शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. »
  3. बॉलीवुड
  4. »
  5. आलेख
Written By WD

90 प्रतिशत फिल्मों को सिनेमा नहीं कहा जा सकता: केके मेनन

90 प्रतिशत फिल्मों को सिनेमा नहीं कहा जा सकता: केके मेनन -

बॉलीवुड फिल्मों में कई अद्भुत किरदार निभा चुके अभिनेता केके मेनन का कहना है कि वर्तमान में बन रही बॉलीवुड फिल्मों में से 90 प्रतिशत को सिनेमा नहीं कहा जा सकता। ‘हजारों ख्वाहिशें ऎसी’, ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘सरकार’, ‘कार्पोरेट’ और ‘गुलाल’ जैसी बॉलीवुड फिल्मों में निभाए गए किरदारों के लिए, सराहना बटौर चुके केके की आज इंडस्ट्री में अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि हमेशा से अपने हर चरित्र को पूरी तरह निभाना ही उनका प्रयास रहा है।


PR
PR
केके ने कहा कि लोग मुझे हमेशा कहते हैं कि मैं गंभीर रोल निभाता हूं। क्या मैंने ‘हनीमून ट्रेवल्स’ और ‘संकट सिटी’ में गंभीर किरदार निभाया? मेरा मानना है कि लोग दो ही प्रकार के होते हैं, मजाकिया या गंभीर। परंतु मैं हर किरदार को पूरी तरह निभाने की कोशिश करता हूं।

45 वर्षीय केके 14 जून को रिलीज होने जा रही फिल्म ‘अंकुर अरोरा मर्डर केस’ में एक सीनियर सर्जन के किरदार में नजर आने वाले हैं। भारत में चिकित्सकीय लापरवाही के मुद्दे पर बनी फिल्म ‘अंकुर अरोरा मर्डर केस’ के बारे में बात करते हुए केके ने कहा कि फिल्म की कहानी वास्तविक घटना पर आधारित है। हमारे देश में चिकित्सकीय लापरवाही के कई मामले सामने आ चुके हैं। मैं ऎसे वरिष्ठ सर्जन की भूमिका निभा रहा हूं जिसने कई जानें बचाई हैं परंतु वह इमरजैंसी के वक्त एक गलती कर देता है।

शोबिज में एक एडवरटाइजिंग प्रोफेश्नल के रूप में अपना किरदार शुरू करने वाले मेनन को 1995 की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुकी फिल्म ‘नसीम’ से बॉलीवुड में प्रवेश मिला। हालांकि उन्हें सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऎसी’ में कॉलेज नेता और अनुराग कश्यप की फिल्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ में डीसीपी राकेश मारिया के किरदारों से बॉलीवुड में असल पहचान मिली। मेनन इन दिनों निर्देशक मणिमारन की तमिल फिल्म ‘उद्धायम एनएच 4’ के लिए शूटिंग कर रहे हैं।

मेनन ने कहा कि मैं जो भी किरदार निभाता हूं वह मेरे अंदर मौजूद होता है। हर इंसान के अंदर भावनाओं का सागर होता है। मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं कि मुझे उन भावनाओं को बाहर निकाल कर स्क्रीन पर व्यक्त करने का मौका मिलता है। यही एक अभिनेता के जीवन का वास्तविक आकर्षण है।

मेनन मानते हैं कि आज की 90 प्रतिशत फिल्मों को सिनेमा नहीं कहा जा सकता क्योंकि इनके निर्माताओं का ध्यान केवल फिल्म की पैकेजिंग और मार्केटिंग पर होता है। मेनन ने कहा कि हालांकि मैं इसके खिलाफ नहीं हूं परंतु मैं मानता हूं कि सिनेमा की रचनात्मकता का अतिक्रमण नहीं किया जाना चाहिए।