दामिनी का अंतिम खत हम सबके नाम......
फेसबुक पर संदीप नायक की कलम से
मेरे देश के प्रबुद्ध लोगों,सलाम !!! मेरा मरना कोई नया नहीं है अपने देश में बस फर्क इतना है कि आज आप सब मेरे बाद मेरे साथ हो, मेरे बलात्कार के बाद, मेरी मौत का इंतज़ार करते, रायसीना की पहाडियों पर पुलिस की बर्बरता के बीच पानी के छींटों के और आंसू गैस के गोलों के बीच आप अब मेरे साथ हो। क्या यह सब भी एक इवेंट है इस देश में मुझे अब लगता है कि मेरे मरने से आप लोग चलो एक बार ही सही, इकठ्ठा तो हो गए हो, उस दिन ना सही पर आज तो हुए हो, चलो मुझे इसका संतोष है कि मरने से मै कुछ तो कर पाई। बस अब यही कहूंगी कि अपने इन बेशर्म सांसदों को, विधायकों को और ब्यूरोक्रेट्स को सम्हाल लो, सम्हाल लो पुलिस को जो आजाद भारत में आजादी के इतने सालों बाद भी आजादी का अर्थ नहीं समझ पा रहे है, और देश को अपने बाप की बपौती मानकर जेब में रखकर चल रहे है। मुझे अफसोस है कि जिस देश के मंत्री, नेता, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की बेटियां हो और ये इसका बखान भी मेरे बलात्कार के बाद कर रहे हो, उस देश के उन जगहों का क्या होगा जहां किसी बेटी का बाप कोई रसूखदार पद नहीं रखता। थाने में जाकर बलात्कार की रपट दर्ज कराने वाली लडकी यदि छिनाल, रांड या चालू है तो पुलिस क्या है जो ऊँचे लोगों और नेताओं की रखैल है। मीडिया क्या है जो मेरी मौत को बेच रहा है और देश भर के लोग लगे है ज्ञान देने में। जानना चाहते है मेरे घर के बारे में, मेरे मां-बाप के बारे में, मेरे ब्यॉय फ्रेंड के बारे में, मेरे बचपन के बारे में, मेरे किस्से के बारे में, जानना चाहते है कि मैंने कब अपने दोस्त के साथ किस पार्क में चूमा चाटी की है, कैसा लगा था पहली बार सेक्स करते हुए, मै वर्जिन मरी हूं या पहले ही निपट गई थी, बाद में कैसा लगा जब छः-छः लोग मेरे ऊपर चालू बस में चढ़ गए और चलती बस के मजे के बारे में ........हाय साली पहले ही मर गई सब बताने से पहले ....यह सब बताने के पहले क्यों मर गई मै यह मुझे भी लगता है. देश ने जब मुझे अपनी जिम्मेदारी छोड़कर सिंगापुर भेज दिया तो मुझे भी लगा था कि शायद मेरी सरकार मेरा भला ही चाहती होगी पर यह समझने के पहले ही मै गुजरती जा रही हूं क्षणे-क्षणे... चेतना में कही दर्ज है बचपन से गाए हुए गीत-सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा, जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गाद् अपि गरियसी, याद आ रहे है मन्त्र तंत्र जो कहते है स्त्री तो मां बहन और भार्या होती है, जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता बसते है......... मैं तो पढ़ने आई थी दिल्ली अपने मां-बाप के सपने पूरे करने, दिल्ली जो देश की राजधानी है, इस महादेश की प्रजा के रूप में मैं वो थी जिसने वोट दिया था सरकार को कि वो अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी पूरा करेगी, और सबको समानता का अवसर देते हुए मुझे शिक्षा का अवसर देगी, यहां-वहां आने-जाने की छूट देगी। क्या प्यार करना पाप है, क्या कपड़े पहनना पाप है क्या अपने दोस्त के साथ घूमना पाप है? मै तो इस देश में फिजियोथेरेपी पढ़कर लोगों की अपंगता को दूर करना चाहती थी पर मुझे पता नहीं था कि देश पूरा पागल है, मानसिक रूप से विकलांग है। देश के नेता, शीर्ष पदों पर बैठे लोग, पुलिस, कानूनविद, प्रशासन सब घोर बीमार है। सब लोग, सरकार भी मेरे मरने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थी अब यह बहुत सच लगता है।