एक मां ने लिखा अपने बच्चों को खत
बीजी जैसन द्वारा लिखे गए प्रासंगिक पत्र का अनुवाद
मेरे बच्चों, सचेत रहना, सुरक्षित रहना
प्यारे बच्चों, बस कल ही गुड़िया मुझसे यह सवाल पूछ रही थी, 'मम्मी यौनउत्पीड़न का मतलब क्या होता है?' मैने खुद को संयत करने की कोशिश की थी। मैं अपने चेहरे पर 'जोएल' (बेटा) की आंकती हुई नज़र को महसूस कर सकती थी। वह मेरे भीतर चलते द्वन्द्व को भांप रहा था। मैं मन ही मन जूझ रही थी। क्या मुझे तुम्हें इन बातों के बारे में जानकारी देनी चाहिए, तुम्हारी मासूमियत को इस तरह झकझोरना क्या जरूरी है या तुम्हें अपने आंचल में खींच कर इस दुनिया की हर चोट से सुरक्षित होने का विश्वास करवाना चाहिए। किंतु मेरी बच्ची, तुम्हारी दुनिया यहीं शुरु होती है, घर में। और मैं तुम्हें हर बात से सुरक्षित रखने में शायद हमेशा सफल ना हो सकूं। मैं तुम्हें पहले भी इस उम्र और इसमें होने वाले शारीरिक, मानसिक और आंतरिक बदलाव के बारे में बता चुकी हूं। तुम्हारी कौतुक भरी आंखों में तब भी कई सवाल थे किंतु तब तुमने मुझसे कुछ भी पूछा नहीं था। शायद जिस जोश और भावुकता के साथ में समाचार चैनल उलट पुलट रही थी, और जिस तरह लड़की, सेक्स, यौन उत्पीड़न, आरुषि, खून, साजिश, आसाराम, तेजपाल.... बार बार दोहराया जा रहा था, तुमसे रहा नहीं गया। और यह मुश्किल सवाल तुमने पूछ लिया। काश मेरे पास ऐसी कोई परिभाषा होती, कोई सही गलत की निश्चित नियमावली, जिसे मैं तुम्हें सौंप कर आश्वस्त हो जाती। किंतु मेरे पास ऐसा कोई दिशानिर्देश नहीं है और इसलिए जरूरी है कि हम आपसी संवाद से अपनी समझ बना सके। तुम एक व्यक्ति हो। स्वतंत्र। तुम्हारे शरीर और तुम्हारे मन पर तुम्हारा ही अधिकार है। किसी को भी तुम्हारी अनुमति के बिना इन दोनों की सीमा लांघने का अधिकार नहीं है। कौन कब तुम्हारी अनुमति के बिना यह सीमा पार कर रहा है, यह समझना तुम्हारे लिए हमेशा आसान नहीं होगा। मेरी एक छोटी सी बात गांठ बांध लो, जो स्पर्श, जो बात तुम्हें असहज करती हो, तुम्हें तुरंत उससे दूर हो जाना चाहिए। कोई भी व्यक्ति जो तुम्हारी कद्र करता है, वह तुम्हारे मन, शरीर और भावना को आहत नहीं करना चाहेगा। दूर होने के बाद तुम शांत मन से इस बात का विश्लेषण कर सकती हो। सबसे पहले खुद को सुरक्षित कर लेना जरूरी है. हर ऐसी ...और कैसी भी छोटी-बड़ी बात तुम मुझसे साझा करो। तुम मुझसे हर तरह की बात कह सकती हो। ऐसी बात भी जिसे सही शब्दों और वाक्य में तुम बांधना नहीं जानती।
तुम्हारा अपने शरीर के निजी हिस्सों के संरक्षण को लेकर सजग होना सही ही नहीं, जरूरी भी है। यह तुम्हारा अधिकार है। इतना ही नहीं बल्कि तुम्हें गंदे स्पर्श, पकड़ और कुत्सित अश्लील इशारों की समझ भी बनानी होगी। और खुद को इनसे बचाना भी होगा। ऐसे किसी भी संदर्भ में तुम चिल्ला सकती हो, भीड़ इकट्ठा कर सकती हो, दूर हो सकती हो, अपने बचाव में ऐसे लोगों को आहत कर सकती हो। बिना हिचकिचाये या डरे तुम लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच सकती हो। अक्सर इस प्रकार के लोग कायर होते हैं और तुम्हारा इतना करना उन्हें दूर करने के लिए पर्याप्त होगा। फिर भी जीवन में कभी,ऐसा संयोग तुम्हारे या किसी और के साथ घट जाए तो याद रखना इससे लड़की कभी भी कम खूबसूरत या पापिन या अधूरी या बेबस और बेचारी नहीं बनती। वह आहत तो हो सकती है किंतु यह ऐसी कोई बात नहीं है जिसके लिए मुंह छिपाकर चलना पड़े। तुमने छठी इंद्रीय के बारे में सुना होगा। यह वाकई में होती है। अपनी अंतर्दृष्टि से दुनिया देखना सीखो। अपनी शंका और आभास को पहचानो। अगर तुम सजग रही तो सुरक्षित रहोगी। तुम उम्र के जिस पड़ाव पर हो, वहां जीवन में सब धुंधला दिखता है। जीवन के रंग गहरे और स्वप्न सुंदर। तुम अपने निर्णय समझ से कम और भावुकता से ज्यादा लेते हो। तुम्हारे लिए यह बात जानना और इस तथ्य को पहचानना जरूरी है। ताकि तुम अपने सभी निर्णय समझ की कसौटी में तोल सको। तुम्हें मालूम ही होगा एक स्त्री और पुरुष, एक लड़के और लड़की के बीच आकर्षण होना स्वाभाविक है। हम खुद को समाज के नियमों से जोड़ते हैं। चेतना और विवेक से काम लेते हैं। हम अपने जीवन के लक्ष्य की तरफ़ केंद्रित होते हैं। एक दूसरे को सम्मान देते हैं और समानता की दृष्टि से देखते हैं। फिर भी हो सकता है कि इस बीच तुम किसी की ओर आकर्षित हो जाओ। अपनी नजर और अदाओं से ध्यान खींचना चाहो। तुम्हारा आकर्षण तुम्हारे आंखों, शब्दों, इशारों और संकेतों में झलकने लगे। ऐसे में सचेत रहना, क्योंकि सामने वाला भी तुम्हारी ओर आकर्षित हो सकता है। उसकी अभिव्यक्ति का तरीका शायद तुम्हें स्वीकार्य ना हो। अगर तुम ऐसे आकर्षण में उलझना नहीं चाहती तो तुम्हें खुद को संयत तरीके से व्यक्त करना सीखना होगा। याद रखो अगर तुम मर्यादा की सीमा पार करोगी तो तुम्हें मर्यादा की उम्मीद भी नहीं रखनी चाहिए। ऐसे में कुछ घट जाने के बाद छूने छेड़ने के सबूत ढूंढना फिजूल ही नहीं, बल्कि नैतिकता के तौर पर गलत भी है।
मेरे बेटे जोएल, मुझे तुमसे भी कुछ कहना है। तुम्हें स्त्री का सम्मान करना आना चाहिए। तुम्हें भी सहज और असहज स्पर्श का फ़र्क मालूम होना चाहिए। अपने साथियों, बहन, उसकी दोस्तों, छोटों और बड़ों से व्यवहार करना आना चाहिए। कभी भी अपनी भाषा या व्यवहार से किसी को ठेस मत पहुंचाना।