'रामचरित मानस के चमत्कारिक मंत्र'- भाग 1
रामचरित मानस जन-जन में लोकप्रिय एवं प्रामाणिक ग्रंथ हैं। इसमें वर्णित दोहा, सोरठा, चौपाई पाठक के मन पर अद्भुत प्रभाव छोड़ते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इसमें रचित कुछ पंक्तियाँ समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी सक्षम है। हम अपने पाठकों के लिए कुछ चयनित पंक्तियाँ दे रहे हैं। ये पंक्तियाँ दोहे-चौपाई एवं सोरठा के रूप में हैं। इन्हें इन मायनों में चमत्कारिक मंत्र कहा जा सकता है कि ये सामान्य साधकों के लिए है। मानस मंत्र है। इनके लिए किसी विशेष विधि-विधान की जरूरत नहीं होती। इन्हें सिर्फ मन-कर्म-वचन की शुद्धि से श्रीराम का स्मरण करके मन ही मन श्रद्धा से जपा जा सकता है। इन्हें सिद्ध करने के लिए किसी माला या संख्यात्मक जाप की आवश्यकता नहीं हैं बल्कि सच्चे मन से कभी भी इनका ध्यान किया जा सकता है। प्रस्तुत है चयनित मंत्र * विद्या प्राप्ति के लिए गुरू गृह गए पढ़न रघुराई। अल्प काल विद्या सब आई।। * यात्रा की सफलता के लिए प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।* झगड़े में विजय प्राप्ति के लिए कृपादृष्टि करि वृष्टि प्रभु अभय किए सुरवृन्द। भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुंद ।। * ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान। होई सगुन मंगल सुखद करहि अप्सरा गान।। * दरिद्रता मिटाने के लिए अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद दवारि के।। जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।। * संकट नाश के लिए दिन दयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।। * जीविका प्राप्ति के लिए विस्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।* सभी प्रकार की विपत्ति नाश के लिए राजीव नयन धरे धनु सायक। भगत विपत्ति भंजक सुखदायक।।* विघ्न निवारण के लिए सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही। राम सुकृपा बिलोकहि जेही।। * आकर्षण के लिए जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।। * परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए जेहि पर कृपा करहि जनु जानी। कवि उर अजिर नचावहि बानी।। मोरि सुधारिहि सो सब भाँति। जासु कृपा नहि कृपा अघाति।।