गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. विचार-मंथन
  3. विचार-मंथन
  4. Cleaning campaign
Written By
Last Updated : सोमवार, 13 अक्टूबर 2014 (19:53 IST)

इस दीपावली लें साफ-सफाई का संकल्प

इस दीपावली लें साफ-सफाई का संकल्प - Cleaning campaign
-रवीन्द्र गुप्ता
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांधी जयंती, 2 अक्टूबर से राष्ट्रीय सफाई अभियान की शुरुआत की। इस अभियान को भारतभर में सराहा गया। लोगों ने स्वस्फूर्त प्रेरणा से इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा साफ-सफाई कर अन्य लोगों को भी प्रेरित किया। 
 
'वेबदुनिया' परिवार ने भी मोदी के इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया तथा इंदौर के 56 दुकान इलाके व कुंदकुंद ज्ञानपीठ के आसपास साफ-सफाई अभियान चलाकर दुकानदारों व रहवासियों को जागरू‍क किया व पेम्पलेट वितरित कर साफ-सफाई बनाए रखने का अनुरोध किया। 
 
हम ‍जिस प्रकार दीपावली पर घर व बाहर की साफ-सफाई करते हैं, उसी प्रकार हमें संपूर्ण भारतभर को भी साफ रखने का सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। इस दीपावली यह संकल्प लिया जा सकता है कि न हम गंदगी करेंगे और न ही दूसरों को करने देंगे। दूसरों को हम इस बात के लिए प्रेरित करेंगे कि देखो भाई, जिस प्रकार आप अपने घर-बाहर को साफ रखते हैं उसी प्रकार गांव-नगर, राज्य व राष्ट्र को भी साफ रखने में वे अपना योगदान दें।
 
स्वयं से करें शुरुआत 
 
जहां तक साफ-स्वच्‍छता की बात है, उसकी शुरुआत स्वयं से ही करनी चाहिए। दूसरों से यह अपेक्षा करना कि 'वो करेगा, तब मैं भी करूंगा', यह गलत मानसिकता है। यह स्मरण रखा जाना चाहिए कि दूसरे आपके कहने पर नहीं चलेंगे, क्योंकि हर व्यक्ति का अलग-अलग व्यक्तित्व व सोचने-समझने का ढंग होता है। आप किसी को बाध्य नहीं कर सकते हैं, हां प्रेरित जरूर कर सकते हैं। 
 
साफ-स्वच्छता किसे अच्‍छी नहीं लगती? हर कोई चाहता है कि मेरा घर व आसपास का परिवेश साफ-सुथरा बना रहे। जब हम अपने आसपास का वातावरण साफ-सुथरा रखना चाहते हैं तो हमें अपने से ही शुरुआत करनी होगी। विदेशों के अनेक उदाहरण दिए जाते रहे हैं कि वहां बहुत ही साफ-सफाई रहती है लेकिन हम दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक व आध्यात्मिक देश को गंदा करने से बाज नहीं आते? ये दोहरा आचरण क्यों?
 
रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड को रखें साफ-सुथरा
 
रेलवे स्टेशन व बस स्टैंडों पर हजारों यात्रियों की आवाजाही होती है, लेकिन वहां पर व्याप्त गंदगी देखकर सिर चकरा जाता है। जहां-तहां पड़े पॉलिथीन-कागज के टुकड़े, खाद्य व जूठन सामग्री, पानी की बॉटलें तथा ट्रेन से गिरी हुई गंदगी के कारण बड़ा भी बदबूदार व घृणित दृश्य पैदा होता है। स्टेशन पर गाड़ी के खड़े रहने पर प्रसाधनगृह के इस्तेमाल की मनाही है, फिर भी लोग अपनी आदत से बाज नहीं आते हैं। हमें यहां यह प्रयास करना चाहिए कि कागज व पॉलिथीन तथा अन्य कचरा सामग्री डस्टबिन के हवाले किया जाए, ताकि इधर-उधर गंदगी न फैले।
 
