इसलिए किनारे हो गए डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी... पढ़ें अगले पेज पर...
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...और अन्ना को मिला पाकिस्तान से न्योता...पढ़ें अगले पेज पर...
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आप के लिए पाकिस्तान से सर्वाधिक ऑनलाइन चंदा क्यों?... पढ़ें अगले पेज पर...
पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में आप की जीत का जश्न मनाया गया और विशेष रूप से पाक प्रशासित कश्मीर के हिस्सों में। यह भी जान लीजिए कि दिल्ली चुनावों के लिए पाकिस्तानियों ने आप को बड़े पैमाने पर ऑनलाइन चंदा दिया। केजरीवाल पाकिस्तान में, पाकिस्तान मीडिया में, राजनीतिज्ञों और जनता में प्रसिद्धि हासिल कर रहे थे, लेकिन इन बातों के कोई स्पष्ट कारण नहीं थे। खुली आंखों और दिमाग से देखने पर भी आप इसका दूर-दूर तक कोई कारण नहीं पा सकते हैं, लेकिन यह सब हुआ तो इसका कोई ना कोई कारण तो रहा ही होगा?
भाजपा ने हमेशा ही विरोध करने और कभी किसी चीज का परीक्षण न करने वाली 'आप' को उसकी सरकार चलाने की क्षमताओं को परखने का मौका दिया। इस परिणाम स्पष्ट था कि एक झूठ को आप हमेशा के लिए बरकरार नहीं रखा जा सकता है। ठीक वैसे ही जैसे कि केजरीवाल अपना यह झूठ हमेशा नहीं छिपा सके कि वे आयकर आयुक्त थे। वे अपनी तथाकथित जादुई क्षमताओं से लोगों को यह विश्वास दिलाते रहे, लेकिन जनता को मूर्ख नहीं बना सके। अपने चुनाव चिन्ह (झाड़ू) को हाथ में लेकर आप के सदस्यों ने सजे ऑटो रिक्शों से कार्यालय जाना शुरू कर दिया। यह दो दिन चला लेकिन बाद में उन्होंने लक्जरी कारों का आदेश दिया।
कुछेक दिनों तक उन्होंने आम जीवन शैली अपनाई गई और इसके बाद वे सरकारी फंड आदि से महंगे विलाज (देहाती बंगले) बुक करने लगे। जिस जनता को आप की झाड़ू ने 24 घंटे सातों दिन बिजली मिलने का बादा किया था, वह पूरी तरह से अंधेरे में बदल गया। इस तरह के दोहरे आचरण की ऐसी बहुत-सी कहानियां हैं जो कि आप के छोटे से कार्यकाल में उजागर हुईं और इन्हें मात्र एक लेख में नहीं लिखा जा सकता है।
इन सारी बातों के बावजूद ईमानदारी के प्रतीक अण्णा हजारे ने केजरीवाल की अक्षम सरकार की कभी आलोचना नहीं की। इस मामले में केजरीवाल खुद अण्णा से बड़े उदाहरण हैं। उन्होंने उसी भ्रष्ट पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई जिसका वे विरोध करते रहने का नाटक करते रहे। जब केजरीवाल ने महसूस किया कि अगर वे अपने पद को नहीं छोड़ते हैं तो जनता को उनकी असली क्षमताओं का पता लग जाएगा। इस तरह वे आगामी आम चुनावों में कोई बड़ा उलटफेर करने का मौका भी खो सकते हैं।
केजरीवाल के लिए क्या कहा था नवाज शरीफ ने... पढ़ें अगले पेज पर...
पाकिस्तान को इसलिए प्यार है केजरीवाल से... पढ़ें अगले पेज पर...
केजरीवाल और आप के लिए पाकिस्तान के प्यार का प्रमुख कारण कश्मीर पर उनका भारत विरोधी रवैया है। अब तक आप के कम से कम तीन विधायकों ने कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक बयान दिए हैं। इन बयानों में कहा गया कि अलगाववादियों के गढ़ों में जनमत संग्रह कराया जाए, कश्मीर पाकिस्तान को दे दिया जाए, कश्मीर को मुक्त कर दिया जाए, कश्मीर में भारतीय सेना की कथित ज्यादितियों की कहानियां सुनाई जाएं, और कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों को निर्दोष लड़कों का सर्टीफिकेट दिया जाए।
इस मामले में प्रमुख भूमिका एक प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण द्वारा निभाई जाती है। केजरीवाल ने इन लोगों को कभी भी पार्टी से नहीं हटाया, ना ही इनके खिलाफ कोई बात की लेकिन उन्होंने आप नेताओं के राष्ट्रविरोधी बयानों का विरोध करने वाले राष्ट्रवादी विरोधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। केजरीवाल ने उन राष्ट्रवादी 'आतंकवादियों' के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों का मामला दायर कराया, जिन्होंने आप कार्यालय के एक फूलदान को तोड़ दिया था। केजरीवाल अपने बारे में एक शब्द बोले बिना ही इन सारी बातों के पीछे के मास्टरमाइंड हैं।
यह है आईएसआई की योजना... पढ़ें अगले पेज पर...
