दूज का चांद क्यों होता है खास, क्यों करते हैं द्वितीया के चंद्र दर्शन
भारतीय संस्कृति के अनुसार कुछ ऐसे मौके होते हैं जबकि दूज, चतुर्थी और पूर्णिमा को चंद्र दर्शन का खास महत्व रहता है। श्रावण मास में सिंधारा दूज के दिन चंद्र दर्शन करना शुभ माना गया है। 30 जुलाई 2022 को सिंधारा दूज का पर्व मनाया जा रहा है। आओ जानते हैं इस दिन के चांद का महत्व।
1. सिंधारा दूज को सौभाग्य दूज, गौरी द्वितिया या स्थान्य वृद्धि के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन व्रत रखककर रात्रि में चंद्र दर्शन करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
2. इस दिन महिलाएं उपवास रखकर अपने परिवार और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। अपने जीवन में वैवाहिक सुख एवं मांगल्य की कामना करती हैं।
3. चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। इसलिए कहते हैं कि अमावस्या के बाद दूज का चांद देखने का महत्व है। इससे मन को शक्ति मिलती है। द्वितीया तिथि को चंद्र का दर्शन करना शुभ होता है। इस दिन भगवान चंद्र की पूजा करने और व्रत रखने का विधान हैं।
4. मान्यता है कि हमारी मानसिक स्थिति चंद्रमा के बढ़ने के साथ बढ़ती और घटने के साथ घटती है। मानसिक रोगों-विकारों से मुक्ति के लिए दूज या चतुर्थी के चंद्रमा का दर्शन करना और अर्घ्य देने से मन स्वस्थ हो जाता है।
5. शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और इसे बहुत भाग्यशाली और समृद्ध माना जाता है।
6. जिन जातकों की जन्मपत्री में चंद्रमा नीच का है उन्हें चंद्र से संबंधित व्रत और उपवास करना चाहिए। इससे चंद्र दोष दूर होकर माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
7. आध्यात्मिक विकास और सकारात्मक विचारों के लिए चंद्र से संबंधित व्रत रखकर चंद्र दर्शन करना शुभ होता है।