• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. शरद पूर्णिमा 2019
  4. Sharad Purnima

शरद पूर्णिमा पर करें हनुमान पूजा, जानिए ऐसे ही 10 रहस्य

शरद पूर्णिमा पर करें हनुमान पूजा, जानिए ऐसे ही 10 रहस्य | Sharad Purnima
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का अमावस्या से भी ज्यादा महत्व है। वर्ष में 24 पूर्णिमाएं होती हैं जिनमें से कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा का महत्व ज्यादा है। आओ जानते हैं अश्विन मास में आने वाली शरद पूर्णिमा के संबंध में 10 महत्वपूर्ण बातें।
 
 
1.पूर्णिमा का मनोविज्ञान : पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है। कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं।
 
2.ज्वारभाटा : चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं।
 
3.न्यूरॉन सेल्स : वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है।
 
जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। ऐसे व्यक्‍तियों पर चन्द्रमा का प्रभाव गलत दिशा लेने लगता है। इस कारण पूर्णिमा व्रत का पालन रखने की सलाह दी जाती है।
 
4. वर्जित भोजन : इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, पूर्णिमा और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
 
5.शरद पूर्णिमा का महत्व : पौराणिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चांद पूरी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। ये किरणें सेहत के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है।
 
6.शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें : शरद पूर्णिमा के चांद में छत या गैलरी पर चांद की रोशनी में चांदी के बर्तन में दूध को रखा जाता है। फिर उस दूध को भगवान को अर्पित करने के बाद पिया जाता है। कुछ लोग पूर्ण चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर उनका पूजन करते हैं और खीर का नैवेद्य अर्पण करने के बाद रात को खीर से भरा बर्तन खुली चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करते हैं।
 
मतलब यह कि इस दिन घर में माताएं ज्यादा दूध लेती है। पिर दिनभर उसे ओटाती या उकालती घोटती रहती हैं। फिर उसमें केसर-मेवा आदि डालने के बाद रात को छत पर ले जाकर चंद्रमा को उसका प्रसाद चढ़ाकर उसका पूजन करती हैं। फिर चांदी का पतीला चंद्रप्रकाश में रख दिया जाता है ताकि चंद्रकिरणों से बरसता अमृत उसमें समा जाए। अंत में उसे पिया जाता है।
 
7.शरद पूर्णिमा पर करें इनका पूजन : शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी, चंद्र देव, भगवान शिव, कुबेर और भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है। शरद पूर्णिमा की रात में की गई चंद्र पूजन और आराधना से साल भर के लिए लक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्ति होती है।
 
8.शरद पूर्णिमा का नीला चांद : शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते है। पश्‍चिम जगत में इसे ब्लू मून कहा जाता है। कहते हैं कि नीला चांद वर्ष में एक बार ही दिखाई देता है। एक शताब्दी में लगभग 41 बार ब्लू मून दिखता है।
 
9.सर्दी का प्रारंभ : शरद पूर्णिमा के दौरान चातुर्मास लगा होता है जिसमें भगवान विष्णु सो रहे होते हैं। चातुर्मास का यह अंतिम चरण होता है। शरद पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन दिनों से सुबह और शाम को सर्दी का अहसास होने लगता है।
 
10.हनुमानजी की पूजा : शरद पूर्णिमा की रात में हनुमानजी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। इसके लिए आप मिट्टी का एक दीपक लें और उसमें तेल या घी भरें। इससे आपको हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।