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5 दिवसीय महापर्व : जानिए हर दिन के विशेष शुभ संयोग

5 दिवसीय महापर्व : जानिए हर दिन के विशेष शुभ संयोग - Lakshmi Puja Muhurat
इस बार 5 दिवसीय महापर्व की शुरुआत 9 नवंबर, सोमवार (धनत्रयोदशी, प्रदोष) से हो गई है।  धनतेरस पर विशेषकर अमृत सिद्धि योग रहा, साथ ही सभी पांचों पर्व बुध-आदित्य योग में मनाए जाएंगे। त्रयोदशी तिथि 8 नवंबर 2015 को 4.31 बजे से से प्रारंभ होकर 9 नवंबर 2015 को 5.06 बजे तक रही  
 

 
4 महारात्रियों और 4 बड़े त्योहारों में सबसे बड़ा त्योहार दीपावली 11 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि सूर्योदय पूर्व से रात्रि 1.16 बजे तक रहेगी।
 
शास्त्र यह कहता है कि किसी भी आध्यात्मिक घटना को ज्योतिष की दृष्टि से देखना चाहिए और इस बार की दीपावली बुध, राहु और गुरु प्रधान होगी जिसमें बुधवार, बुध की कन्या राशि में उच्च का राहु, स्वाति नक्षत्र (स्वामी राहु), अमावस्या तिथि स्वामी राहु, सिंहस्थ गुरु, विशाखा नक्षत्र स्वामी गुरु आदि हैं।
 
दीपावली पर इस बार विशेष रूप से प्रजापति योग, सौभाग्य योग भी रहेंगे। गुरु और राहु के ऐसे संयुक्त योग 1884 के बाद 2015 में 131 साल बाद आए हैं। ऐसे योग अगली बार 2145 में अर्थात 130 साल बाद आएंगे।
 
बुध, राहु और गुरु के ऐसे योग अति दुर्लभ हैं। व्यापार, उद्योग, बाजार तथा गुप्त आध्यात्मिक साधना, पितृदोष, कालसर्प योग की शांति करवाना आदि उसकी सिद्धि के बराबर फल देगा। ऐसे समय किसी भी वस्तु, प्रॉपर्टी, मशीन, धातुओं, वाहन का क्रय-विक्रय करना शुभ, मंगलकारी फायदेमंद और कई गुना लाभप्रद रहेगा। यह दुर्लभ अवसर है। इस पर विशेष विधि-विधान से पूजन, अनुष्ठान योग्य विद्वान आचार्य, पंडित से ही करवाएं या संपर्क करें।
 
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5 दिवसीय विशेष शुभ योग


 
9 नवंबर- अमृत सिद्धि, प्रीति, बुधादित्य योग, धनतेरस, धन्वंतरि जयंती, प्रदोष, मास शिवरात्रि, यम दीपदान।
 
10 नवंबर- अमृत सिद्धि, आयुष्मान, बुधादित्य योग, रूप चतुर्दशी।
 
11 नवंबर- बुधादित्य योग, प्रजापति योग, सौभाग्य योग, दीपावली, कमला जयंती, महालक्ष्मी पूजन देवपितृ, कार्तिक स्नान, अमावस्या, महाकालरात्रि।
 
12 नवंबर- बुधादित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग, आकूत, गोवर्धन पूजा, जैन-गुजराती नववर्ष।
 
13 नवंबर- बुधादित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अतिगंड योग, भाईदूज, विश्वकर्मा-चित्रगुप्त पूजा।
 
क्या करें विशेष - 
 
* धनतेरस पर विशेषकर गणपति, कुबेर, शिव और लक्ष्मी की श्रेष्ठ पूजा-उपासना, यमदीप दान, सोना-चांदी, लक्ष्मी का सिक्का, मूर्ति खरीदना प्रदोष काल में श्रेष्ठ रहेगा।
 
* दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन, गादी बिछात, बही-खाता, लेखनी, तुला, तिजोरी, अष्टलक्ष्मी पूजन श्रीसूक्त, कनक धारा, सिद्धि साधना की महारात्रि होती है। इस दिन अभीष्ट फल प्राप्ति के लिए विशेष प्रकार के मंत्र, यंत्र, पूजा-पाठ करना चाहिए।
 
* अन्नकूट, गोमाता, गोवर्धन पूजन करें।
 
* भाई को बुलाकर भोजन पूजन कर आशीर्वाद दें।