गुप्त शत्रुओं से बचने के लिए कुंडली में कौन से ग्रह मजबूत होने चाहिए
ज्योतिष मान्यता के अनुसार कुंडली का छठा भाव, खाना या घर व्यक्ति के जीवन में शत्रु के सक्रिय होने या परास्त होने के बारे में बताता है। इसी के साथ यह भाव कर्ज, चोर, शरीर में घाव और निशान, निराशा, दुःख, ज्वर, पैतृक रिश्ते, पाप कर्म, युद्ध और रोग आदि को भी दर्शाता है। इस भाव का कारक ग्रह है मंगल। आओ जानते हैं कि कुंडली के कौनसे ग्रह मजबूत होने से गुप्त शत्रुओं से रक्षा होती है।
1. यदि द्वितीय और द्वादश भाव में कोई ग्रह नहीं है और षष्ठम भाव में कोई ग्रह स्थित हो, तो यह भाव निष्क्रिय रहता है।
2. षष्ठम भाव में स्थित ग्रह द्वादश भाव में बैठे ग्रह को सक्रिय करता है। यदि मंगल या सूर्य है तो शत्रुओं से रक्षा होगी।
3. यदि छठे भाव में प्रबल मंगल हो तो शत्रुहन्ता योग का निर्माण होता है। मतलब ऐसे जातक के गुप्त शत्रु उससे बुरी तरह से परास्त हो जाते हैं। ऐसे जातक के शत्रु उसके नाम से कांपते हैं।
4. यदि छठे भाव में राहु बलवार होकर बैठा है तो ऐसा जातक अपने विरोधी की जमानत जब्त कराकर उसे बर्बाद कर देता है।
5. लग्नेश एवं गुरु के बलवान वाले जातक का शत्रु बाल भी बांका नहीं कर सकते।