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सियार, हंस, कौआ और हाथी सहित भगवान शनि के 9 वाहन बनाते हैं आपका भाग्य

सियार, हंस, कौआ और हाथी सहित भगवान शनि के 9 वाहन बनाते हैं आपका भाग्य - 9 vehicles of lord shani dev
हिन्दू धर्म में शनि (lord shani) एक देवता और नवग्रहों में एक प्रमुख ग्रह माने गए हैं। वे सूर्यदेव और छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। इस संबंध में मान्यता यह भी हैं कि शनि के प्रकोप से धनवान भी दरिद्र बन जाता है। कई लोग इन्हें कठोर मानते हैं, परंतु ऐसा सही नहीं है क्योंकि शनिदेव का न्याय निष्पक्ष होता है।
 
ज्योतिष शास्त्र में भी शनिदेव को बहुत अधिक महत्व प्राप्त हुआ है। शनिदेव के 9 वाहन माने जाते हैं और वे अलग-अलग वाहनों पर सवारी करते हुए उनके स्वरूप के अनुसार अलग-अलग प्रभाव भी देते हैं। अत: ऐसे समय में कुंडली में शनिदेव की स्थिति को देखते हुए उनके प्रकोप से बचने के लिए उनके अलग-अलग स्वरूपों की आराधना करनी चाहिए। यहां जानें विशेष जानकारी-
 
1. सियार- यदि शनिदेव का वाहन सियार हो तो अशुभ सूचनाएं मिलने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती है, अत: ऐसी स्थिति निर्मित हो तो हिम्मत से काम लेना चाहिए। इस दौरान शुभ फल नहीं मिलता है। 
 
2. हंस- यदि भगवान शनि का वाहन हंस है तो यह ही बहुत शुभ होता है, क्योंकि इसे शनिदेव के सभी वाहनों में सबसे अच्छा वाहन कहा गया है। इस अवधि में आप अपनी बुद्धि औए मेहनत के बल पर अपने भाग्य का पूरा सहयोग ले सकते हैं तथा इस दौरान आर्थिक स्थिति में काफी सुधार भी देखने को मिलता है।
 
3. कौआ- शनिदेव का वाहन कौआ यदि हैं तो हमें यह समय शांति और संयम से निकालना चाहिए, क्योंकि यदि शनि की सवारी कौआ हैं तो इस अवधि में घर-परिवार में कलह बढ़ने, ऑफिस में टकराव की स्थिति निर्मित होती है या यह किसी मुद्दे को लेकर कलह का संकेत भी माना जाता है, अत: इस समय किसी भी मसले को आसान बातचीत के जरिये हल करना अच्छा रहता है। 
 
4. हाथी- शनि का वाहन यदि हाथी हो तो इसे शुभ नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि यह आशा के विपरीत फल मिलने का समय होता है, अत: इस स्थिति में साहस और हिम्मत से काम लेना ही उचित रह‍ता है। 
 
5. मोर- यदि शनिदेव का वाहन मोर हैं, यह शुभ फल देने वाला होता है। इस समय में मेहनत और भाग्य दोनों का अच्छा साथ मिलता है। इतना ही नहीं इस समयावधि के दौरान बड़ी-बड़ी परेशानी का हल समझदारी से पाया जा सकता है। 
 
6. गधा- जब शनिदेव का वाहन गधा होता है तो इसे शुभ नहीं माना जाता है और यह शुभ फलों में कमी देता है, अत: इस दौरान अधिक प्रयास के द्वारा ही कार्यों में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
 
7. घोड़ा- यदि शनिदेव का वाहन घोड़ा हैं, तो हमें शुभ फल मिलते हैं, क्योंकि घोड़ा शक्ति का प्रतीक माना जाता है। और इस समय व्यक्ति उर्जा और जोश से भरा होने के कारण इस दौरान समझदारी और संयम से हम शत्रुओं पर सरलता से विजय पा सकते हैं तथा कार्यक्षेत्र में सफलता मिल सकती हैं।
 
8. सिंह- शनिदेव का वाहन सिंह हैं तो घोड़े की तरह ही सिंह भी शुभ फल देने वाला माना जाता है। अगर शत्रु परेशान कर रहा है तो इस समय में समझदारी और चतुराई के द्वार हम उसे परास्त कर सकते हैं। 
 
9. भैंसा- यदि भैंसा शनिदेव का वाहन हो तो इस समयावधि में मिलाजुला फल मिलता है। कहने का मतलब यह हैं कि इस दौरान समझदारी, होशियारी से किया गया कार्य ज्यादा बेहतर साबित होता है। यदि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी यानी सावधानी से काम नहीं किया तो बुरे फल मिलने की संभावना बढ़ जाती है।