एसबीआई, आईसीआईसीआई की ब्याज दरें बढ़ी
देश के दो प्रमुख बैंकों एसबीआई तथा आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी ब्याज दरों में आधा प्रतिशत या 50 आधार अंक बढोतरी की घोषणा की, जिससे इन बैंकों के आवास, ऑटो तथा कारपोरेट लोन महंगे हो जाएंगे।इस बढोतरी से जहां इन बैंकों के कर्जदारों को अधिक ईएमआई चुकानी होगी, वहीं उनके आवास तथा वाहन ऋण की अवधि भी बढ़ सकती है।इन बैंकों के इस कदम का असर बड़ी संख्या में ग्राहकों पर पड़ेगा क्योंकि दोनों बैंकों की बाजार भागीदारी 30 प्रतिशत से भी अधिक है। एसबीआई तथा आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी आधार दर या न्यूनतम उधारी दर को 9.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया है।एसबीआई ने एक बयान में कहा है कि यह बढोतरी 13 अगस्त से प्रभावी होगी। रिजर्व बैंक के नियमों के तहत बैंक अपने किसी ग्राहक को आधार दर से कम पर कर्ज नहीं दे सकते। बैंक ने बेंचमार्क प्रधान उधारी दर (बीपीएलआर) प्रणाली के तहत भी ऋण की दर 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 14.75 प्रतिशत कर दी है। इससे मौजूदा कर्जदाताओं का ऋण महंगा हो जाएगा। इसी तरह आईसीआईसीआई बैंक ने न्यूनतम उधारी दर को 9.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। यह बढोतरी 13 अगस्त से प्रभावी होगी। इसके साथ ही बैंक ने बेंचमार्क प्रधान उधारी दर तथा उपभोक्ता ऋण (आवास ऋण सहित) के लिए चल (फ्लोटिंग), संदर्भ दर (एफआरआर) में भी 0.50 प्रतिशत वृद्धि की है। बैंक का कहना है कि स्थिर ब्याज दर वाले ग्राहकों पर इसका असर नहीं होगा और उनकी अनुबंधित दरें अपरिवर्तित रहेंगी। रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में आधा प्रतिशत वृद्धि के बाद से सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के कई बैंक कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ा चुके हैं। भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स सहित कई अन्य बैंक ब्याज दर बढ़ा चुके हैं।रिजर्व बैंक ने रेपो तथा रिवर्स रेपो दर में पिछले माह 0.50 प्रतिशत (प्रत्येक) की वृद्धि की थी। रिजर्व द्वारा बैंकों को नकद की तात्कालिक कमी से निपटने की व्यवस्था के तहत दिए जाने वाले उधार पर ब्याज दर (रेपो) दर आठ प्रतिशत हो गई है।प्रमुख बैंकों की श्रेणी में अब केवल एचडीएफसी बैंक ही एकमात्र बैंक बचा है, जिसने रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा के दौरान उठाए गए कदम के बाद से ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। (भाषा)