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Written By राजश्री कासलीवाल

3 जुलाई : सभी आशाएं पूर्ण करती हैं आशा दशमी, पढ़ें क्या है व्रत विधि...

3 जुलाई : सभी आशाएं पूर्ण करती हैं आशा दशमी, पढ़ें क्या है व्रत विधि... - Asha Dashami Vrat 2017
* हर माह आनेवाली दशमी तिथि पर ऐसे करें पूजन, होगा सबकुछ मंगल... 
 
आशा दशमी व्रत का प्रारंभ महाभारत काल से माना जाता है। यह व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि से आरंभ किया जा सकता है। यह व्रत करने से मनुष्य के जीवन की सभी आशाएं पूर्ण होती हैं। 
 
कैसे और कितने समय के लिए करें यह व्रत : 
 
* यह व्रत 6 माह, 1 वर्ष अथवा 2 वर्षों त‍क करना चाहिए। 
 
* दशमी के दिन प्रात: नित्य कर्म, स्नानादि से निवृत्त होकर देवताओं का पूजन करके रात्रि में पुष्प, अलक तथा चंदन आदि से 10 आशा देवियों की पूजा करनी चाहिए।  इस दिन माता पार्वती का पूजन किया जाता है। 
 
* इस व्रत को करने वाले हर मनुष्‍य को आंगन में दसों दिशाओं के चित्रों की पूजा करनी चाहिए। दसों दिशाओं के अधिपतियों की प्रतिमा, उनके वाहन तथा अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित कर दस दिशा देवियों के रूप में मानकर पूजन करना चाहिए।
 
* इसके पश्‍चात निम्न प्रार्थना करती चाहिए। 
 
'आशाश्चाशा: सदा सन्तु सिद्ध्यन्तां में मनोरथा:।
भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति।।' 
 
यानी 'हे आशा देवियों, मेरी सारी आशाएं, सारी उम्मीदें सदा सफल हों। मेरे मनोरथ पूर्ण हों, मेरा सदा कल्याण हो, ऐसा आशीष दें।' 
 
* तत्पश्चात ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद प्रसाद स्वयं ग्रहण करना चहिए। 
 
* आशा दशमी का व्रत के करने से सभी आशाएं पूर्ण हो जाती हैं। 

 
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