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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 30 मार्च 2010 (22:09 IST)

जनगणना-2011 की शुरुआत 1 अप्रैल से

जनगणना-2011 की शुरुआत 1 अप्रैल से -
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल एक अप्रैल को देश की जनगणना-2011 की प्रक्रिया की विधिवत शुरुआत करेंगी। यह जनगणना दो चरणों में होगी तथा पहली बार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) भी तैयार किया जाएगा। इसके तहत पहली बार नागरिकों का एक व्यापक पहचान डाटाबेस भी तैयार किया जाएगा।

गृहमंत्री जीके पिल्लई ने बताया कि भारत जनगणना-2011 की प्रक्रिया एक अप्रैल को शुरू होकर एक जून को समाप्त हो जाएगी और यह दो चरणों में होगी। आजादी के बाद की यह 7वीं जनगणना होगी। इसमें 25 लाख कर्मचारी कार्य करेंगे। इसमें देश के सभी 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रहने वाले 1.2 अरब निवासियों को कवर किया जाएगा।

एक अप्रैल को राष्ट्रपति के साथ ही उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी जनगणना फार्म भरेंगे।

उन्होंने कहा कि पहले चरण में एक अप्रैल से सितंबर तक घर घर जाकर सूची तैयार की जाएगी और एनपीआर के लिए आँकड़े एकत्र किए जाएँगे जबकि दूसरा चरण अगले साल 9 फरवरी से 28 फरवरी तक चलेगा।

पिल्लई ने बताया कि 1 से 6 अप्रैल तक जनगणना प्रक्रिया नई दिल्ली (कुछ हिस्सा), प बंगाल, असम, अंडमान-निकोबार द्वीप, गोवा और मेघालय में, 7 से 14 अप्रैल तक केरल, लक्ष्यदीप, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, सिक्कम में चलाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि 15 से 20 अप्रैल तक कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में, 21 से 25 अप्रैल तक गुजरात, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव में, 26 से 30 अप्रैल तक त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश में, एक से 6 मई तक हरियाणा, छत्तीसगढ, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में, 7 से 14 मई तक मध्य प्रदेश में , 15 से 31 मई तक जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में तथा 1 जून को तमिलनाडु, पांडिचेरी , हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में होगी।

उन्होंने कहा कि बिहार और झारखंड के बारे में अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है । राज्य सरकारों से संपर्क जारी है।

पिल्लई ने कहा कि इस जनगणना के दौरान देश के सभी 240 जिलों, 5767 तहसीलों, 7742 शहरों, और 6 लाख से अधिक गाँवों को कवर किया जाएगा। इस दौरान करीबन 24 करोड़ घरों का दौरा किया जाएगा और इस प्रक्रिया के दौरान एक अरब 20 करोड़ लोगों की गिनती की जाएगी।

उन्होंने कहा कि इतने बड़े कार्य को पूरा करने के लिए करीबन 25 लाख अधिकारी और कर्मचारी शामिल किए गए हैं।

पिल्लई ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा से लगे क्षेत्रों में नियुक्त सभी जिला मजिस्ट्रेटों से कहा गया है कि वे विशेष सतर्कता बरतें क्योंकि हो सकता है कि कुछ लोग सीमा पार से आकर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में अपना नाम दर्ज कराने का प्रयास करें।

इसमें 11 हजार 631 मीट्रिक टन कागज लगेगा, 64 करोड सूची पत्र 16 भाषाओं में प्रकाशित किए जाएँगे, 81 लाख नियम पुस्तिकाएँ 18 भाषाओं में तैयार की जाएगी। (भाषा)