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यश, समृद्धि, कीर्ति और वैभव देते हैं शनिदेव के 5 सूत्र

यश, समृद्धि, कीर्ति और वैभव देते हैं शनिदेव के 5 सूत्र - shani dev
शनिदेव को प्रसन्न के लिए 5 सूत्रों का पालन करने को कहा जाता है। ये 5 सूत्र हैं-

1. जीवन के हर्षित पल में शनि की प्रशंसा करनी चाहिए।

2. आपातकाल में भी शनि का दर्शन करना चाहिए।

3. मुश्किल समय में शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।

4. जीवन के हर पल शनिदेव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना चाहिए।

5. प्रतिदिन न हो सके तो हर शनिवार को शनि-दर्शन करना ही चाहिए।
 
शिंगणापुर में हर साल शनि जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन शनिदेव का जन्मदिवस मनाया जाता है। वैशाख बदी चतुर्दशी अमावस के दिन आमतौर पर शनि जयंती आती है। इस दिन शिंगणापुर में शनिदेव की प्रतिमा नील वर्ण की दिखती है। 5 दिनों तक यज्ञ  और 7 दिनों तक भजन, प्रवचन व कीर्तन का सप्ताह कड़ी धूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां 11 ब्राह्मण पंडितों से लघुरुद्राभिषेक संपन्न होता है। यह कुल 12 घंटे तक चलता है। अंत में महापूजा से उत्सव का समापन होता है।
 
शुरुआत में इसी दिन मूर्ति को पंचामृत, तेल तथा पड़ोस के कुएं के पानी और गंगाजल से नहलाया जाता है। इस कुएं के पानी का उपयोग केवल मूर्ति सेवा के लिए ही किया जाता है। स्नान के बाद मूर्ति पर नौरत्न हार, जो सोने व हीरे से रत्नजड़ित रहता है, चढ़ाया जाता है।
क्या है शनिदेव का महत्व?
 
सूर्यपुत्र शनिदेव अतिशक्तिशाली माने जाते हैं और इनका इंसान के जीवन में अद्भुत महत्व है। शनिदेव मृत्युलोक के ऐसे स्वामी हैं, जो व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर सजा देकर  उन्हें सुधरने के लिए प्रेरित करते हैं। आमतौर पर यह धारणा है कि शनिदेव मनुष्यों के शत्रु हैं। यह भी मान्यता है कि क्लेश, दु:ख, पीड़ा, व्यथा, व्यसन, पराभव आदि शनि की साढ़ेसाती के कारण पैदा होता है।
 
लेकिन सच्चाई यह भी है कि शनिदेव उन्हीं को दंडित करते हैं, जो बुरा करते हैं अर्थात जो  'जैसा करेगा, वो वैसा भरेगा'। उनके नियमों के अनुसार अगर हमने कुछ स्वार्थवश गलत किया  है तो वह उसका फल फौरन देता है। विद्वानों के मतानुसार शनि मोक्ष प्रदाता ग्रह है और शनि  ही शुभ ग्रहों से कहीं अधिक अच्छा फल देता है। शनिदेव के प्रति लोगों में जो डर है, उसी के  कारण वे दुर्व्यवहार करने से बचते भी हैं। सच्चाई तो यह है कि अगर हम कोई दुर्व्यवहार ही न करें, तो शनिदेव हमारे मित्र हैं।
 
ऐसी मान्यता है कि चोरी, डकैती, व्यभिचार, परस्त्रीगमन, दुर्व्यसन तथा झूठ से जीवन-यापन नहीं करना चाहिए। यदि कोई जातक झूठे रास्ते पर चला गया है तो शनि उसे तकलीफ देते हैं अन्यथा परम संतुष्ट होकर पहले से अधिक संपत्ति, यश, कीर्ति, वैभव प्रदान करते हैं।

 
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