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Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 26 जून 2024 (12:58 IST)

Ashadh maas 2024 : आषाढ़ मास की 10 विशेषताएं जान लें जरूर

ashadh mah kya nahi karna chahie Ashadh mah ki visheshta
Ashadh maas 2024 : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह वर्ष का चौथा माह है। आषाढ़ मास का नाम पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र ऊपर रखा गया है। 23 जून 2024 से आषाढ़ माह का प्रारंभ हो गया है जो 21 जुलाई तक रहेगा। इस माह में श्रीहरि विष्णु, माता काली, शिवजी और सूर्यदेव की विशेष आराधना की जाती है। आओ जानते हैं इस माह की 10 विशेषताएं।ALSO READ: कब रहेगी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि वर्ष 2024 में?
 
आषाढ़ माह की 10 विशेषताएं:
1. बोवनी का समय : कृषि के लिए ये मास बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी माह से वर्षा ऋतु की विधिवत शुरुआत होती है।
 
2. जल में जंतुओं की उत्पत्ति : पौराणिक मान्यता के अनुसार इस माह में जल में जंतुओं की उत्पत्ति बढ़ जाती है अत: इस माह में जल की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
 
3. पाचन क्रिया मंद : आषाढ़ माह में पाचन क्रिया भी मंद पड़ जाती है अत: इस मास में सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस महीने में जल युक्त फल खाने चाहिए। आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं।
 
4. विष्णु उपासना और दान : आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है। आषाढ़ मास के पहले दिन खड़ाऊं, छाता, नमक तथा आंवले का दान किसी ब्राह्मण को किया जाता है।
 
5. देव सोने का समय : इसी माह में देव सो जाते हैं। इसी माह में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी होती है। इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं।
 
6. चतुर्मास का माह : आषाढ़ माह से ही चतुर्मास प्रारंभ हो जाता है। चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इस अवधि में यात्राएं रोककर संत समाज एक ही स्थान पर रहकर व्रत, ध्यान और तप करते हैं।
 
7. कामनापूर्ति का माह : इस महीने को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का महान उत्सव भी मनाया जाता है।वर्ष के इसी मास में अधिकांश यज्ञ करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है। 
 
8. गुप्त नवरात्रि : वर्ष में चार नवरात्रि आती है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी या बसंत नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी या शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है। बाकी बची दो आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। आषाढ़ माह में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए 'गुप्त नवरात्रि' होती है।
 
9. मंगल और सूर्य की पूजा : इस माह में विष्णुजी के साथ ही जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है और मंगल एवं सूर्य की उपासना से ऊर्जा का स्तर बना रहता है। इसके अलावा देवी की उपासना भी शुभ फल देती है। 
 
10. गुरु पूर्णिमा का महत्व : आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को ही गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
 
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