शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
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Written By WD

सर्वांगासन सभी अंगों के लिए लाभप्रद

सर्वांगासन सभी अंगों के लिए लाभप्रद -
-विनोद द. मुल

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है, सर्वांगासन करने से हमारे शरीर के सभी अंगों को लाभ मिलता है। यह आसन करने में भी आसान है। सर्वप्रथम पीठ के बल लेट जाएँ। पैरों की एड़ियाँ-पंजे मिलाकर रखें। दोनों हाथ शरीर से सटे, हथेलियाँ नीचे की ओर और निगाहें आकाश की ओर।

अब दोनों पैरों को एकदम धीरे-धीरे ऊपर उठाएँ। 90 डिग्री तक आने के बाद पैरों को सिर की ओर ले जाएँ। अब हाथों को कोहनियों से मोड़कर, हाथों के सहारे पीठ को इस तरह से सीधा करें कि ठुड्डी छाती से स्पर्श करती रहे। आसन की अंतिम अवस्था में दोनों पैर एवं धड़ एकदम सीधे, लंबवत रहेंगे, पैरों के एड़ी-पंजे एक-दूसरे से मिले हुए रहेंगे, ठुड्डी छाती से स्पर्श करती रहेगी, दोनों हाथ कोहनियों से मुड़कर पीट को सहारा देते रहेंगे, मुँह बंद रहेगा, निगाहें पैरों के अँगूठों की ओर रहेंगी तथा श्वास-प्रश्वास सामान्य रूप से चलती रहेगी।

जब हमारी ठुड्डी छाती से स्पर्श करती है तो थायरॉइड ग्रंथि का व्यायाम होता है। फलतः इसकी क्रियाशीलता बढ़ती है, जिससे हमारा शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। मस्तिष्क को उचित मात्रा में रक्त मिलने से मनोवैज्ञानिक बीमारियाँ दूर होती हैं। इस आसन से गुदा-द्वार की मांसपेशियाँ शिथिल होती हैं, अतः बवासीर की परेशानी कम होती है। एड़ी-पंजे के जोड़ों, पिंडलियों, जंघा, कमर, पेट, गर्दन तथा हाथ की मांसपेशियों का व्यायाम होता है, अतः ये अंग सुडौल बनते हैं।

सर्वांगासन किसी भी आयु के स्त्री-पुरुष कर सकते हैं परंतु उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी तथा थायरॉइड ग्रंथि की बीमारी में यह आसन न करें।