*गांधारी के शाप देने के चलते एक दिन सभी कृष्णवंशी एक यदु पर्व पर सोमनाथ के पास प्रभास क्षेत्र में एकत्रित हुए। वहां सभी मदिरा पीकर एक-दूसरे को मारने लगे। इस तरह श्रीकृष्ण को छोड़कर सभी मारे गए।
*सभी यदुओं के आपसी झगड़े में मारे जाने का महाभारत के मौसल पर्व में रोमांचकारी विवरण मिलता है। बचे लोगों ने श्रीकृष्ण के कहने के अनुसार द्वारिका छोड़ दी और हस्तिनापुर की शरण ली।
*जरा नामक एक शिकारी ने श्रीकृष्ण को मृग समझकर विषयुक्त बाण चला दिया, जो उनके पैर के तलुवे में जाकर लगा और भगवान श्रीकृष्ण ने इसी को बहाना बनाकर देह त्याग दी।
*उनका जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ था। इस मान से 3020 ईसा पूर्व उन्होंने 92 वर्ष की उम्र में देह त्याग दी थी।
*प्रभास क्षेत्र काठियावाड़ के समुद्र तट पर स्थित बीराबल बंदरगाह की वर्तमान बस्ती का प्राचीन नाम है। यह देहोत्सर्ग तीर्थ नगर के पूर्व में हिरण्या, सरस्वती तथा कपिला के संगम पर है। इसे प्राचीन त्रिवेणी और भालका तीर्थ भी कहते हैं।
*जहां भगवान ने प्राण त्यागे थे, वहां बने मंदिर में वृक्ष के नीचे लेटे हुए कृष्ण की आदमकद प्रतिमा है। उसके समीप ही हाथ जोड़े शिकारी जरा खड़ा हुआ है।
*जिस भील जरा ने तीर मारा था उसने बहुत व्यथित होकर समुद्र में समाकर अपने प्राण त्याग दिए थे। मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण ने अपने पिछले जन्म में, जब वे श्रीराम थे, बाली को छुपकर तीर मारा था। यही बाली इस युग में जरा बनकर आया और प्रभु ने अपने लिए वैसी ही मृत्यु चुनी, जैसी उन्होंने बाली को दी थी।