भारत को विभाजित करने के लिए आईएसआई वही राजनीतिक खेल खेलना चाहती है जोकि सीआईए ने पूर्व संयुक्त सोवियत संघ गणराज्य (यूएसऐसआर) के खिलाफ की थी। आईएसआई दिल्ली में अपने प्रवक्ता बैठाना चाहती है जो कि पाकिस्तान के हितों को आगे बढ़ाने का काम करें और कश्मीर पर पाकिस्तानी दुष्प्रचार को लाभ मिलेगा। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को बेहद शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा अगर भारत के निर्वाचित राजनीतिज्ञ ही पाकिस्तानी हितों की बात करें और पाकिस्तान ही यही चाहता है।
दिनोदिन आप की ताकत पाकिस्तान से मिलने वाले समर्थन पर बढ़ रही है। साथ ही, आप ऐसे सभी लोगों को इकट्ठा कर रही है जो कि विदेशी नीतियों के मामले में भारत की स्थिति को कमजोर करें। आप में हाल ही में शामिल होने वाले राजमोहन गांधी हैं। वे महात्मा गांधी के पोते हैं लेकिन राजमोहन गांधी वही आदमी हैं जिन्होंने अमेरिका में एक आईएसआई एजेंट और लॉबीइस्ट मोहम्मद गुलाम नबी फई को रिहा करने के लिए प्रचार अभियान चलाया।
फई वही व्यक्ति है जो कश्मीरी अमेरिकन सेंटर्स के जरिए कश्मीर को अस्थिर करने के पाकिस्तानी योजनाओं को चलाता रहा है। इसके अलावा आप के कई सदस्य ऐसे हैं, जिन्होंने संसद पर हमला करने वाले आतंकी मोहम्मद अफजल गुरु के पक्ष में प्रचार किया था।
आप नेता की हकीकत और इनके भ्रष्टाचार पर चुप क्यों हैं केजरीवाल...
इसके अलावा, चंडीगढ़ का एक आप नेता हरबीर सिंह नैन है जोकि एक भारतीय समाचारपत्र की जोनल एडीटर का पति है। हरबीर एक कनाडाई पत्रकार का सहयोगी रहा है जो कि भारत के एक सामाजिक नेता और पंजाब पुलिस की छवि खराब करने में लगा था। उसके इस प्रयास को छिपी हुई साइबर टीम के एक सदस्य ने निष्फल किया था जो कि इस गुट का समय आने पर भडाफोड़ करने के प्रयास में लगा है और तब तक यह चुप बैठा है। आप ऐसे लोगों द्रोही तत्वों को शरण दे रहा है जोकि पाकिस्तान चाहता है।
दूसरा एक बड़ा कारण आप को पाकिस्तान के समर्थन का यह है कि मुल्ला-मौलवियों को लेकर पार्टी हमेशा ही एक आंख से देखता है। आप को अपनी विशिष्ट रूप से बनी ईमानदारी पर इतना भरोसा है कि वह एक बेईमान आदमी की कट्टर विरोधी है, लेकिन उसको मदद दे रहे दूसरे बेईमान आदमी को समर्थन देती है क्योंकि वह पहले का विरोधी है और दूसरा आप को पैसा देता है। इस कारण से आप कुछ चुने हुए उद्यमियों को अपना निशाना बनाती है और यह उसके विरोधियों की शह पर किया जाता है, लेकिन जो बेईमान या भ्रष्ट उन्हें मदद देने लग जाता है, पार्टी उसे तुरंत ही ईमानदार होने का सर्टिफिकेट दे देती है।
अपनी इसी रणनीति के तहत आप ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ एक आरोप पत्र तैयार किया, लेकिन चुनाव बाद के समझौते के तहत इस दस्तावेज को साइट से ही हटा दिया। मुल्लाओं के बड़े भ्रष्टाचार को लेकर आप ने हमेशा ही एक नीति बना रखी है। इमाम बुखारी ने लाखों रुपए के बिजली के बिल नहीं चुकाए हैं, लेकिन यह भ्रष्टाचार आप की परिभाषा में नहीं आता है।
आप नेता इस्लामिक इंडिया सेंटर में भाषण देते हैं कि 'साम्प्रदायिकता भ्रष्टाचार से भी बदतर है' और जैसे ही वे दंगा कराने वाले और अपराधों के लिए सजा पाए मु्ल्ला तौकीर के सम्पर्क में आते हैं, तुरंत ही धर्मनिरपेक्ष हो जाते हैं। आप के इस सम्मोहन का आईएसआई लाभ उठा सकती है और वे भारत के दुश्मनों को सबसे बड़ा देशभक्त करार दे सकते हैं और इससे बड़ा दु:स्वप्न भारत के लिए और कोई नहीं हो सकता है।
उनका भ्रष्टाचार विरोधी अभियान प्रसिद्धि में आने का एक बहाना था और अगर आप स्थिति को ठीक-ठीक तरह से देख पाते हों तो आप देखेंगे कि भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए केजरीवाल और उनकी टीम ने कुछ भी नहीं किया है। उनसे ज्यादा डॉ. स्वामी ने किया लेकिन अण्णा और उनकी टीम ने डॉ. स्वामी के अच्छे काम पर भी ग्रहण लगाने का काम किया।
अण्णा हजारे का शोषण और जमात के भारत विरोधी उद्देश्य....
