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अचला सप्तमी व्रत : आरोग्य सप्तमी पर मांग लीजिए सूर्यदेव से सेहत का वरदान

अचला सप्तमी व्रत : आरोग्य सप्तमी पर मांग लीजिए सूर्यदेव से सेहत का वरदान - rath saptami achala saptami 2021
कब है अचला सप्तमी व्रत, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
 
अचला सप्तमी को रथ सप्तमी या आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है।
सवाल : अचला सप्तमी पर क्यों करते हैं सूर्य देव की पूजा
 
जवाब : मान्यता है कि अचला सप्तमी के दिन सूर्य का जन्म हुआ था
 
सवाल : क्या मिलता है सूर्य के पूजन से ? 
 
जवाब : सूर्यदेव की पूजा से सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है 
 
सवाल : इस दिन क्या करें? 
जवाब : इस दिन नदियों में स्नान और फिर दान का भी विशेष महत्व है। सूर्यदेव को जल चढ़ाने और सूर्य कवच का पाठ करने से मनचाही सफलता मिलती है। 
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी मनाई जाती है जो इस साल 19 फरवरी 2021 शुक्रवार को है। इसे रथ सप्तमी या आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार अचला सप्तमी के दिन ही भगवान सूर्य का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को सूर्य की जन्मतिथि के रूप में भी जाना जाता है। 
 
इस दिन रथ पर सवार भगवान भास्कर यानी सूर्य देव की पूजा होती है जिससे जीवन में सुख, सम्मान की प्राप्ति होती है और इसीलिए इस दिन को रथ सप्तमी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा भगवान सूर्य, भक्तों को अच्छी सेहत का भी वरदान देते हैं। इसलिए इसे आरोग्‍य सप्‍तमी भी कहा जाता है।     
अचला सप्तमी का शुभ मुहूर्त
अचला सप्तमी- 19 फरवरी 2021, शुक्रवार
रथ सप्तमी के दिन स्नान का मूहूर्त- सुबह 5.14 बजे से 6.56 बजे तक
अवधि- 1 घंटा 42 मिनट
अचला सप्तमी के दिन सूर्योदय- सुबह 6.56 बजे
सप्तमी तिथि प्रारंभ- 18 फरवरी, गुरुवार सुबह 8.17 बजे से
सप्तमी तिथि समाप्त- 19 फरवरी, शुक्रवार सुबह 10.58 बजे
(चूंकि उदया तिथि मानी जाती है इसलिए अचला सप्तमी का व्रत शुक्रवार 19 फरवरी को रखा जाएगा)
अचला सप्तमी का महत्व
अचला सप्तमी के दिन सूर्य की पूजा और उपवास करने से संतान की प्राप्ति होती है और आरोग्य यानी उत्तम स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है। 
 
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान करने से व्यक्ति के कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने से सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है इसलिए इस दिन स्नान और फिर दान का विशेष महत्व है। 
अचला सप्तमी की पूजा विधि
प्रातःकाल उठकर सूर्योदय से पहले ही शुद्ध जल से स्नान करें। इस दिन गंगा आदि पवित्र नदियों में भी स्नान करने का बड़ा महत्व है। स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। सूर्य देव की पूजा करें और फिर सूर्य स्तोत्र, सूर्य कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र या सूर्य के बीज मंत्र का जाप करना बहुत ही फलदायक होता है। सूर्य को दीपदान करना और पवित्र नदियों में दीपक प्रवाहित करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रख कर नमक और तेल के सेवन से बचना चाहिए और केवल फलाहार ही करना चाहिए।