इंदौर एयरपोर्ट पर अनूठे अन्दाज़ में मना मकर संक्रांति का पर्व
साल भर बाद इंदौर एयरपोर्ट पर गूंजी संगीत लहरियां, सुमधुर बांसुरी वादन सुनकर आल्हादित हुए यात्री
इंदौर, सांस्कृतिक पहचान के लिए पूरे देश भर में अग्रणी इंदौर एयरपोर्ट में कोविड काल के कारण लगभग एक वर्ष से आयोजन बंद थे, लेकिन मकर संक्रांति के पावन पर्व पर एयरपोर्ट टर्मिनल सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक आलोक बाजपेयी की मधुर स्वर लहरियों से गूंज उठा।
सुमधुर बांसुरी वादन सुनकर आल्हादित यात्रीगण एवं विमानतल कर्मचारी आनंदित होने के साथ पर्व मनाने की इंदौर एयरपोर्ट डायरेक्टर आर्यमा सान्याल की शैली की प्रशंसा किए बिना भी न रह सके। यादगार आयोजन में देश के विविध हिस्सों में मनाये जाने वाले में मकर संक्रांति के विविध स्वरुपों के अनुरूप विविध भाषाओं के गीत प्रस्तुत किए गए।
इंदौर विमानतल की निदेशक आर्यमा सान्याल ने एयरपोर्ट को विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान दी है। यहां लगातार होने वाले आयोजनों का सिलसिला कोविड के कारण लगभग एक वर्ष से बाधित था। लेकिन, मकर संक्रांति के पावन पर्व पर अंततः पूरी तरह सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सुरक्षा उपायों के साथ यहां सांस्कृतिक आयोजनों की पुनः शुरुआत हो गई।
बांसुरी वादन की अपनी अलग शैली के कारण पहचान बना चुके जाने -माने बांसुरी वादक आलोक बाजपेयी ने यहां सुरों से अभिषेक कर एयरपोर्ट टर्मिनल को सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया। मन्त्रों के मंगलाचरण के बाद उत्तरायण के सूर्य की ऊष्मा और ज्योति को समर्पित "ज्योति कलश छलके" से प्रारम्भ हुए गीतों के क्रम में देश के विविध हिस्सों में मकर संक्रांति के स्वरूपों- माघेर बिहू, पोंगल, उत्तरायण, लोहड़ी आदि के अनुरूप सुमधुर गीत आये तो लगा कि वास्तव में यह पर्व देश की विविधता में एकता का बड़ा परिचायक है।
लोहड़ी के ऊर्जापूर्ण पंजाबी गीतों की प्रस्तुति के दौरान यात्री और एयरलाइन स्टाफ़ के सदस्य आनंदित होकर नृत्य करने लगे। बाजपेयी ने धार्मिक, फ़िल्मी और पारम्परिक गीतों की भावप्रवण प्रस्तुति से समस्त दर्शकों का दिल जीत लिया और अनेक बार दर्शकों ने स्थान से खड़े होकर अभिवादन किया। बाजपेयी की दमदार प्रस्तुति से अभिभूत आर्यमा सान्याल ने उन्हें अपने उद्बोधन में "सुर सम्राट" की उपाधि से नवाज़ा।
आलोक बाजपेयी अक्सर एक मूड और ताल के गीतों की माला पिरोकर दर्शकों को प्रस्तुत करते हैं और इस वज़ह से दर्शक पूरी तरह एकाग्र होकर सुनते हैं और उन्हें समय का बहन नहीं रह पाता। नियत समय से लगभग दो गुना चलने के बाद भी दर्शकों की प्यास बाक़ी रही।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्रालय की वित्तीय समिति के सदस्य भरत शर्मा थे। कार्यक्रम का संचालन जाने-माने गायक संजय रियाना से किया और उन्होंने अन्तराल में किशोर कुमार के सुमधुर गीत भी प्रस्तुत किए। बाजपेयी के साथ भरत चौहान ने कीबोर्ड, संक्षेप पांचाल ने ऑक्टोपैड, प्रियांश शर्मा ने तबले और आयुष जाधव ने ढ़ोलक पर सुयोग्य संगत की। सभी कलाकारों का स्वागत एवं आभार प्रदर्शन आर्यमा सान्याल ने किया।