जहां-जहां गंदगी, वहां-वहां बीमारी
 
जहां-जहां भी गंदगी होती है, वहां-वहां बीमारी का साम्राज्य बना रहता है। गंदगी के कारण मलेरिया, टाइफाइड, पीलिया, हैजा, डेंगू, बुखार आदि ‍बीमारियां होती हैं। गंदी बस्ती में रहने वालों को इन बीमारियों का बारह मास ही सामना करना पड़ता है। इसका समुचित तरीके से निष्पादन किया जाए तो बी‍मारियों को काफी हद तक रोका जा सकता है। बीमारियों का प्रमुख कारण मच्‍छरों की उत्पत्ति, वायरस, बै‍क्टीरिया, फफूंद आदि का पनपना है। तंदुरुस्ती को हजार नियामत कहा गया है। यह तभी संभव है जबकि आप साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देंगे।
 
झाड़ू है 'लक्ष्मी माता' 
 
हर साल दीपावली पर माता लक्ष्मी की पूजा के साथ ही झाड़ू की भी पूजा की जाती है। इसका गहरा धार्मिक व आध्यात्मिक रहस्य है। झाड़ू को लक्ष्मीजी के बराबर व 'लक्ष्मी माता' ही माना गया है। इसका क्या कारण है? तो इसका सीधा-सा कारण है। वह यह कि आप झाड़ू लगाएंगे तो कचरा साफ होगा। कचरे के साफ होने से मच्‍छर-मक्खी व जीवाणु-वायरस नहीं होंगे। इनके नहीं होने से आप बीमार नहीं पड़ेंगे। बीमार नहीं पड़ने से आपको डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा। जब आप डॉक्टर के पास नहीं जाएंगे तो आपको फीस व दवा-गोली का खर्च वहन नहीं करना पड़ेगा। जब ये खर्च नहीं होंगे तो आपके पैसों (यानी 'लक्ष्मी') की बचत होगी। तो इस प्रकार झाड़ू (माता) लक्ष्मी हुई कि नहीं? हुई ना? तो यह है झाड़ू को 'लक्ष्मी माता' मानने का धार्मिक व आध्यात्मिक रहस्य। 
 
ये (बे) कार वाले?
 
आप और हम सबने अक्सर देखा होगा कि ‍कुछेक कार वाले केला खाकर छिलका खिड़की के रास्ते सड़क के 'हवाले' कर दिया करते हैं। इससे किसी के भी फिसलने का अंदेशा बना रहता है व कई फिसल भी जाते हैं। यह कौन सी सभ्यता है? क्या ये लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं? या कि ये सड़क को कूड़ाघर समझते हैं? इसके अलावा और भी कोई खाद्य सामग्री का इस्तेमाल करने के बाद ये लोग पॉलिथीन सड़क के हवाले कर देते हैं। यह भी हम सबने देखा है। इससे प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ता है। ये कार वाले हैं या 'बे'कार।
 
राष्ट्रीय अभियान बनाने की जरूरत
 
साफ-सफाई को राष्ट्रीय अभियान बनाए जाने की आवश्यकता है। इस हेतु हमें जोरदार प्रचार-प्रसार व पेम्पलेट वितरण का कार्य करना चाहिए तथा प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा लोगों को जागरूक बनाए जाने की आवश्यकता है। नुक्कड़ नाटकों से भी लोगों को शिक्षित किया जा सकता है। जनसंपर्क द्वारा भी सफाई अभियान की राष्ट्रीय अलख जगाए जाने की आवश्यकता है।
 
अंतर तो हम इस दीपावली यह संकल्प लें कि हम न गंदगी फैलाएंगे व न ही फैलाने देंगे। अपने घर के अलावा हम गांव-नगर तथा राष्ट्र-राज्य को भी साफ-सुथरा बनाए रखेंगे। तभी दीपावली पर्व की सार्थकता होगी।