महिलाएं अपनी खूबियों को खुद पहचानें
अनुजा ने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था और उसने अपना सपना सच भी कर दिखाया। मात्र 28 वर्ष की उम्र में वह अपने छोटे से शहर के काबिल डॉक्टरों में से एक है। लेकिन एक बात उसे कुंठित करती है, अपने दूसरे साथियों की तरह वह विदेश नहीं जा सकीं। बार-बार इस बात को लेकर वह दुखी रहती है। अंशु बीए. फाइनल की छात्रा है, साहित्य की पैठ रखने वाली अभिरुचि संपन्न। दोस्त, परिचित सभी उसके प्रशसंक हैं। लेकिन अपनी साँवली रंगत की वजह से वह खुद को बदसूरत समझती है। यहां तक कि वह अपने बहुत करीबी दोस्तों की पार्टियों में भी नहीं जाती। जब कोई परिवारजन या आस-पड़ोसी अंशु की प्रशंसा करते हैं तो उसे लगता है वे उसके सांवले रंग का मजाक उड़ा रहे हैं। कोकिल कंठी तीखे नयन नक्श वाली, फिर भी मन से हारी।जिंदगी से शिकवा न करें- अनुजा और अंशु की तरह ही कई लड़कियां अपने व्यक्तित्व व करियर को लेकर हमेशा हीनभावना में रहती है। अक्सर ऐसे लोगों को शिकायत होती है कि सबसे ज्यादा परेशानियां, समस्याएं, चिंताएं जिंदगी ने उन्हें ही दी है। ज्यादातर लोग सिर्फ अपनी कमजोरियों को ही याद रखते हैं।