गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By राजश्री कासलीवाल

जीना इसी का नाम है...

जीवन के रंगमंच से...

जीना इसी का नाम है... -
कैसा भी हो स्टेज, हम तो ‍जीतेंगे बाजी...

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किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द ‍मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार... जीना इसी का नाम है... राजकपूर पर फिल्माया गया यह गीत हमारे जीवन पर बिलकुल सटीक बैठता है। जीवन एक ऐसा रंगमंच है। जहाँ पर जीना-मरना, उठना-बैठना, रोना-गाना सभी कुछ साथ-साथ चलता रहता है, लेकिन फिर भी इन सबके बावजूद आदमी जीने को मजबूर है। वह चाहकर भी इस रंगमंच के स्टेज से उतरकर भाग नहीं सकता, कहीं दूर जा नहीं सकता, ज्यादा दिन इससे अपना पीछा छुड़ा नहीं सकता। यह एक परम सत्य है।

आदमी अगर रंगमंच की इस स्टेज से भागना चाहे तो एक तरीका होता है, उसके पास आत्महत्या का तरीका। लेकिन यह भी भला भगवान की दी गई नेमत से भागने का सही रास्ता, सही विकल्प कैसे हो सकता है। क्योंकि आत्महत्या करने वालों को तो भगवान के द्वार पर भी जगह नहीं मिलती। वह इंसान स्वर्ग और नर्क की रास्ते में बीच में ही भटकता रहता है, अटका पड़ा रहता है क्योंकि उसे भगवान के द्वारा दी गई उम्र पूरी करने तक भटकते रहना ही पड़ता है। और जब उसकी उम्र भगवान के हिसाब से मेल खाती है तब भगवान उस इंसान के जीवन के रंगमंच का हिसाब लेकर उसे स्वर्ग या नरक के रास्ते दिखलाता है। तब तक तो बिलकुल भी नहीं, जब तक भगवान के हिसाब की उम्र पूरी नहीं होती।

आजकल ऐसे कई किस्से हत्या, आत्महत्या और आत्मघात के हम रोजाना सुनते हैं, देखते हैं। हमारे सामने कई लोग इस तरह की हरकत करके बाद में पछताते हैं। मरना तो बहुत आसान है, जहर खाना भी बहुत आसान है। लेकिन अगर जहर खाने के बाद भगवान ने मौत नहीं दी और फिर से उसी रंगमंच पर वापस भेज दिया जिसका पीछा छुड़ाकर आप भाग रहे थे, तब सोचें ऐसे समय उस इंसान की क्या हालत, क्या कद्र होती होगी?
  राजकपूर द्वारा गाया गया गीत - किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द ‍मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार... जीना इसी का नाम है... यह गीत हमारे जीवन पर बिलकुल सटीक बैठता है। जीवन एक ऐसा रंगमंच है।      


मैं यह नहीं कहना चाहती कि जीवन में मुश्किलें नहीं आतीं। बहुत मुश्‍किलें रोजाना हमारे सामने आती रहती हैं। एक खत्म करो तो पलक झपकने से पहले ही दूसरी मुश्किल हमारे जीवन के दरवाजे पर मुँहबाए खड़ी हो जा‍ती है। लेकिन फिर भी उन सबका मुकाबला करके, उन सभी आने वाली मुश्किलों का सामना करके इस रंगमंच पर खरे उतरना ही सच्ची मानवता की निशानी है।

उसमें सबसे अच्छी बात और असली रंगमंच का मतलब तो तब है जब आपके खुद चारों तरफ से मुश्किलों में घिरे हुए हों, आप खुद उन मुश्किलों से उबर नहीं पा रहे हों। खुद की समस्याएँ, परिवार की समस्याएँ सुलझा नहीं पा रहे हों लेकिन तब भी किसी की सहायता करना किसी की मदद करना, वह चाहे आर्थिक हो या सामाजिक बहुत मायने रखता है क्योंकि कहते हैं भगवान उन्हीं लोगों की सहायता करता है जो खुद मुश्किलों में घिरे होने के बाद भ‍ी अपनी मुश्किलों से लड़ते हुए दूसरे की सहायता के लिए हमेशा एक स्तंभ बनकर खड़े रहते हैं।

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एक मजबूत खंभे की तरह अपने रंगमंच की समस्याओं से निपटते हुए दूसरों की सहायता करने को तत्पर, तैयार रहते हैं। ऐसे ही लोगों की अच्छी सोच, अच्छे विचारों और एक-दूसरे की मदद करने की सोच के कारण ही आज दुनिया में इंसानियत नाम की चीज टिकी हुई है। ...और इसी इंसानियत और ईमानदारी के बल पर आप दुनिया के इस रंगमंच पर, अपने जीवन के इस रंगमंच पर खरे उतरते हैं, खरे उतर पाते हैं।

और इतना सब होने के बावजूद यह‍ी कहा जाता है जीना इसी नाम है... जिसने यह सोच, इन बातों को अपने जीवन में अंगीकार कर लिया उस इंसान को जीवन के रंगमंच के इस स्टेज से कोई नहीं हटा सकता, कोई नहीं हरा सकता क्योंकि वह इंसान खुद यही लाइन दोहराता रहता है... जीना इसी का नाम है... तो फिर आप भी अपनाएँ जीवन के इस रंगमंच को और हो जाएँ तैयार मुश्किलों से भरे, काँटों से भरे जीवन जीने के लिए और इतना सब होने के बाद भी ‍बिखेरें अपने चारों तरफ खुशियों के बादल, सच्चाई और ईमानदारी के बादल और अपने स्टेज को बनाए रखें हमेशा हरा-भरा...!