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Written By WD

औली : भारत का स्विट्‍जरलैंड

औली : भारत का स्विट्‍जरलैंड -
नेहमित्त
WDWD
प्राकृतिक सुंदरता से ओतप्रोत औली भारत का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। सूर्य की किरणें जब यहाँ की पर्वतों की श्रंखला पर पड़ती हैं तो उसकी चमक देखते ही बनती है। बर्फ से खेलने का आनंद कुछ और ही है। दिसम्बर से लेकर मार्च तक प्रकृति अपने सुड़ौल रूप में रहती है। नीले गगन के नीचे हरियाली बर्फ से ढँकी हुई रहती है

कोलकाता की प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर अग्निमित्रा पॉल जो कि लैक्मे फैशन शो के डिजाइनों के लिए जानी गई थीं। हाल ही में सपरिवार औली गईं। अग्निमित्रा पॉल ने फिल्म ‘कोई मेरे दिल से पूछ’ में ईशा देओल के लिए कॉस्ट्‍यूम डिजाइन किया था। इसके अलावा वे श्रीदेवी, हेमामालिनी, रिया तथा राइमा सेन के लिए भी कपड़े डिजाइन कर चुकी हैं।

उन्होंने बताया कि वे काम में इतना व्यस्त रहती थीं कि परिवार के साथ समय बिता नहीं पा रही थीं। औली भारत का स्विट्‍जरलैंड है। सौंदर्य से परिपूर्ण यह एक बहुत ही सुंदर पर्यटक स्थल है। दोपहर की सूर्य की किरणें जब बर्फ पर पड़ती हैं तब प्रकृति का रंग और निखर उठता है। दृश्य एक सुंदर चित्रकला के समान लगता है।

काफी समय बाद मैंने अपने परिवार के साथ समय बिताया था। परिवार के साथ बिताया वक्त मुझे आज भी याद है। अपनी व्यस्त जिंदगी के समय में से औली में बिताए पल यादगार दिन थे। औली में हम गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे। जिस कमरे में हम ठहरे हुए थे वहाँ से हम औली के सुंदर दृश्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए थे

हमारी नजर उभरते दृश्य पर जा रही थी। बर्फ पर खेलते बच्चों को देखकर मेरे पुत्र ने भी बाहर जाकर बर्फ पर खेलने की इच्छा जताई तो ठंडे-ठंडे बर्फ के गोले से हम खेलने लगे। बेटे की मुस्कान देखकर मैं बहुत खुश हो गई। कैमरे में मैंने ये दृश्य कैद कर लिए। परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हम इस पल का आनंद उठा रहे थे।

गेस्ट हाउस वापस लौटने पर, हमने वहाँ के लोकप्रिय आलू के पराठे तथा दमआलू के स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद लिया। रात में चमकते तारों के आँचल के नीचे बैठकर सपरिवार बतिया रहे थे। रात में अधिक ठंड होने के कारण पास में जलते
लकड़ी अलाव से गर्माहट मिल रही थी

  औली के प्रसिद्ध पर्यटक मनोरंजक साधन केबल कार पर सवारी करना एक अनोखा अनुभव था। ऊँचाई से हम सुदूर दृश्यों को देख पा रहे थे। अधिकतर हरियाली बर्फ से ढँकी हुई थी।      
औली के प्रसिद्ध पर्यटक मनोरंजक साधन केबल कार पर सवारी करना एक अनोखा अनुभव था। ऊँचाई से हम सुदूर दृश्यों को देख पा रहे थे। अधिकतर हरियाली बर्फ से ढँकी हुई थी। मैंने कभी भी सुंदरता को इतनी निखरते हुए नहीं देखा था।

कई स्थानों पर मैं पर्यटकों को ग्लाइडिंग करते हुए देख रही थी तो कुछ ट्रैकिंग कर रहे थे। ठंड से बचने के लिए हमने तीन-चार गर्म कपड़े पहन रखे थे। केबल कार के माध्यम से ढलाई के ऊपर-नीचे जा-आ रहे थे। जोशी मठ पहुँचने पर हमने वहाँ स्थित ढाबे पर गर्म चाय के साथ-साथ नाश्ता भी किया। फिर हमने वहाँ के मंदिरों के दर्शन किए और अन्य पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया।

दोपहर के समय सूर्य की हल्की किरणें ठंड में प्रवेश करनी लगीं। स्थानीय निवासियों ने बड़े सुंदर तरह से मूडा बनाया था। हम सब मूड़ा पर बैठकर वहाँ की गर्माहट का आनंद लेने लगे। वहाँ पर साल में कम ही दिन ऐसे होते हैं कि सूर्य की किरणें पड़ती हों।

कब आठ दिन बीत गए और घर लौटने का समय हो गया, मुझे पता भी नहीं चला। वापस लौटते समय मैं औली में बिताए इन सुंदर लम्हों को डायरी के पन्नों पर लिख रही थी। आज भी स्मृतियाँ मेरे बहुत ही करीब हैं

किस प्रकार से पहुँचें
निकट एयरपोर्ट देहरादून है जो कि औली से 298 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

तथा निकट रेल मार्ग 235 किलोमीटर की दूरी पर ऋषिकेश के पास स्थित है।

राज मार्ग द्वारा औली तक पहुँच सकते है