क्या अण्णा का शोषण किया गया? क्या ऐसा है कि निर्दोष अण्णा को पता ही नहीं था कि उन्हें केजरीवाल द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है? नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं क्यों अगर केजरीवाल नेहरू हैं तो अण्णा गांधी हैं। अण्णा एक दूसरे ही मोर्चे पर वास्तविक खिलाड़ियों के लिए युद्ध कर रहे थे।
पाकिस्तान के राजनीतिक एजेंटों का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि भारतीय चुनावों में बाधा डाली जाए और भारत के प्रधान मंत्री पद के सबसे बड़े प्रत्याशी, नरेन्द्र मोदी, को प्रधानमंत्री बनने से रोका जाए। इसलिए जो कोई मोदी के खिलाफ खड़ा दिखता है वे उसे अपना सर्टिफिकेट देने के लिए पहुंच जाते हैं।
केजरीवाल के स्पष्ट और शर्मनाक प्रदर्शन के बाद अण्णा उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार होने का सर्टिफिकेट नहीं दे सकते थे। अण्णा ममता के पास कोलकाता पहुंच गए और वह भी तब जब दो दिन पहले ही ममता और बांग्लादेशी जिहादी गुट जमात-ए-इस्लामी के बीच साठगांठ उजागर हो गई थी। जमात एक ऐसा संगठन है जिसके जरिए ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान के बाद बांग्लादेश के तालिबानीकरण का सपना देखा था।
जमात की नीतियों के भारत विरोधी उद्देश्य हैं और जमात के साथ ममता के संबंधों का खुलासा हो गया है। लगातार आतंकवादी गतिविधियों के चलते यहां के मूल निवासियों को भगा दिया गया है और बंगाल के सीमावर्ती जिलों में जमातियों के गढ़ बन गए हैं। बड़ी संख्या में वोटरों के वादे पर बंगाल की सीमा बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए खुली हुई है और पाकिस्तान के आतंकवादी बांग्लादेशी सीमा से घुसपैठ करते हैं क्योंकि भारत और पाकिस्तान की सीमा पूरी तरह से बंद है।
क्या आप इसे मात्र एक संयोग कह सकते हैं तो आप से पूछा जाना चाहिए कि अण्णा ने ममता को अपना सर्टिफिकेट क्यों दिया? वह भी तब जबकि दोनों ने एक दूसरे से एक दो बार भी एक दो शब्द नहीं कहे हों? वे कहते हैं कि ममता विकास और पारदर्शी शासन चला रही हैं तभी तो टीएमसी के नेताओं ने सबसे बड़ा चिटफंड घोटाला कर डाला है। टीएमसी और माओवादियों कम्युनिस्ट नेताओं का भंडाफोड़ 13 फरबरी, 2011 को भी हुआ था जबकि दोनों ने मिलकर आसनसोल में मिलकर 'फ्री कश्मीर' कार्यक्रम चलाया था।
जैसे अण्णा और केजरीवाल का पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है, वैसे भी ममता का कोई लेना देना नहीं है। उनके राज्य की सीमाएं पाकिस्तान से नहीं लगतीं, उनके मामलों का पाक से कोई संबंध नहीं है, लेकिन फिर भी उन्हें पाकिस्तान बुलाया गया था। क्योंकि राजनीतिक एजेंटों के लिए दूतावास मिलने-जुलने के स्थान होते हैं। इस तरह की नीतियां सरकारी दौरों के दौरान बनती हैं और इनके बारे में दूतावासों में तय होता है।
नीतीश की मंशा पर भी उठे थे सवाल... पढ़ें अगले पेज पर...
