की राजनीति में सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण बढ़ेगा।

नेपाल में पाँच फ़ीसदी मुसलमान हैं और इनमें से 98 फ़ीसदी मुसलमान मधेस इलाक़े में हैं। मधेस इलाक़े में भारत के दक्षिणपंथी हिंदू संगठन भी ज़ोरशोर से काम कर रहे हैं। नेपाल में आरएसएस हिंदू स्वयंसेवक संघ नाम से काम करता है।

यहाँ आरएसएस के कुल 12 संगठन काम करते हैं। नेपाल 2006 में हिंदू राष्ट्र से सेक्यूलर राष्ट्र बन गया था। कई मुसलमान कहते हैं कि वे हिंदू राष्ट्र में ज़्यादा सुरक्षित थे। हालांकि मुसलमानों की इस टिप्पणी को नेपाल के विशेषज्ञ दूसरे तरीक़े से देखते हैं।

नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार सीके लाल कहते हैं, राजा अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देकर उसमें अपनी वैधानिकता ढूँढते हैं। लेकिन लोकतंत्र में बहुसंख्यकवाद लागू हो जाता है। इसकी वजह से जिसका मत ज़्यादा होता है, उसे ज़्यादा महत्व मिलने लगता है। इसी वजह से नेपाल के कुछ मुसलमान कहते हैं कि उनके लिए राजशाही ज़्यादा ठीक थी। यह एक अल्पसंख्यक मनःस्थिति है।

सीके लाल कहते हैं कि मधेस में आरएसएस और हिंदुत्व की राजनीति को 2014 के बाद ज़्यादा बल मिला है। नेपाल में जनकपुर संभाग में हिंदू स्वयंसेवक संघ के कार्यवाह रंजीत साह से पिछले महीने मिला था, तो उन्होंने कहा था कि वह नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। रंजीत साह कहते हैं कि मधेस में मुसलमानों की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है और इसे नियंत्रित करने की ज़रूरत है।
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