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Written By Author कृष्णा गुरुजी
Last Updated : शुक्रवार, 21 अगस्त 2020 (22:02 IST)

गणेशोत्सव के 10 दिन और आपके 10 संकल्प, बदल जाएगा जीवन...

गणेशोत्सव के 10 दिन और आपके 10 संकल्प, बदल जाएगा जीवन... - ganesh chaturthi 2020 resolutions
कोरोनावायरस (Coronavirus) के चलते इस साल गणेशोत्सव संभवत: उस प्रकार नहीं मनाया जा सके, जैसे कि हर वर्ष मनाया जाता है। इससे इस उत्सव की महिमा कम नहीं हो जाती। दरअसल, हमें उत्सव के पीछे छिपे भाव को भी समझने की जरूरत है। हम गणेश जी की आरती करते हैं, किन्तु कभी हमने सोचा है कि उसमें छोटे-छोटे जीवन मंत्र ‍समाहित हैं। ...और यदि हम गणपति के इन्हीं संदेशों को समझकर त्योहार मनाएंगे तो इससे समूची मानवता का ही भला होगा।

प्रथम दिवस - जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा : आज के दिन यानी गणेशोत्सव के पहले दिन एक सुपारी के रूप में गणेशजी की कल्पना कर विराजित करें या फिर मूर्ति रूप में पूजा-आरती श्रद्धा भाव से करें। विशेष ध्यान रखें कि आप इस पूजा-अर्चना में अपने माता-पिता को साथ रखें (यदि आप किसी अन्य शहर में हैं तो उनका आशीर्वाद लें)। गणेश जी ने अपने माता-पिता को पूरा संसार माना और उन्हें इस पद की प्राप्ति हुई। उसी प्रकार आप अपने माता-पिता को अपना भगवान मानते हुए, यदि कोई मनमुटाव है भी तो उसे भी भुलाते हुए इस 10 दिवसीय कार्यक्रम को उनके साथ मिलकर श्रद्धा पूर्वक मनाएं।
 
द्वितीय दिवस - अंधन को आंख देत : आप किसी अंध आश्रम में सामर्थ्य अनुसार अपनी सहायता पहुंचाएं और उन दृष्टिहीन-दिव्यांग लोगों के गणपति बनें।

तृतीय दिवस - अंधन को आंख देत : इस दिन मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लें और नेत्रदान का फॉर्म भरकर किसी के जीवन का गणेश बनें। इसके अतिरिक्त नेत्रदान के लिए अन्य लोगों को प्रेरित करें, यही भगवान गणेश की सबसे बड़ी पूजा होगी। 

चतुर्थ दिवस - कोढ़ियन को काया : इस दिन आप प्रयत्न करें कुष्ठ आश्रमों में अपनी सहायता पहुंचाने का और अधिकाधिक लोगों को इस शुभ एवं उदार कार्य के लिए प्रेरित करें।

पंचम दिवस - बांझन को पुत्र देत : आज जबकि विज्ञान इतनी उन्नति कर चुका है कि हम आईवीएफ के द्वारा महिलाओं की प्रजनन क्षमता को विकसित करने की योग्यता रखते हैं, जरूरत है तो इसके लिए जागरूकता लाने की। अत: चौथे दिन संतानहीन महिलाओं को जागरूक करें ताकि वे मातृत्व का सुख प्राप्त कर सकें। 

षष्टम दिवस - निर्धन को माया : किसी निर्धन के लिए सबसे बड़ा धन शिक्षा है, जो उसे गरीबी के कुचक्र से बाहर निकाल सकता है। आइए आज के दिन हम प्रण लें कि कम से कम एक निर्धन की शिक्षा का जिम्मा हम अपने कंधों पर लेंगे और अपनी सामर्थ्य के अनुसार इस दिशा में काम करेंगे। 

सप्तम दिवस - निर्धन को माया : सातवें दिन हमें एक और प्रतिज्ञा लेनी है कि हम कम से कम एक निर्धन व्यक्ति के रोजगार या व्यवसाय का सहारा बनने की कोशिश करेंगे और दिशा-निर्देशन करेंगे।

अष्टम दिवस - विघ्न हरो देवा : आज का दिन आप समर्पित करें जल संचयन के नाम। जल ही जीवन है। हम अपने घर में, आस-पड़ोस में, सोसाइटी में, कॉलोनी में और जहां भी हो सके जल संचयन का अभियान शुरू करें और इस प्रकृति के विघ्नहर्ता बने।

नवम दिवस - विघ्न हरो देवा :  वृक्षारोपण आने वाले वक्त की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है। हम इस मुहिम का हिस्सा बनकर इस संसार के विघ्नहर्ता की भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं।
 
दशम दिवस - दीनन की लाज रखो शंभु सुतकारी, मनोरथ को पूरा करो जाऊं बलिहारी : आज यानी अंतिम दिन विसर्जन का दिन है। आप गणेश जी को विसर्जित जरूर करेंगे पर पिछले 9 दिन में किए गए सभी कामों से इस संसार के विभिन्न क्षेत्रों में, लोगों में और अपने दिल में सदा-सदा के लिए भगवान लंबोदर को स्थापित कर लेंगे। आज के दिन मैं (गणेशजी) चाहता हूं कि आप यह वचन लें की ऊपर किए गए सभी कामों में से कम से कम एक प्रण को या एक काम को आप अपने साथ पूरे वर्ष निभाते चलेंगे।