अगर ये नेता भारत के पाकिस्तानी दूतावास में मिलते हैं तो वे लोगों के सामने नंगे हो जाएंगे। लोग उनसे पूछेंगे कि व भारत के राज्यों को चलाने के लिए पाकिस्तानियों के साथ दूतावास में क्यों मिलते हैं? इन लोगों को अपना 'काम' भली-भांति करने देने के लिए सामरिक बातचीत और योजनाएं महत्वपूर्ण होती हैं, इस कारण से पाकिस्तान इन नेताओं को सरकारी तौर पर बुलाता है और उन्हें पाकिस्तान का दौरा करने का बहाना मिल जाता है। कर्नल आरएसएन सिंह नामक रॉ एजेंट ने 'इंडिया बिहाइंड द लेंस' मीडिया ग्रुप द्वारा एक समिट में नीतीश कुमार के ऐसे दौरे की मंशा पर प्रश्न उठाए थे।
उन्होंने अप्रत्यक्ष से इस बैठक का परिणाम यह बताया था कि इंडियन मुजाहिदीन यूपी से बिहार में सक्रिय हो गया। इस संबंध में एक और तथ्य महत्वपूर्ण है कि बिहार का किशनगंज जिला बांग्लादेशी घुसपैठियों का गढ़ बन गया है, जिनकी भारत के विभिन्न राज्यों में संख्या करीब 5-6 करोड़ है।
आरएसएन सिंह ने जो बाद नहीं कही है वह यह है कि मीटिंग के दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि रिंकल कुमारी के साथ न्याय का मामला न उठाया जाए, पाकिस्तानी हिंदुओं के मामले को न उठाया जाए। लेकिन पाक में नीतीश कुमार ने सिर्फ मोहाजिर प्रतिनिधियों से ही बात की जिन्होंने 1947 में सिंध के हिंदुओं को उनके घरों से बाहर भगाया था। इस बैठक का मूल उद्देश्य था कि 2014 के आम चुनावों में नरेन्द्र मोदी के अवसर को किस तरह खत्म किया जाए।
भारतीय नागरिकों को लेखिका का सुझाव : भारतीयों के लिए मेरा एक चुनावी सुझाव है कि आप किसी भी बड़ी से बड़ी हस्ती को न देखें। इस बात पर गौर न करें कि नेता आईआईटी से निकला है या नहीं। एक आईआईटीयन कोई सुपरमैन नहीं होता कि क्योंकि हर साल हजारों की संख्या में ऐसे लोग पास होकर बाहर निकलते हैं। इसकी बजाय आप इस बात पर ध्यान दें कि इन नेताओं की घोषणाएं और उनके कार्यक्रम से क्या आप और आपके देश को कोई लाभ होने वाला है। आप उनके वादों पर ध्यान न दें वरन उनके प्रदर्शन पर ध्यान दें।
पेज थ्री की हस्तियों के चक्कर में ना पड़ें क्योंकि वे सब कुछ पैसों के लिए करते हैं, उनके चयन विज्ञापन सौदों के साथ बदलता रहता है और वे कॉस्मेटिक्स से स्नैक्स तक से लाभ कमाते हैं और अंत में इस बात को ध्यान में रखें कि राजनीतिक एजेंट किसी भी तरह के हो सकते हैं, 'जिन्हें देश की फिक्र है' जैसी बात वे वर्ष भर नहीं करते हैं। वे एक टीवी शो के लिए एक महीने में एकाएक अवतरित नहीं होते हैं। जिन लोगों को देश की चिंता होती है वे मीडिया पर ध्यान दिए बिना ही एक दशक तक अपना काम करते रहते हैं। आखिर वोट आपका है और आपको अपने दिमाग का इस्तेमाल करना है। बस यही शुभकामना है।
(आमना शाहवानी का यह लेख मूल रूप से अफगानिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक 'अफगानिस्तान टाइम्स में प्रकाशित हुआ था। चार मार्च को इसे पाकिस्तान में लेखक, प्रकाशक की अनुमति से दोबारा प्रकाशित किया गया था। लेखिका एक बलूच विश्लेषक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। पेशे से वे एक कूट लेखन (क्रिप्टोग्राफी) का काम करती हैं)