शेयर का सीधा सा अर्थ होता है हिस्सा। शेयर बाजार की भाषा में बात करें तो शेयर का अर्थ है कंपनियों में हिस्सा। उदाहरण के लिए एक कंपनी ने कुल 10 लाख शेयर जारी किए हैं। आप कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार जितने अंश खरीद लेते हैं आपका उस कंपनी में उतने का मालिकाना हक हो गया जिसे आप किसी अन्य खरीददार को जब भी चाहें बेच सकते हैं। आप 100 से लेकर अधिकतम शेयर खरीद सकते हैं।
कंपनी जब शेयर जारी करती है उस वक्त किसी व्यक्ति या समूह को कितने शेयर देना हैं यह उसका विवेकाधीन अधिकार है। बाजार से शेयर बाजार खरीदने/बेचने के लिए कई शेयर ब्रोकर्स होते हैं जो उनके तय पारिश्रमिक (लगभग 2 फीसदी) लेकर अपने ग्राहकों को यह सेवा देते हैं।
इन कंपनियों के शेयरों का मूल्य मुंबई शेयर बाजार (बीएसई) में दर्ज होता है। सभी कंपनियों का मूल्य उनकी लाभदायक क्षमता के अनुसार कम-ज्यादा होता है। इस पूरे बाजार में नियंत्रण भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का होता है। इसकी अनुमति के बाद ही कोई कंपनी अपना प्रारंभिक निर्गम इश्यू (आईपीओ) जारी कर सकती है।
प्रत्येक छमाही या वार्षिक आधार पर कंपनियां लाभ होने पर अंशधारकों को लाभांश भी देती हैं। और कंपनी की गतिविधियों की जानकारी से भी रूबरू कराती है।
शेयर बाजार में लिस्टेड होने के लिए कंपनी को बाजार से लिखित समझौता करना पडता है, जिसके तहत कंपनी अपनी हर हरकत की जानकारी बाजार को समय-समय पर देती रहती है, खासकर ऐसी जानकारियां, जिससे निवेशकों के हित प्रभावित होते हों। इन्हीं जानकारियों के आधार पर कंपनी का मूल्यांकन होता है और इस मूल्यांकन के आधार पर मांग घटने-बढ़ने से उसके शेयरों की कीमतों में उतार-चढाव आता है। अगर कोई कंपनी लिस्टिंग समझौते के नियमों का पालन नहीं करती, तो उसे डीलिस्ट करने की कार्रवाई सेबी करता है।